"अस्ल अल-शिया व उसूलुहा (किताब)": अवतरणों में अंतर
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काशिफ़ अल-गे़ता ने [[मुसलमानों]] की एक-दूसरे के प्रति अज्ञानता को ख़त्म करने और उनके बीच दुश्मनी को रोकने के लिए असल अल-शिया व उसूलुहा किताब लिखी। | काशिफ़ अल-गे़ता ने [[मुसलमानों]] की एक-दूसरे के प्रति अज्ञानता को ख़त्म करने और उनके बीच दुश्मनी को रोकने के लिए असल अल-शिया व उसूलुहा किताब लिखी।<ref> काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसुलुहा, 1413 एएच, पृष्ठ 22।</ref> असल अल-शिया व उसूल पुस्तक के परिचय में, उन्होंने लिखा है कि इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा [[शिया]] धर्म की सच्चाई के बारे में [[सुन्नी]] विद्वानों और आम लोगों की अज्ञानता और इस धर्म के बारे में उनकी ग़लत धारणाएं थीं।<ref> काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसुलुहा, 1413 एएच, पीपी 17-21।</ref> उन्होंने इराक़ी छात्रों के माध्यम से [[मिस्र]], सीरिया और [[इराक़]] के कुछ क्षेत्रों की यात्रा की और इन क्षेत्रों के सुन्नी विद्वानों और आम लोगों से मुलाक़ात की तो उन्हे ज्ञात हुआ कि वे शियों को [[मुसलमान]] नहीं मानते हैं और शिया धर्म को [[इस्लाम]] के दुश्मनों द्वारा बनाया गया मानते हैं।<ref> काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसुलुहा, 1413 एएच, पीपी. 17-22।</ref> इसी तरह से, मिस्र के लेखक [[अहमद अमीन]] (मृत्यु: 1373 हिजरी) द्वारा लिखित किताब फ़ज्र अल-इस्लाम का अध्ययन करने के बाद उन्हे एहसास हुआ कि वे शिया धर्म को इस्लाम पर हमला करने का आधार और इसके विनाश का कारण मानते हैं। है।<ref> काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसुलुहा, 1413 एएच, पीपी. 19-20।</ref> | ||
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