सामग्री पर जाएँ

"इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

पंक्ति ६९: पंक्ति ६९:
*'''समकालीन ख़लीफ़ा'''
*'''समकालीन ख़लीफ़ा'''


इमाम हादी (अ.स.) 33 वर्षों तक इमामत के प्रभारी रहे (220-254 हिजरी) <ref>  मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 297; तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> इस अवधि के दौरान, कई अब्बासी ख़लीफ़ा सत्ता में आए। उनकी इमामत की शुरुआत मोअतसिम की खिलाफ़त के साथ हुई और इसका अंत मोअतज़ की खिलाफ़त के साथ हुआ। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> लेकिन, इब्न शहर आशोब ने उनकी इमामत के अंत का समय मोअतमिद के ज़माने में माना है। <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 एएच, खंड 4, पृष्ठ 401।</ref>
इमाम हादी (अ.स.) 33 वर्षों तक इमामत के प्रभारी रहे (220-254 हिजरी) <ref>  मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 297; तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> इस अवधि के दौरान, कई अब्बासी ख़लीफ़ा सत्ता में आए। उनकी इमामत की शुरुआत मोअतसिम की खिलाफ़त के साथ हुई और इसका अंत मोअतज़ की खिलाफ़त के साथ हुआ। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> लेकिन, इब्न शहर आशोब ने उनकी इमामत के अंत का समय मोअतमिद के ज़माने में माना है। <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 एएच, खंड 4, पृष्ठ 401।</ref>


शियों के 10वें इमाम ने अब्बासी ख़लीफा [[मोअतसिम]] की ख़िलाफ़त के दौरान अपनी इमामत के सात साल बिताए। <ref> पिशवाई, सीरए पेशवायान, 1374, पृष्ठ 595।</ref> तारीख़े सियासी ग़ैबत इमामे दवाज़दहुम (अ) पुस्तक के लेखक जासिम हुसैन के अनुसार, मोतसिम इमाम अली नक़ी के समय में इमाम मुहम्मद तक़ी के समय की तुलना में शियों पर कम सख्त था। और वह अलवियों के प्रति अधिक सहिष्णु हो गया था, और उसके दृष्टिकोण में यह बदलाव आर्थिक स्थिति में सुधार और अलवियों की बग़ावत में कमी के कारण हुआ था। <ref> जसीम, बारहवें इमाम की अनुपस्थिति का राजनीतिक इतिहास, 1376, पृष्ठ 81।</ref> इसके अलावा, 10वें इमाम की इमामत के समय से लगभग पांच साल, वासिक़ की खिलाफ़त के साथ, चौदह साल [[मुतवक्किल]] की खिलाफ़त के साथ, छह महीने मुस्तनसर की खिलाफ़त के साथ, दो साल नौ महीने मुस्तईन की खिलाफ़त के साथ, और आठ साल से अधिक समय तक [[मोअतज़]] की ख़िलाफ़त के साथ रहे। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृ. 109 और 110।</ref>
शियों के 10वें इमाम ने अब्बासी ख़लीफा [[मोअतसिम]] की ख़िलाफ़त के दौरान अपनी इमामत के सात साल बिताए। <ref> पिशवाई, सीरए पेशवायान, 1374, पृष्ठ 595।</ref> तारीख़े सियासी ग़ैबत इमामे दवाज़दहुम (अ) पुस्तक के लेखक जासिम हुसैन के अनुसार, मोतसिम इमाम अली नक़ी के समय में इमाम मुहम्मद तक़ी के समय की तुलना में शियों पर कम सख्त था। और वह अलवियों के प्रति अधिक सहिष्णु हो गया था, और उसके दृष्टिकोण में यह बदलाव आर्थिक स्थिति में सुधार और अलवियों की बग़ावत में कमी के कारण हुआ था। <ref> जसीम, बारहवें इमाम की अनुपस्थिति का राजनीतिक इतिहास, 1376, पृष्ठ 81।</ref> इसके अलावा, 10वें इमाम की इमामत के समय से लगभग पांच साल, वासिक़ की खिलाफ़त के साथ, चौदह साल [[मुतवक्किल]] की खिलाफ़त के साथ, छह महीने मुस्तनसर की खिलाफ़त के साथ, दो साल नौ महीने मुस्तईन की खिलाफ़त के साथ, और आठ साल से अधिक समय तक [[मोअतज़]] की ख़िलाफ़त के साथ रहे। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृ. 109 और 110।</ref>
पंक्ति ७५: पंक्ति ७५:
'''सामर्रा के लिये समन'''
'''सामर्रा के लिये समन'''


