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('{{Infobox Sura |शीर्षक = सूर ए अंफ़ाल |नाम = सूर ए अंफ़ाल |सूरह की संख्या = 8 |चित्र = سوره انفال.jpg |चित्र का आकार = |चित्र का शीर्षक = |भाग = 9 और 10 |आयत = |मक्की / मदनी = मदनी |नाज़िल होने का क्रम = 88 |आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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== कुछ आयतों का शाने नुज़ूल == | == कुछ आयतों का शाने नुज़ूल == | ||
== आयात उल-अहकाम == | |||
न्यायविदों ने [[न्यायशास्त्र|न्यायशास्त्रीय]] [[शरई अहकाम|अहकाम]] प्राप्त करने के लिए सूर ए अंफ़ाल की कुछ आयतों का उपयोग किया है जिनमें: अंफ़ाल के अहकाम के बारे में आयत 1, पानी की शुद्धि के बारे में आयत 11, जिहाद और उसके अहकाम के बारे में आयत 15, 57, 60, 66, 67 और [[खुम्स]] के बारे में आयत 41 शामिल हैं। जिन आयतों में या तो [[शरई अहकाम|शरिया हुक्म]] होता है या हुक्म निकालने की प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है, उन्हें [[अहकाम वाली आयतें|आयात उल-अहकाम]] कहा जाता है।[37] सूर ए अंफ़ाल की कुछ आयात उल-अहकम का उल्लेख निम्नलिखित तालिका में किया गया है: | |||
{| class="wikitable" | |||
|+ अहकाम वाली आयतें | |||
|- | |||
! आयत संख्या !! आयत का हिन्दी उच्चारण !! अध्याय !! विषय !! आयत का अरबी उच्चारण | |||
|- | |||
| 1 || यस्अलूनका अनिल अंफ़ाले क़ुलिल अंफ़ालो लिल्लाहे वर्रसूले... || ख़ुम्स || अंफ़ाल के मालिक का निर्धारण; आय ए अंफ़ाल के नाम से प्रसिद्ध || يَسْأَلُونَكَ عَنِ الْأَنفَالِ ۖ قُلِ الْأَنفَالُ لِلَّـهِ وَالرَّسُولِ... | |||
|- | |||
| 11 || …व युनज़्ज़ेलो अलैकुम मिनस्समाए माअन ले योतह्हेरकुम.. || तहारत || शुद्ध जल की शुद्धता (वर्षा जल) || ...وَيُنَزِّلُ عَلَيْكُم مِّنَ السَّمَاءِ مَاءً لِّيُطَهِّرَكُم... | |||
|- | |||
| 15-16 || या अय्योहल लज़ीना आमनू एज़ा लक़ीतोमुल लज़ीना कफ़रू ज़ह्फ़न फ़ला तोवल्लूहुम अल अदबार.... || जिहाद || बचाव की तैयारी || يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا لَقِيتُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوهُمُ الْأَدْبَارَ... | |||
|- | |||
| 27 || या अय्योहल लज़ीना आमनू ला तख़ूनुल्लाहा वर रसूला व तख़ूनू अमानातेकुम.. || अमानत || अमानत का वापस करना || يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَخُونُوا اللَّـهَ وَالرَّسُولَ وَتَخُونُوا أَمَانَاتِكُمْ... | |||
|- | |||
| 38 || क़ुल लिल्लज़ीना कफ़रू इन यन्तहू युग़फ़र लहुम मा क़द सलफ़ व इन यऊदू फ़क़द मज़त सुन्नतुल अव्वलीना || इबादात || ईश्वरीय कर्तव्यों पर अविश्वासियों की बाध्यता || قُل لِّلَّذِينَ كَفَرُوا إِن يَنتَهُوا يُغْفَرْ لَهُم مَّا قَدْ سَلَفَ وَإِن يَعُودُوا فَقَدْ مَضَتْ سُنَّتُ الْأَوَّلِينَ | |||
|- | |||
| 41 || वअलमू अन्नमा ग़निम्तुम मिन शैइन फ़इन्ना लिल्लाहे ख़ोमोसहु व लिर्रसूले वलेज़िल क़ुर्बा.... || ख़ुम्स || ख़ुम्स और उसके उपयोग के तरीक़े, आय ए ख़ुम्स के नाम से प्रसिद्ध || وَاعْلَمُوا أَنَّمَا غَنِمْتُم مِّن شَيْءٍ فَأَنَّ لِلَّـهِ خُمُسَهُ وَلِلرَّسُولِ وَلِذِي الْقُرْبَىٰ ... | |||
|- | |||
| 57 || फ़इम्मा तस्क़फ़न्नहुम फ़िल हर्बे फ़शर्रिद बेहिम मिन ख़ल्फ़हुम... || जिहाद || काफ़िर हरबी से कैसे निपटें || فَإِمَّا تَثْقَفَنَّهُمْ فِي الْحَرْبِ فَشَرِّدْ بِهِم مَّنْ خَلْفَهُمْ... | |||
|- | |||
