सामग्री पर जाएँ

"हदीस अन नासो नियामुन": अवतरणों में अंतर

सम्पादन सारांश नहीं है
No edit summary
No edit summary
पंक्ति ९: पंक्ति ९:
ग़ज़ाली (मृत्यु: 505 हिजरी), एक [[मुस्लिम]] धर्मशास्त्री और आरिफ़, ने इस हदीस को एक उदाहरण के रूप में समझाया है: एक बच्चा माँ के गर्भ में होता है और दुनिया और नई जगहों को देखने के लिए बाहर आता है। जब यह बच्चा माँ के गर्भ से बाहर आया और उसने संसार के बड़े होने को देखा, तो क्या उसके लिए यह उचित है कि वह अपनी माँ के गर्भ में लौटना चाहे? ग़ज़ाली का मानना ​​है कि दुनिया और [[आख़िरत]] भी इसी तरह से हैं। एक व्यक्ति जो इस लोक से परलोक में जाता है और परलोक की महानता को देखता है, वह अब इस योग्य नहीं है कि वह इस लोक में वापस आ सके।[14]
ग़ज़ाली (मृत्यु: 505 हिजरी), एक [[मुस्लिम]] धर्मशास्त्री और आरिफ़, ने इस हदीस को एक उदाहरण के रूप में समझाया है: एक बच्चा माँ के गर्भ में होता है और दुनिया और नई जगहों को देखने के लिए बाहर आता है। जब यह बच्चा माँ के गर्भ से बाहर आया और उसने संसार के बड़े होने को देखा, तो क्या उसके लिए यह उचित है कि वह अपनी माँ के गर्भ में लौटना चाहे? ग़ज़ाली का मानना ​​है कि दुनिया और [[आख़िरत]] भी इसी तरह से हैं। एक व्यक्ति जो इस लोक से परलोक में जाता है और परलोक की महानता को देखता है, वह अब इस योग्य नहीं है कि वह इस लोक में वापस आ सके।[14]


[[शिया]] विद्वान और [[मुजतहिद]] [[जवादी आमोली]] ने "अल-नासो नियामुन ..." ने इस हदीस को समझाते हुए कहा है कि बहुत से लोग सोचते हैं कि उनके पास अपने लिए बहुत सी चीजें हैं; लेकिन जब वे मरने के क़रीब होते हैं तो उन्हें एहसास होता है कि उनके पास कुछ भी नहीं है। जिस प्रकार सोया हुआ व्यक्ति स्वप्न में बहुत सी चीजें देखता है और जागने के बाद उसे उनमें से कुछ भी दिखाई नहीं देता है।[15]
[[शिया]] विद्वान और [[मुजतहिद]] [[जवादी आमोली]] ने "अल-नासो नियामुन ..." ने इस [[हदीस]] को समझाते हुए कहा है कि बहुत से लोग सोचते हैं कि उनके पास अपने लिए बहुत सी चीजें हैं; लेकिन जब वे मरने के क़रीब होते हैं तो उन्हें एहसास होता है कि उनके पास कुछ भी नहीं है। जिस प्रकार सोया हुआ व्यक्ति स्वप्न में बहुत सी चीजें देखता है और जागने के बाद उसे उनमें से कुछ भी दिखाई नहीं देता है।[15]
confirmed, movedable
११,८९०

सम्पादन