233 हिजरी में, [[मुतावक्किल अब्बासी]] ने इमाम हादी (अ.स.) को मदीना से सामर्रा आने के लिए मजबूर किया। <ref> याकूबी, तारिख़ याकूबी, बेरूत, खंड 2, पृष्ठ 484।</ref> [[शेख़ मुफ़ीद]] ने मुतावक्किल की इस कार्रवाई को 243 हिजरी में उल्लेख किया है; <ref> शेख मोफिद, अल-अरशाद, खंड 2, पृष्ठ 310।</ref> लेकिन इस्लामी इतिहास के शोधकर्ता रसूल जाफ़रियान के अनुसार, यह तारीख़ सही नहीं है। <ref> जाफ़रियान, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2013, पृष्ठ 503।</ref> कहा गया है कि इस कार्रवाई का कारण मदीना में अब्बासी सरकार के एजेंट अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> और ख़लीफा द्वारा मक्का और मदीना में नियुक्त, [[इमाम ए जमाअत|मंडली के इमाम]] बरिहा अब्बासी की इमाम (अ) का ख़िलाफ़ चुग़ली है। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> और इसी तरह से [[इमामिया|शियों]] के 10वें [[इमाम]] के लिए लोगों की चाहत की भी खबरें बयान की गईं हैं। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 493।</ref>
233 हिजरी में, [[मुतवक्किल अब्बासी]] ने इमाम हादी (अ.स.) को मदीना से सामर्रा आने के लिए मजबूर किया। <ref> याकूबी, तारिख़ याकूबी, बेरूत, खंड 2, पृष्ठ 484।</ref> [[शेख़ मुफ़ीद]] ने मुतावक्किल की इस कार्रवाई को 243 हिजरी में उल्लेख किया है; <ref> शेख मोफिद, अल-अरशाद, खंड 2, पृष्ठ 310।</ref> लेकिन इस्लामी इतिहास के शोधकर्ता रसूल जाफ़रियान के अनुसार, यह तारीख़ सही नहीं है। <ref> जाफ़रियान, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2013, पृष्ठ 503।</ref> कहा गया है कि इस कार्रवाई का कारण मदीना में अब्बासी सरकार के एजेंट अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> और ख़लीफा द्वारा मक्का और मदीना में नियुक्त, [[इमाम ए जमाअत|मंडली के इमाम]] बरिहा अब्बासी की इमाम (अ) का ख़िलाफ़ चुग़ली है। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> और इसी तरह से [[इमामिया|शियों]] के 10वें [[इमाम]] के लिए लोगों की चाहत की भी खबरें बयान की गईं हैं। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 493।</ref>


मसऊदी की रिपोर्ट के अनुसार, बरिहा ने मुतावक्किल को लिखे एक पत्र में उनसे कहा: "यदि आप [[मक्का]] और मदीना चाहते हैं, तो अली बिन मुहम्मद को वहां से निकाल दें; क्योंकि वह लोगों को खुद को आमंत्रित करते हैं और उन्होने अपने चारों ओर एक बड़ी संख्या को इकट्ठा कर लिया है।" <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> तदनुसार, मुतावक्किल द्वारा यहया बिन हरसमा को इमाम हादी को सामर्रा में स्थानांतरित करने के लिए नियुक्त किया गया। <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> इमाम हादी (अ.स.) ने मुतावक्किल को एक पत्र लिखा और उसमें उन्होंने अपने खिलाफ़ कही गईं बातों को ख़ारिज कर दिया। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> लेकिन जवाब में मुतावक्किल ने सम्मानपूर्वक उन्हें सामर्रा की ओर यात्रा करने के लिए कहा। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> मुतावक्किल के पत्र का पाठ [[शेख़ मुफ़ीद]] और [[शेख़ कुलैनी]] की किताबों में उद्धृत किया गया है। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309; कुलिनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 1, पृष्ठ 501</ref>
मसऊदी की रिपोर्ट के अनुसार, बरिहा ने मुतावक्किल को लिखे एक पत्र में उनसे कहा: "यदि आप [[मक्का]] और मदीना चाहते हैं, तो अली बिन मुहम्मद को वहां से निकाल दें; क्योंकि वह लोगों को खुद को आमंत्रित करते हैं और उन्होने अपने चारों ओर एक बड़ी संख्या को इकट्ठा कर लिया है।" <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> तदनुसार, मुतवक्किल द्वारा यहया बिन हरसमा को इमाम हादी को सामर्रा में स्थानांतरित करने के लिए नियुक्त किया गया। <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> इमाम हादी (अ.स.) ने मुतावक्किल को एक पत्र लिखा और उसमें उन्होंने अपने खिलाफ़ कही गईं बातों को ख़ारिज कर दिया। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> लेकिन जवाब में मुतावक्किल ने सम्मानपूर्वक उन्हें सामर्रा की ओर यात्रा करने के लिए कहा। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> मुतावक्किल के पत्र का पाठ [[शेख़ मुफ़ीद]] और [[शेख़ कुलैनी]] की किताबों में उद्धृत किया गया है। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309; कुलिनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 1, पृष्ठ 501</ref>


