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::'''''यह लेख अम्बिया की संख्या, चमत्कार, मक़ाम और शरीयत के बारे मे है जबकि नबूवत की अवधारण और अर्थ के लिए, [[नबूवत]] का अध्ययन करें।''''' | ::'''''यह लेख अम्बिया की संख्या, चमत्कार, मक़ाम और शरीयत के बारे मे है जबकि नबूवत की अवधारण और अर्थ के लिए, [[नबूवत]] का अध्ययन करें।''''' | ||
'''अम्बिया''' ( अरबी: انبیاء ) का भगवान अपनी ओर मनुष्यो को आमंत्रित करने के लिए चयन करता है अल्लाह वही के माध्यम से उनके साथ संपर्क मे होता है। | '''अम्बिया''' ( अरबी: '''انبیاء''') का भगवान अपनी ओर मनुष्यो को आमंत्रित करने के लिए चयन करता है अल्लाह वही के माध्यम से उनके साथ संपर्क मे होता है। | ||
मासूम होना, [[ग़ैब का ज्ञान]] रखना, [[चमत्कार]] और [[वही]] को अल्लाह से प्राप्त करना उनके गुणों मे से है। कुरान ने [[हज़रत इब्राहीम (अ)]] के लिए अग्नि के शांत होने, [[हज़रत मूसा (अ)]] के डंडे से अजगर मे परिवर्तित होने और [[हज़रत ईसा (अ)]] के हाथो मृतको के जीवित होने और पवित्र कुरान जैसे चमत्कार को अम्बिया के चमत्कारो मे उल्लेख किया है। | मासूम होना, [[ग़ैब का ज्ञान]] रखना, [[चमत्कार]] और [[वही]] को अल्लाह से प्राप्त करना उनके गुणों मे से है। कुरान ने [[हज़रत इब्राहीम (अ)]] के लिए अग्नि के शांत होने, [[हज़रत मूसा (अ)]] के डंडे से अजगर मे परिवर्तित होने और [[हज़रत ईसा (अ)]] के हाथो मृतको के जीवित होने और पवित्र कुरान जैसे चमत्कार को अम्बिया के चमत्कारो मे उल्लेख किया है। | ||
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प्रसिद्ध कथन के अनुसार अम्बिया की कुल संख्या एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000) है और उनमे से 25 नबीयो का नाम [[क़ुरआन|क़ुरान]] मे आया है। [[हज़रत आदम (अ)]] पहले और हज़रत मुहम्मद (स) अंतिम नबी है। शिया विद्वानो ने अम्बिया का इतिहास अपनी पुस्तको मे उल्लेख किया है जबकि अलग से उनके संबंध मे पुस्तके भी लिखी है। अल-नूरुल मुबीन फ़ी क़ेसासिल अम्बियाए वल मुरसलीन, लेखक सय्यद नेअमतुल्लाह जज़ाएरी, क़ेसस उल अम्बिया, लेखक रावंदी, तनज़ीह उल-अम्बिया, लेखक [[सय्यद मुरर्तज़ा]] और हयात उल-क़ुलूब, लेखक [[अल्लामा मजलिसी]] उन पुस्तको मे से है। | प्रसिद्ध कथन के अनुसार अम्बिया की कुल संख्या एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000) है और उनमे से 25 नबीयो का नाम [[क़ुरआन|क़ुरान]] मे आया है। [[हज़रत आदम (अ)]] पहले और हज़रत मुहम्मद (स) अंतिम नबी है। शिया विद्वानो ने अम्बिया का इतिहास अपनी पुस्तको मे उल्लेख किया है जबकि अलग से उनके संबंध मे पुस्तके भी लिखी है। अल-नूरुल मुबीन फ़ी क़ेसासिल अम्बियाए वल मुरसलीन, लेखक सय्यद नेअमतुल्लाह जज़ाएरी, क़ेसस उल अम्बिया, लेखक रावंदी, तनज़ीह उल-अम्बिया, लेखक [[सय्यद मुरर्तज़ा]] और हयात उल-क़ुलूब, लेखक [[अल्लामा मजलिसी]] उन पुस्तको मे से है। | ||
==पैग़ंबर== | ==पैग़ंबर== | ||
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===इमामत=== | ===इमामत=== | ||
आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है।<ref> | आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है।<ref>सूर ए बक़रा, आयत न 124</ref> कुछ रिवायतो मे इमामत के पद को नबूवत के पद पर प्राथमिकता दी गई है क्योकि यह पद [[हज़रत इब्राहीम]] को नबूवत प्रदान करने के पश्चात जीवन के अंतिम पड़ाव मे प्रदान की गई।<ref>बहरानी, अल-बुरहान, भाग 1, पेज 323</ref> सूरा ए अम्बिया मे हज़रत इब्राहीम (अ), इस्हाक़ (अ), याक़ूब (अ) और लूत (अ) को इमाम कहा गया है।<ref>सूरा ए अम्बिया, आयात न 69 से 73 तक</ref> [[इमाम सादिक (अ)]] से नक़्ल एक हदीस के अनुसार सभी ऊलुल अज़्म अम्बिया इमामत के पद पर भी नियुक्त थे।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 175</ref> | ||
===फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता=== | ===फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता=== | ||
[[शेख़ मुफ़ीद]], इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश [[मोतज़ेला]] फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है।<ref>मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 49-50</ref> कुच हदीसे पैगंबर अकरम (स) और शियो के बारह इमामो को फरिश्तो पर फ़ज़ीलत देती है।<ref>सदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254</ref> | |||
==किताब और शरीयत== | ==किताब और शरीयत== | ||
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* '''[[लताइफ़ ए केसस उल-अम्बिया अलैहेमुस सलाम]]''': सहल बिन अब्दुल्ला तुस्तरी (मृत्यु 238 हिजरी) की रचान है। इस पुस्तक में, नबियों के जीवन से संबंधित बिंदुओं को आयतो और रिवायतो के प्रकाश में वर्णित किया गया है। | * '''[[लताइफ़ ए केसस उल-अम्बिया अलैहेमुस सलाम]]''': सहल बिन अब्दुल्ला तुस्तरी (मृत्यु 238 हिजरी) की रचान है। इस पुस्तक में, नबियों के जीवन से संबंधित बिंदुओं को आयतो और रिवायतो के प्रकाश में वर्णित किया गया है। | ||
* '''[[हयात उल-क़ुलूब]]''': [[अल्लामा मजलिसी]] (मृत्यु 1110 हिजरी) का संकलन है। इसमें नबियों और उनके उत्तराधिकारियों की जीवन स्थितियों का वर्णन है। इस पुस्तक में, मजलिसी ने सार्वजनिक नबूवत, ख़िलाफ़ते इमाम अली (अ), वजूबे वजूदे इमाम (इमाम के अस्तित्व की आवश्यकता), इमाम के नियुक्त होने और इस्मत की बहसो पर चर्चा की है। | * '''[[हयात उल-क़ुलूब]]''': [[अल्लामा मजलिसी]] (मृत्यु 1110 हिजरी) का संकलन है। इसमें नबियों और उनके उत्तराधिकारियों की जीवन स्थितियों का वर्णन है। इस पुस्तक में, मजलिसी ने सार्वजनिक नबूवत, ख़िलाफ़ते इमाम अली (अ), वजूबे वजूदे इमाम (इमाम के अस्तित्व की आवश्यकता), इमाम के नियुक्त होने और इस्मत की बहसो पर चर्चा की है। | ||