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सहीफ़ा सज्जादिया की चालीसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की चालीसवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयमौत को याद करते समय या किसी की मौत की खबर सुनते समय पढ़ने की दुआ
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतवक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की चालीसवीं दुआ (अरबीःالدعاء الأربعون من الصحيفة السجادية ) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है, जिसे आप मौत को याद करते समय या किसी की मौत की खबर सुनते समय पढ़ा जाता हैं। इस दुआ में, इमाम (अ.) ईश्वर आग्रह करते है कि वह उन्हे लंबी लंबी तमन्नाओ के धोखे मे आने से बचाए और नेक काम करके अच्छी मौत के लिए तैयार रहने मे मदद करे। इस दुआ में मौत से उलफ़त और खुदा तक पहुंचने का आग्रह करते है।

चालीसवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, हुसैन अंसारीयान की दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

चालीसवीं दुआ सहीफ़ा सज्जादिया की दुआओं में से एक है, जिसे मृत्यु को याद करते समय या जब किसी की मृत्यु की खबर इमाम सज्जाद (अ) को दी जाती थी, तब पढ़ी जाती है। इस दुआ में, इमाम ईश्वर से दुआ करते हैं कि लंबी कामनाएं लोगों को मृत्यु के बारे में न भूलें, और नेक काम करके मृत्यु के लिए तैयार रहें, और मृत्यु के साथ मित्रवत रहें और किसी भी तरह से उससे न डरें।[] इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • लंबी आरज़ूओ से बचना
  • महत्त्वाकांक्षा से दूर होकर धर्म कर्म करें
  • मृत्यु की शाश्वत स्मृति के लिए अनुरोध
  • मृत्यु को गले लगाने और उसकी रोशनी में आराम करने का अनुरोध
  • लंबी ख्वाहिशों के धोखे से बचने की मांग
  • दूर के स्वप्न मानव पूर्णता में सबसे महत्वपूर्ण बाधा हैं
  • मृत्यु को भूलना अस्तित्व की वास्तविकता के साथ संघर्ष है
  • परमात्मा तक पहुंचने की चाहत
  • मृत्यु की तैयारी के लिए धर्म कर्म करने में सफलता की माँग
  • मार्गदर्शन, आज्ञापालन और पश्चाताप करते हुए मृत्यु का अनुरोध
  • ईश्वर नेक लोगों के इनाम का गारंटर है और भ्रष्टों के कार्यों को सुधारता है
  • अच्छे से मरने की वांछनीयता अच्छे से जीने के समान है