| 60 || व अइद्दू लहुम मस्ततअतुम मिन क़ुव्वतिन व मिन रेबातिल ख़ैले तुर्हेबूना बेही अदूवल्लाहे वअदूवकुम... || जिहाद || बचाव की तैयारी || وَأَعِدُّوا لَهُم مَّا اسْتَطَعْتُم مِّن قُوَّةٍ وَمِن رِّبَاطِ الْخَيْلِ تُرْهِبُونَ بِهِ عَدُوَّ اللَّـهِ وَعَدُوَّكُمْ ... | |||
|- | |||
| 66 || अलआना ख़फ़्फ़फ़ल्लाहो अन्कुम व अलेमा अन्ना फ़ीकुम ज़अफ़न.. || जिहाद || युद्ध से भागना || الْآنَ خَفَّفَ اللَّـهُ عَنكُمْ وَعَلِمَ أَنَّ فِيكُمْ ضَعْفًا.. | |||
|- | |||
| 67 || मा काना ले नबीइन अन यकूना लहू असरा हत्ता युस्ख़ेना फ़िल अर्ज़े.. || जिहाद || युद्धबंदियों का आदेश || مَا كَانَ لِنَبِيٍّ أَن يَكُونَ لَهُ أَسْرَىٰ حَتَّىٰ يُثْخِنَ فِي الْأَرْضِ.. | |||
|- | |||
| 69 || फ़कोलू मिम्मा ग़निम्तुम हलालन तय्येबन... || लूट का माल || प्राप्त लूट में सभी योद्धाओं की भागीदारी || فَكُلُوا مِمَّا غَنِمْتُمْ حَلَالًا طَيِّبًا... | |||
|- | |||
| 72 || इन्नल लज़ीना आमनू व हाजरू व जाहदू बे अम्वालेहिम व अन्फ़ोसेहिम फ़ी सबीलिल्लाहे वल्लज़ीना आवव..... || जिहाद || जिहाद के अहकाम || إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَهَاجَرُوا وَجَاهَدُوا بِأَمْوَالِهِمْ وَأَنفُسِهِمْ فِي سَبِيلِ اللَّـهِ وَالَّذِينَ آوَوا... | |||
|- | |||
| 75 || ....व उलुल अरहामे बअज़ोहुम औला बेबअज़िन फ़ी किताबिल्लाहे... || विरासत || धार्मिक भाइयों के बीच विरासत का रद्दीकरण || ...وَأُولُو الْأَرْحَامِ بَعْضُهُمْ أَوْلَىٰ بِبَعْضٍ فِي كِتَابِ اللَّـهِ... | |||
|} | |||
== गुण == | |||
सूर ए अंफ़ाल को पढ़ने के गुण बारे में, [[हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम|पैग़म्बर (स)]] से यह वर्णित किया गया है: "जो कोई भी सूर ए अंफ़ाल और [[सूर ए तौबा]] को पढ़ता है, मैं [[क़यामत]] के दिन उसके लिए एक मध्यस्थ (शफ़ीई) और गवाह बनूंगा कि वह [[पाखंडी|पाखंड]] से दूर था और दुनिया में मौजूद पाखंडी सभी पुरुषों और महिलाओं के बराबर दस अच्छे कर्म (हस्ना) उसे दिए जाएंगे, और उसके दस [[पाप]] क्षमा कर दिए जाएंगे, और उसे दस पद ऊपर ले जाया जाएगा, और अर्श और उसके धारक इस संसार में उसके जीवन के दौरान उसे शुभकामनाएँ भेजेंगे।" [38] [[इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम|इमाम सादिक़ (अ)]] से वर्णित हुआ है कि जो कोई भी सूर ए अंफ़ाल और सूर ए तौबा को पढ़ता है, उसके दिल में कभी भी पाखंड नहीं आएगा, और उसे [[इमाम अली अलैहिस सलाम|अमीरुल मोमिनीन (अ)]] के [[शिया|शियों]] में से एक माना जाएगा।[39] | |||
[[तफ़सीर अल बुरहान]] में इस सूरह को पढ़ने से दुश्मन पर जीत और [[क़र्ज़]] चुकाने जैसे गुणों का उल्लेख किया गया है।[40] [[काशिफ़ उल ग़ेता]] ने इस सूरह को हर महीने पढ़ना [[मुस्तहब]] माना है। | |||
:''यह भी देखें:'' [[सूरों के फ़ज़ाइल]] | |||
== फ़ुटनोट == | |||
{{फ़ुटनोट}} | |||
# सफ़वी, "सूर ए अंफ़ाल", पृष्ठ 697। | |||
# सियूति, अल इत्क़ान, 1421 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 197। