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"रात की नमाज़": अवतरणों में अंतर

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  आयतुल्लाह क़ाजी ने [[अल्लामा तबताबाई]] को संबोधित किया:
  आयतुल्लाह क़ाजी ने [[अल्लामा तबताबाई]] को संबोधित किया:
  "मेरे बेटे, अगर तुम दुनिया चाहते हो, तो रात की नमाज़ पढ़ो। यदि [[आख़िरत]] चाहते हो तो रात की नमाज़ पढ़ों।" [6]
  "मेरे बेटे, अगर तुम दुनिया चाहते हो, तो रात की नमाज़ पढ़ो। यदि [[आख़िरत]] चाहते हो तो रात की नमाज़ पढ़ों।" <ref> "पापों को नष्ट करने में रात्रि प्रार्थना के प्रभाव के बारे में विदेशी पाठ की शुरुआत में वक्तव्य", ग्रैंड आयतुल्लाह ख़ामेनेई के कार्यों के संरक्षण और प्रकाशन कार्यालय।</ref>


रात की नमाज़ 11 रकअत है: रात में नाफ़िला की नीयत से आठ रकअत, चार दो दो रकअत [[नमाज़]] के रूप में पढ़ी जाती है। शफा नमाज़ की नियत से दो रकअत और एक रकात नमाज़ वित्र की नमाज़ के इरादे से पढ़ी जाती है। [7]
रात की नमाज़ 11 रकअत है: रात में नाफ़िला की नीयत से आठ रकअत, चार दो दो रकअत [[नमाज़]] के रूप में पढ़ी जाती है। शफा नमाज़ की नियत से दो रकअत और एक रकात नमाज़ वित्र की नमाज़ के इरादे से पढ़ी जाती है। <ref> तबातबाई यज़्दी, अल-उरवा अल-वुसक़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 245; इमाम खुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 143।</ref>


शफा नमाज़ की पहली रकअत में [[सूरह हम्द]] और [[सूरह नास]] और दूसरी रकअत में सूरह हम्द और [[सूरह फलक़]] पढ़ना मुसतहब है। इसी तरह से, वित्र की नमाज़ में सूरह हम्द के बाद [[सूरह तौहीद]] को तीन बार और सूरह फलक़ और नास को एक बार पढ़ना चाहिए। [8] वित्र की नमाज़ के क़ुनूत में चालीस मोमिनों के लिए  दुआ या इस्तिग़फ़ार करने की सिफ़ारिश की गई है। इसी तरह से 70 बार '''«اَسْتَغْفِرُاللهَ رَبّی وَ اَتُوبُ اِلَیه»''' (असतग़फ़िरुल्लाहा रब्बी व अतूबो इलैह), सात बार  '''«هذا مَقامُ الْعائِذِ بِک مِنَ النّارِ»''' (हाज़ा मक़ामुल आइज़े बेका मिनन नार) "यह आग से बचने का स्थान है" और तीन सौ बार "अल अफ़वा।" ('''«اَلعَفو»''') कहे। उसके बाद इस दुआ को पढ़े: '''«رَبِّ اغْفِرْلی وَارْحَمْنی وَ تُبْ عَلی اِنَّک اَنْتَ التَّوّابُ الْغَفُورُ الرَّحیمُ.»''' (रब्बिग़फिर ली वर हमनी व तुब अलय्या इन्ना अन्तत तव्वाबुल ग़फ़ूर अल रहीम) [10] [[मिस्बाह अल-मुतहज्जिद]] में [[शेख़ तूसी]] ने रात की नमाज़ के बाद दुआ ए हज़ीन का पाठ करने की शिफ़ारिश की है। [11]
शफा नमाज़ की पहली रकअत में [[सूरह हम्द]] और [[सूरह नास]] और दूसरी रकअत में सूरह हम्द और [[सूरह फलक़]] पढ़ना मुसतहब है। इसी तरह से, वित्र की नमाज़ में सूरह हम्द के बाद [[सूरह तौहीद]] को तीन बार और सूरह फलक़ और नास को एक बार पढ़ना चाहिए। <ref> क़ोमी, मफ़ातिह अल-जेनान, 2004, पृष्ठ 949।</ref> वित्र की नमाज़ के क़ुनूत में चालीस मोमिनों के लिए  दुआ या इस्तिग़फ़ार करने की सिफ़ारिश की गई है। <ref> क़ोमी, मफ़ातिह अल-जेनान, 2004, पृष्ठ 949।</ref> इसी तरह से 70 बार '''«اَسْتَغْفِرُاللهَ رَبّی وَ اَتُوبُ اِلَیه»''' (असतग़फ़िरुल्लाहा रब्बी व अतूबो इलैह), सात बार  '''«هذا مَقامُ الْعائِذِ بِک مِنَ النّارِ»''' (हाज़ा मक़ामुल आइज़े बेका मिनन नार) "यह आग से बचने का स्थान है" और तीन सौ बार "अल अफ़वा।" ('''«اَلعَفو»''') कहे। उसके बाद इस दुआ को पढ़े: '''«رَبِّ اغْفِرْلی وَارْحَمْنی وَ تُبْ عَلی اِنَّک اَنْتَ التَّوّابُ الْغَفُورُ الرَّحیمُ.»''' (रब्बिग़फिर ली वर हमनी व तुब अलय्या इन्ना अन्तत तव्वाबुल ग़फ़ूर अल रहीम) <ref> क़ोमी, मफ़ातिह अल-जेनान, 2004, पृष्ठ 950।</ref> [[मिस्बाह अल-मुतहज्जिद]] में [[शेख़ तूसी]] ने रात की नमाज़ के बाद दुआ ए हज़ीन का पाठ करने की शिफ़ारिश की है। <ref> शेख़ तूसी, मिस्बाह अल-मुतहज्जिद, 1411 हिजरी, पेज 163-164।</ref>


==रात्रि प्रार्थना का प्रभाव एवं गुण==
==रात्रि प्रार्थना का प्रभाव एवं गुण==
confirmed, movedable
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