"तौबा का ग़ुस्ल": अवतरणों में अंतर
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तौबा के ग़ुस्ल को तौबा के अनुष्ठानों (आदाबे तौबा) में से एक माना गया है।<ref>शोधकर्ताओं का एक समूह, मौसूआ अल फ़िक़्ह अल इस्लामी, 1423 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 67।</ref> इस ग़ुस्ल का उल्लेख [[न्यायशास्त्र]] की पुस्तकों में, [[तहारत]] के अध्याय में, ग़ुस्ल के अनुभाग में और मुस्तहब ग़ुस्ल के प्रकार के अनुभाग में किया गया है।<ref>बहरुल उलूम, मसाबीह अल अहकाम, 1385 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 507।</ref> नैतिकता (अख़्लाक़)<ref>मदनी, रेयाज़ अल सालेक़ीन, खंड 4, पृष्ठ 382।</ref> और व्यावहारिक रहस्यवाद (इरफ़ाने अमली)<ref>बहरुल-उलूम, रेसाला सैर व सुलूक, 1418 हिजरी, पृष्ठ 213; हुसैनी तेहरानी, लुब अल लोबाब, 1419 हिजरी, पृष्ठ 92।</ref> पर लिखी कुछ पुस्तकों में तौबा का ग़ुस्ल करने का भी उल्लेख किया गया है। | तौबा के ग़ुस्ल को तौबा के अनुष्ठानों (आदाबे तौबा) में से एक माना गया है।<ref>शोधकर्ताओं का एक समूह, मौसूआ अल फ़िक़्ह अल इस्लामी, 1423 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 67।</ref> इस ग़ुस्ल का उल्लेख [[न्यायशास्त्र]] की पुस्तकों में, [[तहारत]] के अध्याय में, ग़ुस्ल के अनुभाग में और मुस्तहब ग़ुस्ल के प्रकार के अनुभाग में किया गया है।<ref>बहरुल उलूम, मसाबीह अल अहकाम, 1385 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 507।</ref> नैतिकता (अख़्लाक़)<ref>मदनी, रेयाज़ अल सालेक़ीन, खंड 4, पृष्ठ 382।</ref> और व्यावहारिक रहस्यवाद (इरफ़ाने अमली)<ref>बहरुल-उलूम, रेसाला सैर व सुलूक, 1418 हिजरी, पृष्ठ 213; हुसैनी तेहरानी, लुब अल लोबाब, 1419 हिजरी, पृष्ठ 92।</ref> पर लिखी कुछ पुस्तकों में तौबा का ग़ुस्ल करने का भी उल्लेख किया गया है। | ||
[[अल उर्वा अल वुस्क़ा पुस्तक]] के लेखक [[सय्यद मुहम्मद काज़िम यज़्दी]] के अनुसार, न्यायविदों के एक समूह ने [[तवाफ़]] के ग़ुस्ल की तरह पश्चाताप के ग़ुस्ल को विशेष अधिनियम से पहले मुस्तहब ग़ुस्ल में से एक माना है, और एक समूह ने इसे ऐसे ग़ुस्लों में से माना है जैसे कि [[ग्रहण की नमाज़]] अदा करने का ग़ुस्ल, जो एक विशिष्ट कार्य करने के बाद मुस्तहब होता है।<ref>तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृ. 156 और 157।</ref> | [[अल उर्वा अल वुस्क़ा पुस्तक]] के लेखक [[सय्यद मुहम्मद काज़िम यज़्दी]] के अनुसार, न्यायविदों के एक समूह ने [[तवाफ़]] के ग़ुस्ल की तरह पश्चाताप के ग़ुस्ल को विशेष अधिनियम से पहले मुस्तहब ग़ुस्ल में से एक माना है, और एक समूह ने इसे ऐसे ग़ुस्लों में से माना है जैसे कि [[नमाज़े आयात|ग्रहण की नमाज़]] अदा करने का ग़ुस्ल, जो एक विशिष्ट कार्य करने के बाद मुस्तहब होता है।<ref>तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृ. 156 और 157।</ref> | ||
== मुस्तहब होना == | == मुस्तहब होना == |