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान, 1390 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 795। | |||
# तबरी, तारीख तबरी, 1417 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 199। | |||
# हुसैनी ज़ादेह और खामेगर, "सूर ए अंफ़ाल", पृष्ठ 24। | |||
# मारेफ़त, आमोज़िशे उलूमे क़ुरआन, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 166। | |||
# हुसैनी ज़ादेह और खामेगर, "सूर ए अंफ़ाल", पृष्ठ 24। | |||
# ख़ुर्रमशाही, "सूर ए अंफ़ाल", पृष्ठ 1238। | |||
# आलूसी, रूह अल मआनी, 1415 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 230। | |||
# सियूति, अल दुर अल मंसूर, 1404 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 120। | |||
# सियूती, अल दुर अल मंसूर, 1404 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 120; अल नह्हास, अल नासिख़ व मंसूख, 1408 हिजरी, पृष्ठ 478। | |||
# हुसैनी ज़ादेह और खामेगर, "सूर ए अंफ़ाल", पृष्ठ 26। | |||
# मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 77 और 78। | |||
# तबातबाई, अल मीज़ान, 1390 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 5। | |||
# सूर ए अंफ़ाल, आयत 1। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 796; वाहेदी, असबाबे नुज़ूले अल कुरआन, 1411 हिजरी, पृष्ठ 235; मोहक़्क़िक़, नमूने बयानात दर शाने नुज़ूल आयात, 1361 शम्सी, पृष्ठ 365। | |||
# सूर ए अंफ़ाल, आयत 17। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 814। | |||
# मोहसिन, तफ़सीरे नूर, ज़ैल ए आयत मरकज़े फ़र्हंगी दर्सहाए अज़ क़ुरआन, 1383 शम्सी, 11वां संस्करण। | |||
# सूर ए अंफ़ाल, आयत 27। | |||
# तूसी, अल तिब्यान, दार इह्या अल तोरास अल अरबी, खंड 5, पृष्ठ 106। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 823; वाहेदी, असबाब नुज़ूल अल क़ुरआन, 1411 हिजरी, पृष्ठ 238। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान 1415 हिजरी, क़ुम, खंड 4, पृष्ठ 495; वाहेदी, असबाबे नुज़ूल अल क़ुरआन, 1412 हिजरी, पृष्ठ 241। | |||
# तबातबाई, अल मीज़ान, 1390 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 11। | |||
# तबातबाई, अल मीज़ान, 1390 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 11। | |||
# मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 86। तबातबाई, अल मीज़ान, 1391 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 11। | |||
# मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1371 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 127। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 820। | |||
# तबातबाई, अल मीज़ान, 1391 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 44 और 45। | |||
# मारेफ़त, अल तम्हीद, 1411 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 355। | |||
# अबुल फ़ुतूह राज़ी, रौज़ा अल जिनान, 1408 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 143; सादेक़ी तेहरानी, फुरक़ान, 1406 हिजरी, खंड 12, पृष्ठ 278। | |||
# क़र्शी बनाई, अहसन अल हदीस, 1375 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 160। | |||
# अल्लामा हिल्ली, नहज उल हक़, 1407 हिजरी, पृष्ठ 185। | |||
# खोरासानी, "आयाते नामदार", पृष्ठ 405। | |||
# मुत्तक़ी हिंदी, कंज़ल उल उम्माल, 1413 हिजरी, खंड 11, पृष्ठ 624। | |||
# मोईनी, "आयात अल अहकाम", पृष्ठ 1। | |||
# तबरसी, मजमा उल बयान, 1377 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 6। | |||
# इब्ने बाबवैह, सवाब अल आमाल, 1382 शम्सी, पृष्ठ 106। | |||
# बहरानी, तफ़सीर अल बुरहान, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 639। | |||
# काशिफ़ उल ग़ेता, कशफ़ उल ग़ेता, 1422 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 471। | |||
== स्रोत == | |||
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