[]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी चालीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन असारियान की दयारे आशेक़ान,[] मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[] सय्यद अहमद फ़हरी की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की चालीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[११]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की चालीसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहे अलैहिस सलामो इज़ा नोऐया इलैहे मय्यतुन ओ ज़करल मोता मौत को याद करने की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ إِذَا نُعِيَ إِلَيْهِ مَيِّتٌ، أَوْ ذَكَرَ الْمَوْتَ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वकफ़ेना तूलल अमले, व कस्सिरहो अन्ना बेसिदक़िल अमले हत्ता ला नोअम्मेलस तितमामा साअतिन बादा साअतिन वलस तीफ़ाआ यौमिन बादा यौमिन, वलत्तेसाला नफ़सिन बेनफ़सिन, वला लहूक़ा क़दमिन बेकद़मिन हे परमात्मा! हे अल्लाह, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और हमें लंबे समय से रखी गई उम्मीदों से बचा, और ईमानदारी से काम करने से उम्मीद को छोटा कर, ताकि हम एक सांस के बाद दूसरी सांस और एक कदम के बाद दूसरा कदम उठने की आशा न करे। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اكْفِنَا طُولَ الْأَمَلِ، وَ قَصِّرْهُ عَنَّا بِصِدْقِ الْعَمَلِ حَتَّى لَا نُؤَمِّلَ اسْتِتْمَامَ سَاعَةٍ بَعْدَ سَاعَةٍ، وَ لَا اسْتِيفَاءَ يَوْمٍ بَعْدَ يَوْمٍ، وَ لَا اتِّصَالَ نَفَسٍ بِنَفَسٍ، وَ لَا لُحُوقَ قَدَمٍ بِقَدَمٍ
व सल्लिम्ना मिन ग़ोरुरेही, व आमिन्ना मिन शोरूरेही, वनसेबिल मौता बैना एयदीना नसबन, वला तज्अल ज़िकरना लहू ग़ेबन हमें आशा की धोखेबाज इच्छाओं और प्रलोभनों से सुरक्षित रख और मृत्यु को हमारा लक्ष्य बना और हमें एक दिन के लिए भी उसकी याद से वंचित न रहने दें। وَ سَلِّمْنَا مِنْ غُرُورِهِ، وَ آمِنَّا مِنْ شُرُورِهِ، وَ انْصِبِ الْمَوْتَ بَيْنَ أَيْدِينَا نَصْباً، وَ لَا تَجْعَلْ ذِكْرَنَا لَهُ غِبّاً
वज्अल लना मिन सालेहिल आमाले अमलन नस्तत्बेओ मअहूल मसीरा इलैका, व नहरेसो लहू अला वशकिल लेहाक़े बेका हत्ता यकूनल मौतो मा नसानल लज़ी नानसो बेहि व मलफ़ना अल लज़ी नश्ताक़ो इलैहे, व हाम्मतना अल लती नोहिब्बुद दोनूअ मिन्हा और हमें ऐसे अच्छे कर्म करने की क्षमता प्रदान कर कि हम तेरे पास लौटने में विलंब महसूस करें और शीघ्रातिशीघ्र तेरे समक्ष उपस्थित होने की इच्छा करें। इस हद तक कि मृत्यु हमारे लिए एक गंतव्य बन जाए, एक प्रेम का स्थान जिसकी हम लालसा करे, और एक प्रिय व्यक्ति जिसकी निकटता का हम आनंद ले। وَ اجْعَلْ لَنَا مِنْ صَالِحِ الْأَعْمَالِ عَمَلًا نَسْتَبْطِئُ مَعَهُ الْمَصِيرَ إِلَيْكَ، وَ نَحْرِصُ لَهُ عَلَى وَشْكِ اللَّحَاقِ بِكَ حَتَّى يَكُونَ الْمَوْتُ مَأْنَسَنَا الَّذِي نَأْنَسُ بِهِ، وَ مَأْلَفَنَا الَّذِي نَشْتَاقُ إِلَيْهِ، وَ حَامَّتَنَا الَّتِي نُحِبُّ الدُّنُوَّ مِنْهَا
फ़इज़ा ओरदतहू अलैना व अनजलतहू बेना फअसइदना बेहि ज़ाऐरन व आनिसना बेहि क़ादेमन, वला तुशक़ेना बेज़ियाफ़तेहि, वला तुख़्ज़ेना बेज़ियारतेही, वज्अलहो बाबन मिन अबवाबिन मारेफ़तेका, व मिफ़ताहन मिन मफ़ातीहे रहमतेका जब तू उसे हमारे ऊपर लाए और हम पर नाज़िल करे तो उससे मिलकर हमें खुश कर दे और जब वह आए तो हमें उससे परिचित कर दे और न तू उसके आतिथ्य से हमें दुखी कर और न तू उसके आतिथ्य से हमें दुखी कर। हमें मिलकर शर्मिंदा करना। और इसे अपनी क्षमा के द्वारों में से एक और अपनी दया की कुंजियों में से एक बना ले। فَإِذَا أَوْرَدْتَهُ عَلَيْنَا وَ أَنْزَلْتَهُ بِنَا فَأَسْعِدْنَا بِهِ زَائِراً، وَ آنِسْنَا بِهِ قَادِماً، وَ لَا تُشْقِنَا بِضِيَافَتِهِ، وَ لَا تُخْزِنَا بِزِيَارَتِهِ، وَ اجْعَلْهُ بَاباً مِنْ أَبْوَابِ مَغْفِرَتِكَ، وَ مِفْتَاحاً مِنْ مَفَاتِيحِ رَحْمَتِكَ
अमितना मोहतदीना ग़ैरे ज़ाल्लीना, ताऐईना ग़ैरे मुसतकरेहीना, ताऐबीना ग़ैरा आसीना वला मोसिर्रीना, या ज़ामेना जज़ाइल मोहसेनीना, व मुसतसलेहा अमलिल मुफ़सेदीना और आओ हम मार्ग पर चलकर मरें, पथभ्रष्ट न हों, आज्ञाकारी हों और मृत्यु से घृणा न करे। पश्चाताप करे, पापी ना बने और पाप करते ना रहे। हे अच्छे कर्म करने वालों के पुरस्कार की जिम्मेदारी लेने वाले और बुरे कर्म करने वालों के कर्मों और चरित्र को सुधारने वाले! أَمِتْنَا مُهْتَدِينَ غَيْرَ ضَالِّينَ، طَائِعِينَ غَيْرَ مُسْتَكْرِهِينَ، تَائِبِينَ غَيْرَ عَاصِينَ وَ لَا مُصِرِّينَ، يَا ضَامِنَ جَزَاءِ الْمُحْسِنِينَ، وَ مُسْتَصْلِحَ عَمَلِ الْمُفْسِدِينَ

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 210
  2. अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 309-316 ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 281-294 शरह दुआ ए चेहलुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
  3. अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 267-285
  4. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 279-294
  5. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 143-153
  6. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 5, पेज 339-362
  7. मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 461-462
  8. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 489-492
  9. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 291-304
  10. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 76-77
  11. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 200-201


स्रोत

  • अंसारीयान, हुसैन, दयारे आशेक़ान, तफ़सीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी