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"हदीस अन नासो नियामुन": अवतरणों में अंतर

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[[नहज अल बलाग़ा|नहज अल-बलाग़ा]] में [[इमाम अली (अ.स.)]] का यह कथन कि "दुनिया के लोग एक कारवां की तरह हैं जिन्हे ले जायेगा उस समय जब वह सो रहे होगें" [5] को [[हदीस]] "अल-नासो नियामुन ..." के समान अर्थ के रूप में लिया गया है। [6] शब्द "इंतिबाह" मूल रूप से, इसका मतलब सूचित करना है, और इस कथन में, इसका मतलब जागना है। [7] किताब गुलशने में, यह छंद "आप नींद में हैं और यह देखना एक कल्पना है", [8] [[इस्लाम|इस्लामी]] इरफ़ानी कविताओं से से एक, को इस हदीस का रूपांतरण माना गया है। [9]
[[नहज अल बलाग़ा|नहज अल-बलाग़ा]] में [[इमाम अली (अ.स.)]] का यह कथन कि "दुनिया के लोग एक कारवां की तरह हैं जिन्हे ले जायेगा उस समय जब वह सो रहे होगें" [5] को [[हदीस]] "अल-नासो नियामुन ..." के समान अर्थ के रूप में लिया गया है। [6] शब्द "इंतिबाह" मूल रूप से, इसका मतलब सूचित करना है, और इस कथन में, इसका मतलब जागना है। [7] किताब गुलशने में, यह छंद "आप नींद में हैं और यह देखना एक कल्पना है", [8] [[इस्लाम|इस्लामी]] इरफ़ानी कविताओं से से एक, को इस हदीस का रूपांतरण माना गया है। [9]
कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि "अल-नासो नियामुन ..." का वर्णन जबरन और भौतिक मृत्यु दोनों को संदर्भित करता है और इसमें इरफ़ानी अर्थ में मृत्यु भी शामिल है जो इस दुनिया में जीवन के दौरान प्राप्त होती है। [11] इस कारण से, कुछ का मानना ​​है कि यह कथन सलाह देता है कि नींद से जागने (बेदार होने) को मृत्यु के दिन तक नहीं छोड़ा जाना चाहिए। [12] [[शिया]] विद्वान और दार्शनिक [[मुल्ला सदरा]] ने इस कथन का उपयोग इस दावे का खंडन करने के लिए किया कि मृत्यु शून्य है और कहा है कि यह कथन इस बात का प्रमाण है कि मृत्यु एक प्रकार की जागृति की है, अस्तित्वहीनता या शून्य होना नही है। [13]
confirmed, movedable
११,८९०

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