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"अम्बिया": अवतरणों में अंतर
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कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 313</ref> कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह। | कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 313</ref> कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह। | ||
रिवायतो मे शीस,<ref>सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524</ref> हज़क़ील | रिवायतो मे शीस,<ref>सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524</ref> हज़क़ील,<ref>क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 241-242</ref> हबक़ूक़,<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 163</ref> दानीयाल,<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 13, पेज 448</ref> जिजीस,<ref>क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 238</ref> उज़ैर,<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 13, पेज 448</ref> हंज़ला<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 156</ref> और अरमिया<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 373; क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 224</ref> अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है। हज़रत ख़िज़्र,<ref>देखेः तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 7, पेज 82</ref> ख़ालिद बिन सनान<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 448-451</ref> और ज़िल क़र्नैन<ref>फ़ख्रे राज़ी, मफ़ातीह उल-ग़ैब, भाग 21, पेज 495</ref> के नबी होने मे मतभेद है। अल्लामा तबातबाई के अनुसार हज़रत उज़ैर का नबी होना स्पष्ट नही है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141</ref> क़ुरानी आयात के आधार पर एक समय मे एक से अधिक नबी भी रहे है उदाहरण स्वरूप मूसा और हारून,<ref>सूरा ए मरयम, आयत न 53</ref> इब्राहीम और लूत<ref>सूरा ए हूद, आयत न 74</ref> एक ही समय मे रहे है। | ||
==स्थान और मंज़िलत== | ==स्थान और मंज़िलत== | ||
आयत (وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِيِّينَ عَلَىٰ بَعْضٍ) "वलाक़द फ़ज़्ज़लना बाज़न्न नबीय्यीना अला बाज़िन" "अनुवादः हमने कुछ नबियों को दूसरों से श्रेष्ठ बनाया", | आयत (وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِيِّينَ عَلَىٰ بَعْضٍ) "वलाक़द फ़ज़्ज़लना बाज़न्न नबीय्यीना अला बाज़िन" "अनुवादः हमने कुछ नबियों को दूसरों से श्रेष्ठ बनाया",<ref>सूरा ए इस्रा, आयत न 55</ref> सभी अम्बिया की रैंक और स्थिति समान नहीं है और उनमें से कुछ दूसरों से श्रेष्ठ हैं। हदीसों में, पवित्र पैगंबर (स) की स्थिति को अन्य नबियों से श्रेष्ठ माना गया है।<ref>सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254</ref> यहूदियों के अनुसार, बनी इस्राईल के अम्बिया को अन्य नबियों से श्रेष्ठ हैं, और उनमें से मूसा (अ) दूसरो से श्रेष्ठ हैं।<ref>ताहेरी आकरदी, यहूदीयत, पेज 173</ref> | ||
===ऊलुल अज़्म=== | ===ऊलुल अज़्म=== | ||
