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"हदीस सक़लैन": अवतरणों में अंतर

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:''यह लेख हदीस सक़लैन के बारे में है। सक़लैन शब्द के बारे में जानने के लिए [[सक़लैन]] की प्रविष्टि देखें।''
:''यह लेख हदीस सक़लैन के बारे में है। सक़लैन शब्द के बारे में जानने के लिए [[सक़लैन]] की प्रविष्टि देखें।''
[[चित्र:روایت ثقلین- انی تارک فیکم الثقلین.jpg|350px|अंगूठाकार|हदीस सक़लैन]]
{{Infobox Hadiths
|शीर्षक = हदीस सक़लैन
|चित्र = روایت ثقلین- انی تارک فیکم الثقلین.jpg
|चित्र का विवरण =
|अन्य नाम =
|विषय = [[क़ुरआन]] और [[अहले बैत (अ)]] की स्थिति
|किस से नक़्ल हुई = [[हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम|पैग़म्बर (स)]]
|मुख्य वक्ता =
|कथावाचक = [[इमाम अली अलैहिस सलाम|इमाम अली (अ)]], [[इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस सलाम|इमाम हसन (अ)]], [[इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम|इमाम सादिक़ (अ)]], अबूज़र, ज़ैद बिन अरकम,अबू सईद ख़ुदरी, ज़ैद बिन साबित, जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी और होज़ैफ़ा बिन उसैद...
|दस्तावेज़ की वैधता =[[मुत्वातिर]], सहीह
|शिया स्रोत = [[अलकाफ़ी (पुस्तक)|अल काफ़ी]], बसाएर अल दराजात, केफ़ाया अल असर, उयून अख़्बार अल रज़ा, तफ़्सीर अल क़ुमी..
|सुन्नी स्रोत = सहीह मुस्लिम, सुनन नेसाई, सुनन तिर्मिज़ी, सुनन दारमी, मुसनद अहमद बिन हंबल, मुस्तद्रक हाकिम नीशापुरी
|कुरआन से प्रमाण =
|कथा पुष्टि =
}}
हदीस सक़लैन या सिक़लैन, [[क़ुरआन]] और [[अहले बैत (अ)]] की मार्गदर्शन स्थिति और उनका पालन करने की आवश्यकता के बारे में [[हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम|इस्लाम के पैग़म्बर (स)]] की एक प्रसिद्ध और [[मुत्वातिर हदीस]] है। इस हदीस के अनुसार, कुरआन और अहले बैत, दो अनमोल चीजों के रूप में, जो हमेशा एक दूसरे के साथ हैं यहाँ तक कि [[हौज़े कौसर]] के किनारे पैग़म्बर (स) से मिलेंगे।
हदीस सक़लैन या सिक़लैन, [[क़ुरआन]] और [[अहले बैत (अ)]] की मार्गदर्शन स्थिति और उनका पालन करने की आवश्यकता के बारे में [[हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम|इस्लाम के पैग़म्बर (स)]] की एक प्रसिद्ध और [[मुत्वातिर हदीस]] है। इस हदीस के अनुसार, कुरआन और अहले बैत, दो अनमोल चीजों के रूप में, जो हमेशा एक दूसरे के साथ हैं यहाँ तक कि [[हौज़े कौसर]] के किनारे पैग़म्बर (स) से मिलेंगे।


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सुन्नी विद्वानों में से एक, इब्ने हजर हैसमी भी लिखते हैं कि हदीस सक़लैन के लिए अलग-अलग समय और स्थानों का उल्लेख किया गया है, जिनमें शामिल हैं: हज अल वेदा, पैग़म्बर (स) की बीमारी के दौरान मदीना, [[ग़दीर ख़ुम]], और ताइफ़ से लौटने के बाद एक उपदेश में। उनके अनुसार, इन दस्तावेज़ों और अलग-अलग समय और स्थानों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है; क्योंकि यह संभव है कि पैग़म्बर ने [[क़ुरआन]] और इतरत की गरिमा और स्थिति पर ध्यान देने के लिए इस हदीस को विभिन्न स्थानों पर बयान किया हो।<ref>इब्ने हजर हैसमी, अल-सवाइक अल-मुहर्रक़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 440।</ref>
सुन्नी विद्वानों में से एक, इब्ने हजर हैसमी भी लिखते हैं कि हदीस सक़लैन के लिए अलग-अलग समय और स्थानों का उल्लेख किया गया है, जिनमें शामिल हैं: हज अल वेदा, पैग़म्बर (स) की बीमारी के दौरान मदीना, [[ग़दीर ख़ुम]], और ताइफ़ से लौटने के बाद एक उपदेश में। उनके अनुसार, इन दस्तावेज़ों और अलग-अलग समय और स्थानों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है; क्योंकि यह संभव है कि पैग़म्बर ने [[क़ुरआन]] और इतरत की गरिमा और स्थिति पर ध्यान देने के लिए इस हदीस को विभिन्न स्थानों पर बयान किया हो।<ref>इब्ने हजर हैसमी, अल-सवाइक अल-मुहर्रक़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 440।</ref>


शिया और सुन्नी स्रोतों में पैग़म्बर (स) से इस हदीस के प्रसारण के लिए उल्लिखित अलग-अलग समय और स्थान इस प्रकार हैं:
[[शिया]] और सुन्नी स्रोतों में पैग़म्बर (स) से इस हदीस के प्रसारण के लिए उल्लिखित अलग-अलग समय और स्थान इस प्रकार हैं:


[[हज अल वेदा]] से लौटते समय [[ग़दीर ख़ुम]] में;<ref>सदूक़, कमाल अल-दीन व तमाम अल-नेअमा देखें, 1395 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 234, हदीस. 45, पृष्ठ 238, हदीस 55; इब्ने अबी आसिम, किताब अल-सुन्नत, 1413 हिजरी, पृष्ठ 630; हाकिम नीशापुरी, अल-मुस्तद्रक अला अल-सहीहैन, 1411 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 118; तबरानी, अल-मोजम अल-कबीर, 1405 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 186; सम्हूदी, जवाहिर अल अक़दैन फ़ी फ़ज़ल अल-शरीफ़ैन, 1405 हिजरी, खंड 2, पहला भाग, पृष्ठ 86।</ref>
[[हज अल वेदा]] से लौटते समय [[ग़दीर ख़ुम]] में;<ref>सदूक़, कमाल अल-दीन व तमाम अल-नेअमा देखें, 1395 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 234, हदीस. 45, पृष्ठ 238, हदीस 55; इब्ने अबी आसिम, किताब अल-सुन्नत, 1413 हिजरी, पृष्ठ 630; हाकिम नीशापुरी, अल-मुस्तद्रक अला अल-सहीहैन, 1411 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 118; तबरानी, अल-मोजम अल-कबीर, 1405 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 186; सम्हूदी, जवाहिर अल अक़दैन फ़ी फ़ज़ल अल-शरीफ़ैन, 1405 हिजरी, खंड 2, पहला भाग, पृष्ठ 86।</ref>
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