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"सूर ए तग़ाबुन": अवतरणों में अंतर

('{{Infobox Sura |शीर्षक = सूर ए तग़ाबुन |नाम = सूर ए तग़ाबुन |सूरह की संख्या = 64 |चित्र =سوره تغابن.jpg |चित्र का आकार = |चित्र का शीर्षक = |भाग = 28 |आयत = |मक्की / मदनी = मदनी |नाज़िल होने का क्रम = 110 |आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
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== प्रसिद्ध आयतें ==
== प्रसिद्ध आयतें ==
* '''يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ وَأَوْلَادِكُمْ عَدُوًّا لَكُمْ فَاحْذَرُوهُمْ ۚ وَإِنْ تَعْفُوا وَتَصْفَحُوا وَتَغْفِرُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ'''
* <big>'''يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ وَأَوْلَادِكُمْ عَدُوًّا لَكُمْ فَاحْذَرُوهُمْ ۚ وَإِنْ تَعْفُوا وَتَصْفَحُوا وَتَغْفِرُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ'''</big>


(या अय्योहल लज़ीना आमनू इन्ना मिन अज़्वाजेकुम व औलादेकुम अदूवन लकुम फ़हज़रूहुम व इन तअफ़ू व तस्फ़हू व तग़्फ़ेरू फ़इन्नल्लाहा ग़फ़ूरुन रहीमुन)
(या अय्योहल लज़ीना आमनू इन्ना मिन अज़्वाजेकुम व औलादेकुम अदूवन लकुम फ़हज़रूहुम व इन तअफ़ू व तस्फ़हू व तग़्फ़ेरू फ़इन्नल्लाहा ग़फ़ूरुन रहीमुन)
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मुजाहिद कहते हैं: यह ऐसे लोगों के बारे में नाज़िल हुई है जो ईश्वर का पालन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया।
मुजाहिद कहते हैं: यह ऐसे लोगों के बारे में नाज़िल हुई है जो ईश्वर का पालन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया।


* '''إِنَّمَا أَمْوَالُكُمْ وَأَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ۚ وَاللَّـهُ عِندَهُ أَجْرٌ‌ عَظِيمٌ'''
* <big>'''إِنَّمَا أَمْوَالُكُمْ وَأَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ۚ وَاللَّـهُ عِندَهُ أَجْرٌ‌ عَظِيمٌ'''</big>


(इन्नमा अम्वालोकुम व औलादोकुम फ़ित्नतुन वल्लाहो इन्दहू अजरुन अज़ीमुन) (आयत 15)
(इन्नमा अम्वालोकुम व औलादोकुम फ़ित्नतुन वल्लाहो इन्दहू अजरुन अज़ीमुन) (आयत 15)
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14वीं आयत में ईश्वर कुछ पत्नियों और बच्चों को मनुष्य के शत्रु के रूप में प्रस्तुत करता है और इस आयत में वह उन सभी को प्रलोभन (फ़ित्ना) का स्रोत मानता है।[13] फ़ित्ना का अर्थ है कष्ट, समस्याएँ, विपत्तियाँ और ऐसी चीज़ें जिनमें एक व्यक्ति फंस जाता है और परीक्षणों का कारण बनता है।[14] तफ़सीरों में कहा गया है कि संपत्ति और बच्चे परीक्षण के सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से हैं[15] क्योंकि इंसान को बच्चों का और दौलत का प्यार उसे [[आख़िरत]] के चुनाव और इन दोनों (संपत्ति और औलाद) के बीच दोराहे पर खड़ा कर देती है। [[तफ़सीर अल मीज़ान]] के अनुसार, यह आयत विडंबनापूर्ण है कि धन और बच्चों के माध्यम से भगवान की उपेक्षा करना और भगवान के सामने धन और बच्चों के प्रति मोह को मना करना है।[16] [[इमाम अली अलैहिस सलाम|अमीरुल मोमिनीन अली (अ)]] से वर्णित है, मत कहो, हे भगवान, हम प्रलोभन और परीक्षण से तुम्हारी शरण चाहते हैं; क्योंकि हर कोई इससे पीड़ित है, लेकिन हम भ्रामक फ़ित्नों से भगवान की शरण लेते हैं।[17]
14वीं आयत में ईश्वर कुछ पत्नियों और बच्चों को मनुष्य के शत्रु के रूप में प्रस्तुत करता है और इस आयत में वह उन सभी को प्रलोभन (फ़ित्ना) का स्रोत मानता है।[13] फ़ित्ना का अर्थ है कष्ट, समस्याएँ, विपत्तियाँ और ऐसी चीज़ें जिनमें एक व्यक्ति फंस जाता है और परीक्षणों का कारण बनता है।[14] तफ़सीरों में कहा गया है कि संपत्ति और बच्चे परीक्षण के सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से हैं[15] क्योंकि इंसान को बच्चों का और दौलत का प्यार उसे [[आख़िरत]] के चुनाव और इन दोनों (संपत्ति और औलाद) के बीच दोराहे पर खड़ा कर देती है। [[तफ़सीर अल मीज़ान]] के अनुसार, यह आयत विडंबनापूर्ण है कि धन और बच्चों के माध्यम से भगवान की उपेक्षा करना और भगवान के सामने धन और बच्चों के प्रति मोह को मना करना है।[16] [[इमाम अली अलैहिस सलाम|अमीरुल मोमिनीन अली (अ)]] से वर्णित है, मत कहो, हे भगवान, हम प्रलोभन और परीक्षण से तुम्हारी शरण चाहते हैं; क्योंकि हर कोई इससे पीड़ित है, लेकिन हम भ्रामक फ़ित्नों से भगवान की शरण लेते हैं।[17]


* '''إِن تُقْرِ‌ضُوا اللَّـهَ قَرْ‌ضًا حَسَنًا يُضَاعِفْهُ لَكُمْ'''
* <big>'''إِن تُقْرِ‌ضُوا اللَّـهَ قَرْ‌ضًا حَسَنًا يُضَاعِفْهُ لَكُمْ'''</big>


(इन तुक़रेज़ुल्लाहा क़र्ज़न हसनन योज़ाइफ़्हो लकुम) (आयत 17)
(इन तुक़रेज़ुल्लाहा क़र्ज़न हसनन योज़ाइफ़्हो लकुम) (आयत 17)
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