रसूल जाफ़रियान के अनुसार, मुतवक्किल ने इमाम हादी (अ.स.) को [[सामर्रा]] में स्थानांतरित करने की योजना इस तरह बनाई थी कि लोगों की संवेदनाएँ न भड़कें और इमाम की जबरन यात्रा का कोई ख़तरनाक परिणाम न निकले; <ref> जाफ़रियान, रसूल, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2008, पृष्ठ 505।</ref> लेकिन सुन्नी विद्वानों में से एक सिब्ते बिन जौज़ी ने यहया बिन हरसमा की एक रिपोर्ट उल्लेख की है, जिसके अनुसार मदीना के लोग बहुत परेशान और उत्तेजित हो गये थे, और उनका संकट इस स्तर तक पहुंच गया कि वे विलाप करने और चिल्लाने लगे, जो मदीना में उससे पहले कभी नहीं देखा गया। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 492।</ref> [[मदीना]] छोड़ने के बाद इमाम हादी (अ.स.) काज़मैन में दाखिल हुए और वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref> [[काज़मैन]] में, वह ख़ुजिमा बिन हाज़िम के घर गए और वहां से उन्हें सामर्रा की ओर भेज दिया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref>
रसूल जाफ़रियान के अनुसार, मुतवक्किल ने इमाम हादी (अ.स.) को [[सामर्रा]] में स्थानांतरित करने की योजना इस तरह बनाई थी कि लोगों की संवेदनाएँ न भड़कें और इमाम की जबरन यात्रा का कोई ख़तरनाक परिणाम न निकले; <ref> जाफ़रियान, रसूल, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2008, पृष्ठ 505।</ref> लेकिन सुन्नी विद्वानों में से एक सिब्ते बिन जौज़ी ने यहया बिन हरसमा की एक रिपोर्ट उल्लेख की है, जिसके अनुसार मदीना के लोग बहुत परेशान और उत्तेजित हो गये थे, और उनका संकट इस स्तर तक पहुंच गया कि वे विलाप करने और चिल्लाने लगे, जो मदीना में उससे पहले कभी नहीं देखा गया। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 492।</ref> [[मदीना]] छोड़ने के बाद इमाम हादी (अ.स.) काज़मैन में दाखिल हुए और वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref> [[काज़मैन]] में, वह ख़ुजिमा बिन हाज़िम के घर गए और वहां से उन्हें सामर्रा की ओर भेज दिया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref>
पंक्ति ८६: पंक्ति ८६:


* धार्मिक दृष्टिकोण से, मुतवक्किल का झुकाव [[अहले-हदीस]] की ओर था, जो मोअतज़ेला और शिया के खिलाफ़ थे, और अहले-हदीस उसे शियों के खिलाफ़ भड़काया करते थे।
* धार्मिक दृष्टिकोण से, मुतवक्किल का झुकाव [[अहले-हदीस]] की ओर था, जो मोअतज़ेला और शिया के खिलाफ़ थे, और अहले-हदीस उसे शियों के खिलाफ़ भड़काया करते थे।
* मुतावक्किल अपनी सामाजिक स्थिति को लेकर चिंतित था और [[शियों के इमाम|शिया इमामों]] के साथ लोगों के संबंध से डरता था। इसलिए, वह इस संबंध को ख़त्म कर देने की कोशिश करता था। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 एएच, पृष्ठ 438।</ref> इसी संबंध में, मुतवक्किल ने [[इमाम हुसैन (अ.स.)]] के रौज़े को नष्ट कर दिया और इमाम हुसैन के तीर्थयात्रियों के साथ सख्त व्यवहार किया करता था। <ref> अबुल फ़रज इस्फ़हानी, मक़ातिल अल-तालेबेयिन, 1987, पृष्ठ 478
* मुतवक्किल अपनी सामाजिक स्थिति को लेकर चिंतित था और [[शियों के इमाम|शिया इमामों]] के साथ लोगों के संबंध से डरता था। इसलिए, वह इस संबंध को ख़त्म कर देने की कोशिश करता था। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 एएच, पृष्ठ 438।</ref> इसी संबंध में, मुतवक्किल ने [[इमाम हुसैन (अ.स.)]] के रौज़े को नष्ट कर दिया और इमाम हुसैन के तीर्थयात्रियों के साथ सख्त व्यवहार किया करता था। <ref> अबुल फ़रज इस्फ़हानी, मक़ातिल अल-तालेबेयिन, 1987, पृष्ठ 478
</ref>
</ref>
मुतवक्किल के बाद उसका बेटा मुंतसिर ख़िलाफ़त की गद्दी पर आया। इस अवधि के दौरान, इमाम हादी (अ.स.) सहित अलवी परिवार पर से सरकार का दबाव कम हो गया था। <ref> जाफ़रियान, शिया इमामों का बौद्धिक-राजनीतिक जीवन, 2013, पृष्ठ 511।</ref>
मुतवक्किल के बाद उसका बेटा मुंतसिर ख़िलाफ़त की गद्दी पर आया। इस अवधि के दौरान, इमाम हादी (अ.स.) सहित अलवी परिवार पर से सरकार का दबाव कम हो गया था। <ref> जाफ़रियान, शिया इमामों का बौद्धिक-राजनीतिक जीवन, 2013, पृष्ठ 511।</ref>
confirmed, movedable
१२,२६४

सम्पादन