अल्लामा तबातबाई के अनुसार [[सूरा ए अहकाफ़]] की 35वीं आयत मे अज़्म का अर्थ शरियत है और ऊलुल अज़्म का अर्थ साहेब ए शरियत नबी है। इनकी दृष्टि से पांच नबी (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद) ऊलुल अज़्म नबी है। | अल्लामा तबातबाई के अनुसार [[सूरा ए अहकाफ़]] की 35वीं आयत मे अज़्म का अर्थ शरियत है और ऊलुल अज़्म का अर्थ साहेब ए शरियत नबी है। इनकी दृष्टि से पांच नबी (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद) ऊलुल अज़्म नबी है।<ref>तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141</ref> कुछ का कहना है कि ऊलुल अज़्म साहेबाने शरियत अम्बिया मे निर्भर नही है।<ref>मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 404</ref> रिवायत के आधार पर ऊलुल अज़्म पैगंबर दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है।<ref>तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 145</ref> | ||
===रिसालत=== | ===रिसालत=== | ||
प्रसिद्ध कथन के अनुसार नबी का अर्थ रसूल से अधिक विस्तृत है इस आधार पर प्रत्येक रसूल नबी है कितुं कुछ अम्बिया रसूल नही है। | प्रसिद्ध कथन के अनुसार नबी का अर्थ रसूल से अधिक विस्तृत है इस आधार पर प्रत्येक रसूल नबी है कितुं कुछ अम्बिया रसूल नही है।<ref>मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 45</ref> एक हदीस के आधार पर अम्बिया मे से 313 रसूल है।<ref>सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32 भाग 74, पेज 71</ref> | ||
रसूल और नबी के बीच अंतर | रसूल और नबी के बीच अंतर | ||
• रसूल सोते और जागते वही हासिल करता है लेकिन नबी केवल सोते हुए वही हासिल करता है। | • रसूल सोते और जागते वही हासिल करता है लेकिन नबी केवल सोते हुए वही हासिल करता है।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177</ref> | ||
• रसूल पर वही जिब्राईल के माध्यम से पहुचंती है जबकि नबी दूसरे फ़रिश्तो के माध्यम से अथवा दिल की प्रेरणा या एक सच्चे सपने की स्थिति मे स्वीकार करता है। | • रसूल पर वही जिब्राईल के माध्यम से पहुचंती है जबकि नबी दूसरे फ़रिश्तो के माध्यम से अथवा दिल की प्रेरणा या एक सच्चे सपने की स्थिति मे स्वीकार करता है।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177</ref> | ||
• रसूल नबूवत के साथ-साथ इतमामे हुज्जत का भी हामिल होता है। | • रसूल नबूवत के साथ-साथ इतमामे हुज्जत का भी हामिल होता है।<ref>मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 55</ref> | ||
• रसूल साहेब ए शरियत होता है और अहकाम वज़्अ करता है किंतु नबी शरियत के रक्षक के कर्तव्यों का पालन करता है। तबरसी ने इस कथन का श्रेय जाहिज़ को दिया है। | • रसूल साहेब ए शरियत होता है और अहकाम वज़्अ करता है किंतु नबी शरियत के रक्षक के कर्तव्यों का पालन करता है। तबरसी ने इस कथन का श्रेय जाहिज़ को दिया है।<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144</ref> हालांकि, तबरसी जैसे कुछ मुफ़स्सिरीन नबी और दूत को पर्यायवाची मानते हैं।<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144-145</ref> | ||
===इमामत=== | ===इमामत=== | ||
आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है। | आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है।<ref>सूरा ए बक़रा, आयत न 124</ref> कुछ रिवायतो मे इमामत के पद को नबूवत के पद पर प्राथमिकता दी गई है क्योकि यह पद हज़रत इब्राहीम को नबूवत प्रदान करने के पश्चात जीवन के अंतिम पड़ाव मे प्रदान की गई।<ref>बहरानी, अल-बुरहान, भाग 1, पेज 323</ref> सूरा ए अम्बिया मे हज़रत इब्राहीम (अ), इस्हाक़ (अ), याक़ूब (अ) और लूत (अ) को इमाम कहा गया है।<ref>सूरा ए अम्बिया, आयात न 69 से 73 तक</ref> [[शियो के इमाम|इमाम सादिक (अ)]] से नक़्ल एक हदीस के अनुसार सभी ऊलुल अज़्म अम्बिया इमामत के पद पर भी नियुक्त थे।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 175</ref> | ||
===फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता=== | ===फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता=== | ||
शेक मुफ़ीद, इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश मोतज़ेला फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है। | शेक मुफ़ीद, इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश मोतज़ेला फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है।<ref>मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 49-50</ref> कुच हदीसे पैगंबर अकरम (स) और शियो के बारह इमामो को फरिश्तो पर फ़ज़ीलत देती है।<ref>सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254</ref> | ||
==किताब और शरीयत== | ==किताब और शरीयत== | ||
नबीयो मे से कुछ साहेब ए किताब (किताब वाले नबी) थे। कुरान की आयात के अनुसार [[ज़बूर]] हज़रत दाऊद | नबीयो मे से कुछ साहेब ए किताब (किताब वाले नबी) थे। कुरान की आयात के अनुसार [[ज़बूर]] हज़रत दाऊद, (अ)<ref>सूरा ए इस्रा, आयत न 55</ref> [[तौरात]] हज़रत मूसा (अ) [नोट 3], [[इंजील]] हज़रत ईसा (अ)<ref> सूरा ए हदीद, आयत न 27</ref> और [[क़ुरान]] हज़रत मुहम्मद (स)<ref>सूरा ए शूरा, आयत न 7</ref> की किताब है। क़ुरान ने हज़रत इब्राहीम के लिए किताब का नाम नही लिया लेकिन उनके लिए [["सोहोफ़"]] शब्द का प्रयोग किय है।<ref>सूरा ए आला, आयत न 19</ref> इसी प्रकार एक हदीस के अनुसार खुदावंद ने 50 सहीफ़े हज़रत शीस (अ), 30 सहीफ़े हज़रत इद्रीस (अ) और 20 सहीफ़े हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए भेजे।<ref>तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 524</ref> | ||
टीकाकारो ने [[सूरा ए शूरा]] की आयत न 13 [नोट 4] को ध्यान मे रखते हुए हज़रत नूह (अ), इब्राहीम (अ), मूसा (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स) को [[साहेबाने शरियात अम्बिया]] कहा है। | टीकाकारो ने [[सूरा ए शूरा]] की आयत न 13 [नोट 4] को ध्यान मे रखते हुए हज़रत नूह (अ), इब्राहीम (अ), मूसा (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स) को [[साहेबाने शरियात अम्बिया]] कहा है।<ref>सुदूक़, ओयून अल अखबार अल-रज़ा, भाग 2, पेज 80</ref> कुछ रिवायतो मे अम्बिया के ऊलुल अज़्म होने का कारण साहेब ए शरियत बताया है।<ref> तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141</ref> | ||
अल्लामा तबातबाई का कहना है कि ऊलुल अज़्म नबीयो मे से प्रत्येक साहेब शरियत नबी था। | अल्लामा तबातबाई का कहना है कि ऊलुल अज़्म नबीयो मे से प्रत्येक साहेब शरियत नबी था।<ref>सूरा ए निसा, आयत न 163</ref> उन्होने इस बात को भी कहा है कि हजरत दाऊद (अ),<ref>सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524</ref> शीस (अ) और इद्रीस (अ)<ref>तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141</ref> इत्यादि का ऊलुल अज़्म नबी न होने के बावजूद साहेब ए किताब होना ऊलुल अज़्म अम्बिया के साहेब शरियत होने के साथ किसी प्रकार का कोई मतभेद नही है क्योकि जो अम्बिया ऊलुल अज़्म नही है लेकिन उनपर नाजिल होने वाले किताबे अहकाम और शरियत पर आधारित नही थी।<ref>मुफ़ीद, अल-नुकातिल एतेक़ादिया, पेज 35</ref> | ||
==मोज्ज़ात (चमत्कार)== | ==मोज्ज़ात (चमत्कार)== | ||
चमत्कार के माध्यम से नबूवत के सच्चे दावेदारो को नबूवत के झूठे दावेदारो से अलग किया जाता है। मोज्ज़ा एक असाधारण कार्य है जो ईश्वर की ओर से एक नबी के हाथों प्रकट होता है और यह नबूवत के दावे और तहद्दी के साथ होता है। | चमत्कार के माध्यम से नबूवत के सच्चे दावेदारो को नबूवत के झूठे दावेदारो से अलग किया जाता है। मोज्ज़ा एक असाधारण कार्य है जो ईश्वर की ओर से एक नबी के हाथों प्रकट होता है और यह नबूवत के दावे और तहद्दी के साथ होता है।<ref>सूरा ए आराफ़, आयत न 73</ref> क़ुरान ने अम्बिया के कुछ मोज्ज़ात का उल्लेख किया है जैसे हज़रत [[सालेह (अ) की ऊँटनी]],<ref>सूरा ए अम्बिया, आयत न 69</ref> हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए अग्नि का ठंडा हो जाना,<ref>सूरा ए बक़रा, आयत न 260</ref> हज़रत इब्राहीम (अ) के हाथो चार पक्षीयो का जीवित होना,<ref>सूरा ए शौअरा, आयत न 32</ref> हज़रत मूसा (अ) के 9 मोज्ज़े जिनमे डंडे का अजगर मे परिवर्तित होना,<ref>सूरा ए बक़रा, आयत न 60</ref> फ़रज़ंदाने बनी इस्राईल के लिए 12 चश्मो का जारी होना,<ref>सूरा ए शौअरा, आयत न 63</ref> बनी इस्राईल की निजात के लिए दरिया मे मार्ग बनना,<ref>सूरा ए आराफ़, आयत न 108; सूरा ए ताहा, आयत न 22; सूरा ए शौअरा, आयत न 33; सूरा ए नमल, आयत न 12; सूरा ए क़िसस, आयत न 32</ref> [[यदे बैज़ा]],<ref>सूरा ए इमरान, आयत न 49; सूरा ए मायदा, आयत न 110</ref> हज़रत ईसा (अ) के चमत्कार जैसे रोगीयो को स्वस्थ करना, मृतको को जीवित करना, गीली मिट्टी का पक्षी मे परिवर्तित होना,<ref>सूरा ए तूर, आयत न 34</ref> और पैगंबर अकरम (स) के मोज्ज़ात जैसे कुरान करीम,<ref> सूरा ए क़मर, आयत न 1</ref> [[शक़्क़ुल क़मर]] (चंद्रमा के दो भाग होना)<ref>इब्ने जौज़ी, अल-मुनतज़म, भाग 15, पेज 129</ref> अम्बिया के प्रसिद्ध चमत्कारो मे से है जिनकी ओर कुरान ने इशारा किया है। सुन्नी टीकाकार इब्ने जोज़ी के अनुसार इस्लामी स्रोतो मे पैगंबर अकरम (स) के एक हज़ार मोज्ज़ात का उल्लेख है।<ref>तय्यब, अतयब उल-बयान, भाग 1, पेज 42</ref> | ||
अलग-अलग समय में लोगों की अलग-अलग जरूरतों और उनके ज्ञान के कारण चमत्कारों में भी अंतर पाया जाता है। हिकमते इलाही नबी के मुख़ातेबीन की आवश्यकता और उसके उपयुक्त मोज्ज़े को निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, हज़रत मूसा (अ) के समय में जादू-टोना किया जाता था, इसलिए परमेश्वर ने मूसा का मोज्ज़ा असा (डंडा) क़रार दिया ताकि जादूगर उस जैसा न कर सकें और दूसरो पर खुदा की हुज्जत तमाम हो जाए। | अलग-अलग समय में लोगों की अलग-अलग जरूरतों और उनके ज्ञान के कारण चमत्कारों में भी अंतर पाया जाता है। हिकमते इलाही नबी के मुख़ातेबीन की आवश्यकता और उसके उपयुक्त मोज्ज़े को निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, हज़रत मूसा (अ) के समय में जादू-टोना किया जाता था, इसलिए परमेश्वर ने मूसा का मोज्ज़ा असा (डंडा) क़रार दिया ताकि जादूगर उस जैसा न कर सकें और दूसरो पर खुदा की हुज्जत तमाम हो जाए।<ref>थानवी, मोअस्सेसा ए कश्शाफ़ इस्तेलाहात, मकतबा लबनान, भाग 1, पेज 141</ref> | ||
===इरहासात=== | ===इरहासात=== | ||
धर्मशास्त्रियो की दृष्टी मे [[अम्बिया की बेसत]] से पहले घटने वाली असाधारण घटनाओ को इरहासात कहा जाता है। | धर्मशास्त्रियो की दृष्टी मे [[अम्बिया की बेसत]] से पहले घटने वाली असाधारण घटनाओ को इरहासात कहा जाता है।<ref>जाफ़री, तफ़सीरे कौसर, भाग 3, पेज 300</ref> इनके प्रकट होने का कारण यह है कि अम्बिया की बेसत पश्चात लोग इनके जैसी घटनाओ के घटने की स्थिति मे स्वीकार करने की किसी प्रकार का सोच विचार न करें अर्थात इरहासात लोगो को असाधारण कार्यो को स्वीकार करने की तैयारी के उद्देश्य से होते थे। [[नील नदी]] से हजरत मूसा (अ) का निजात पाना, हजरत ईसा (अ) का पालने मे बात करना,<ref>इब्ने कसीर, अल-बिदाया वल-निहाया, भाग 2, पेज 268; याक़ूबी, तारीख़े अल-याक़ूबीत, दार ए सादिर, भाग 2, पेज 8</ref> [[ईरान]] मे [[सावा नदी]] का सूख जाना, [[महल्लाते कसरा]] का लरज़ना, [[फ़ारस के आतिश्कदे]] का बुझ जाना, और रसूल अल्लाह के जन्म के समय घटने वाली घटनाओ<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 15</ref> को पैगंबरो के इरहासात मे गणना की जाती है। | ||
==किताबो का परिचय== | ==किताबो का परिचय== | ||
मोहद्देसीन, मुफ़स्सेरीन और इस्लामी धर्मशास्त्रियो ने अपनी रचनाओ मे अम्बिया से संबंधित बातो का उल्लेख किया है। अल्लामा मजलिसी ने किताब [[बिहार उल-अनवार]] के चार खंड अम्बिया से संबंधित रिवायत | मोहद्देसीन, मुफ़स्सेरीन और इस्लामी धर्मशास्त्रियो ने अपनी रचनाओ मे अम्बिया से संबंधित बातो का उल्लेख किया है। अल्लामा मजलिसी ने किताब [[बिहार उल-अनवार]] के चार खंड अम्बिया से संबंधित रिवायत<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 15, पेज 24</ref> और बिहार उल-अनवार के 9 खंड को पैगंबर अकरम के इतिहास से मख़सूस किया है।<ref>सय्यद मुर्तज़ा, तनजीह उल-अम्बिया, पेज 34</ref> इसी प्रकार अम्बिया से संबंधित अलग-अलग किताबे भी लिखी गई है। अधिकांश [[क़ेससे अम्बिया]] के शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। उनमे से अधिकांश अम्बिया की जीवनी और उनसे संबंधित अकाइद की चर्चा की गई है। उनमे से कुछ के नाम निम्नलिखित हैः | ||
* [['''अल-नूर उल-मुबीन फ़ी क़ेसस इल अम्बिया-ए वल मुरसलीनः''']] इस किताब को [[नेमातुल्लाह जज़ाएरी]] (1050-1112हिजरी) ने लिखा। यह किताब शिया रिवायतो मे उल्लेखित होने वाली अम्बिया की जीवनी पर आधारित है। लेखक ने किताब की भूमीका मे अम्बिया की संख्या, उनमे पाई जानी वाली समानता, ऊलुल अज़्म अम्बिया, और नबी तथा इमाम के बीच पाए जाने वाले अंतर पर चर्चा की है। अस्ल किताब अरबी भाषा मे है जबकि इसका अनुवाद फ़ारसी भाषा मे भी प्रकाशित हो चुका है। | * [['''अल-नूर उल-मुबीन फ़ी क़ेसस इल अम्बिया-ए वल मुरसलीनः''']] इस किताब को [[नेमातुल्लाह जज़ाएरी]] (1050-1112हिजरी) ने लिखा। यह किताब शिया रिवायतो मे उल्लेखित होने वाली अम्बिया की जीवनी पर आधारित है। लेखक ने किताब की भूमीका मे अम्बिया की संख्या, उनमे पाई जानी वाली समानता, ऊलुल अज़्म अम्बिया, और नबी तथा इमाम के बीच पाए जाने वाले अंतर पर चर्चा की है। अस्ल किताब अरबी भाषा मे है जबकि इसका अनुवाद फ़ारसी भाषा मे भी प्रकाशित हो चुका है। | ||
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==फ़ुटनोट== | ==फ़ुटनोट== | ||
# सूरा ए मरयम, आयत न 56 وَاذْكُرْ فِی الْكِتَابِ إِدْرِیسَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّیقًا نَّبِیا | # सूरा ए मरयम, आयत न 56 وَاذْكُرْ فِی الْكِتَابِ إِدْرِیسَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّیقًا نَّبِیا | ||
# सूरा ए मरयम, आयत न 57 وَ رَفَعْناهُ مَكاناً عَلِيًّا के अंतर्गत | # सूरा ए मरयम, आयत न 57 وَ رَفَعْناهُ مَكاناً عَلِيًّا के अंतर्गत | ||
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# सूरा ए शूरा, आयत न 7(وَ كَذَالِكَ أَوْحَینَا إِلَیكَ قُرْءَانًا عَرَبِیا لِّتُنذِرَ أُمَّ الْقُرَی وَ مَنْ حَوْلهَا) | # सूरा ए शूरा, आयत न 7(وَ كَذَالِكَ أَوْحَینَا إِلَیكَ قُرْءَانًا عَرَبِیا لِّتُنذِرَ أُمَّ الْقُرَی وَ مَنْ حَوْلهَا) | ||
# सूरा ए सबा, आयत न 28(وَ ما أَرْسَلْناكَ إِلاَّ كَافَّةً لِلنَّاسِ بَشیراً وَ نَذیراً) | # सूरा ए सबा, आयत न 28(وَ ما أَرْسَلْناكَ إِلاَّ كَافَّةً لِلنَّاسِ بَشیراً وَ نَذیراً) | ||