सहीफ़ा सज्जादिया की तेईस्वीं दुआ
विषय | धर्म, बुद्धि, ह्दय, स्वस्थ शरीर और कल्याण की दुआ |
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प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहिफ़ा सज्जादियह की तेईस्वीं दुआ (अरबीः الدعاء الثالث والعشرون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जिसमें उन्होंने ईश्वर से धर्म, बुद्धि, हृदय और स्वास्थ शरीर और कल्याण के लिए दुआ की है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) अल्लाह का शुक्र अदा करने और मार्गदर्शन प्राप्त करने में हृदय और जीभ की एकता पर जोर देते हुए ईश्वर से खशयत का आग्रह करते हैं। इस दुआ में शैतानन, जिन्न और दूसरों की साजिशों से ईश्वर की शरण मांगते हैं।
तेईस्वीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की तेईस्वीं दुआ में हज़रत इमाम सज्जाद (अ) ने ईश्वर से धर्म, बुद्धि, हृदय और शरीर में कल्याण और स्वास्थ्य के लिए दुआ की है।[१] हसन ममदूही किरमानशाही के अनुसार, इमाम सज्जाद (अ) ने इस दुआ में ईश्वर से ईश्वर के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया है।[२] इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:
- सभी भौतिक और आध्यात्मिक मामलों में स्वास्थ्य की माँग करना
- दीन और दुनिया में खुशहाली की गुहार
- कल्याण के प्रकाश में सुशोभित और पोषित और बेनियाज होने का अनुरोध
- कल्याण से लाभ उठाने के प्रभाव और आशीर्वाद
- धर्म और शरीर में स्वास्थ्य और सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए दुआ करना
- हृदय में अंतर्दृष्टि और कार्य की फलदायीता के लिए दुआ करना
- ईश्वर की आज्ञा पालन करने और पापों से बचने की दुआ माँगना
- खशयत और ईश्वर से भय का अनुरोध
- सुरक्षा, मामलों में निर्णायकता, दायित्वों को पूरा करने में ताकत और भगवान की अवज्ञा से बचने का अनुरोध करना
- हज और उमरा के लिए अनुरोध और उनके जीवनकाल के दौरान पैगम्बर (स) की कब्र की ज़ियारत के लिए दुआ
- हज और उमरा स्वीकार होने और पैगम्बर (स) की कब्र की ज़ियारत का पुनरुत्थान के दिन के लिए बचाए जाने का अनुरोध
- अल्लाह की इबादत में बाहरी और भीतरी सामंजस्य: जीभ से स्तुति और हृदय से धर्म के मार्गदर्शन को स्वीकार करना
- ज़बान से उसकी अच्छाइयों की प्रशंसा, धन्यवाद, उल्लेख और प्रशंसा
- शैतान से अपने और अपने परिवार के लिए प्रतिरक्षा की माँग करना
- भगाए गए शैतान और जिन्न की बुराई से ईश्वर की शरण लेना
- सभी प्रकार के दुष्ट विरोधियों और शत्रुओं को दूर करने की दुआ
- दूसरों की साजिशों से सुरक्षित रहने और अपने इरादे बदलने की दुआ।[३]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी इक्कीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रही की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की तेईस्वीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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व काना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो इज़ा सअलल्लाहल आफ़ीयता व शुक्रहा | अल्लाह से आफ़ियत मांगने और शुक्र करने की इमाम सज्जाद (अ) की दुआ | وَ کانَ مِنْ دُعَائِهِ علیهالسلام إِذَا سَأَلَ اللَّهَ الْعَافِیةَ وَ شُکرَهَا |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, व अलबिसनी आफ़ीयतेका, व जल्लिलनी आफ़ीयतेका, व हस्सिन्नी बे आफ़ीयतेका, व अकरिमनी बे आफ़ीयतेका, व अग़नेनी बेआफ़ीयतेका व अफ़रिश्नी आफ़ीयतेका, व अस्लेह ली आफ़ीयतेका, वला तोफ़र्रिक बैयनी व बैना आफ़ीयतेका फ़िद दुनिया वल आख़ेरते | हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे अपनी अफ़ियत का लिबाद पहना, मुझे अपनी आफ़ियत का चादर उढ़ा, अपनी आफ़ियत से मेरी रक्षा कर। अपनी आफ़ियत से मान-सम्मान दे। अपनी आफ़ियत से मुझे बेनियाज बना। अपने कल्याण की भिक्षा मेरी झोली में डाल, अपने कल्याण की दृष्टि से मुझ पर दया कर। अपनी समृद्धि को मेरा आवरण बना। मेरे लिए अपना कल्याण को इस्लाह और दरुस्ती फ़रमा और दुनिया और आखिरत मे मेरे और अपनी आफ़ीयत के बीच जुदाई ना डाल | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَلْبِسْنِی عَافِیتَک، وَ جَلِّلْنِی عَافِیتَک، وَ حَصِّنِّی بِعَافِیتِک، وَ أَکرِمْنِی بِعَافِیتِک، وَ أَغْنِنِی بِعَافِیتِک، وَ تَصَدَّقْ عَلَی بِعَافِیتِک، وَ هَبْ لِی عَافِیتَک وَ أَفْرِشْنِی عَافِیتَک، وَ أَصْلِحْ لِی عَافِیتَک، وَ لَا تُفَرِّقْ بَینِی وَ بَینَ عَافِیتِک فِی الدُّنْیا وَ الْآخِرَةِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेही, व आफ़ेनी आफ़ेयतन काफ़ीयतन शाफ़ीयतन आलीयतन नामीयन, आफ़ीयतन तोवल्लेदो फ़ी बदनिल आफ़ीयता, आफ़ीयतत दुनिया वल आख़ेरते | हे मेरे अल्लाह! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे ऐसा आशीर्वाद प्रदान कर जो राहत देने वाला, उपचार करने वाला (बीमारियों की पहुंच से) और दिन-ब-दिन बढ़ने वाला हो। ऐसा कल्याण जो मेरे शरीर में इस लोक और परलोक के कल्याण को जन्म दे | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ عَافِنِی عَافِیةً کافِیةً شَافِیةً عَالِیةً نَامِیةً، عَافِیةً تُوَلِّدُ فِی بَدَنِی الْعَافِیةَ، عَافِیةَ الدُّنْیا وَ الْآخِرَةِ |
वमनुन अला बिस्सेहते वल अमने वस सलामते फ़ी दीनी व बदनी, वल बसीरते फ़ी क़ल्बी, वन नफ़ाज़े फ़ी उमूरी, वल खशयते लका, वल ख़ौफ़े मिन्का, वल क़ुव्वते अला मा अमरतनी बेहि मिन ताअतेका, वल इज्तेनाबे लेमा नहयतनी अन्हो मिन मअसीयतेका | और स्वास्थ्य, शांति, शरीर और विश्वास की सुरक्षा, दिल की अंतर्दृष्टि, मामलों को लागू करने की क्षमता, खशयत और भय की भावना और जो आदेश दिया गया है उसका पालन करने और उन पापों से बचने की शक्ति प्रदान करके, जिनके लिए मना किया गया है मुझ पर अहसान कर | وَ امْنُنْ عَلَی بِالصِّحَّةِ وَ الْأَمْنِ وَ السَّلَامَةِ فِی دِینِی وَ بَدَنِی، وَ الْبَصِیرَةِ فِی قَلْبِی، وَ النَّفَاذِ فِی أُمُورِی، وَ الْخَشْیةِ لَک، وَ الْخَوْفِ مِنْک، وَ الْقُوَّةِ عَلَی مَا أَمَرْتَنِی بِهِ مِنْ طَاعَتِک، وَ الِاجْتِنَابِ لِمَا نَهَیتَنِی عَنْهُ مِنْ مَعْصِیتِک |
अल्लाहुम्मा वमनुन अला बिल हज्जे वल उमरते, व ज़ियारते कब्रे रसूलेका, सलावातोका अलैहे व रहमतोका व बरकातोका अलैहे व अला आलेहि, व आले रसूलेका अलैहेमुस सलामो अबदन मा अबक़ैतनी फ़ी आमी हाज़ा व फ़ी कुल्ले आमिन, वज्अल ज़ालेका मक़बूलन मशकूरन, मज़कूरन लदयका, मज़खूरन इंदका | हे पालनहार! मुझे यह भी अनुग्रह प्रदान कर कि जब तक तू मुझे जीवित रखें, हमेशा इस साल भी हज और उमरा करुं और पैग़म्बर (स) की कब्र की ज़ियारत और पैगम्बर (स) के परिवार वालो की क़ब्रो की ज़ियारत करता रहूं। और इन इबादात को स्वीकार, लोकप्रिय और पसंदीदा उल्लेख करने योग्य तथा अपने पास संग्रहित करने योग्य घोषित कर | اللَّهُمَّ وَ امْنُنْ عَلَی بِالْحَجِّ وَ الْعُمْرَةِ، وَ زِیارَةِ قَبْرِ رَسُولِک، صَلَواتُک عَلَیهِ وَ رَحْمَتُک وَ بَرَکاتُک عَلَیهِ وَ عَلَی آلِهِ، وَ آلِ رَسُولِک عَلَیهِمُ السَّلَامُ أَبَداً مَا أَبْقَیتَنِی فِی عَامِی هَذَا وَ فِی کلِّ عَامٍ، وَ اجْعَلْ ذَلِک مَقْبُولًا مَشْکوراً، مَذْکوراً لَدَیک، مَذْخُوراً عِنْدَک |
व अंतिक़ बेहम्देका व शुक्रेका व ज़िक्रेका व हुस्निस सनाए अलैका लेसानी, वशरह लेमराशेदे दीनेका क़ल्बी | और मेरी जीभ को हम्द, धन्यवाद और शुक्र से भरपूर रख, और धार्मिक मार्गदर्शन के लिए मेरे हृदय की गांठें खोल। | وَ أَنْطِقْ بِحَمْدِک وَ شُکرِک وَ ذِکرِک وَ حُسْنِ الثَّنَاءِ عَلَیک لِسَانِی، وَ اشْرَحْ لِمَرَاشِدِ دِینِک قَلْبِی |
व आइज़्नी व ज़ुर्रियती मिनश शैतानिर रजीमे, व मिन शर्रे कुल्ले शैतानिन मरीदिन, व मिन शर्रे कुल्ले सुलतानिन अनीदिन, व मिन शर्रे कुल्ले मुतरफ़िन हफीदिन, व मिन शर्रे कुल्ले ज़ईफ़िन व शदीदिन, व मिन शर्रे कुल्ले शरीफ़िन व वज़ेइन, व मिन शर्रे कुल्ले सग़ीरिन व कबीरिन, व मिन शर्रे कुल्ले क़रीबिन व बईदिन, व मिन शर्रे कुल्ले मन नसबा लेरसूलेका व लेअहले बैतेहि हरबन मिनल जिन्ने वल इन्से, व मिन शर्रे कुल्ले दाब्बतिन अन्ता आख़िज़ बेनासीयतेहा, इन्नका अला सिरातिम मुस्तक़ीमिन | और मुझे और मेरे बच्चों को बुरी आत्माओं और जहरीले जानवरों, विनाशकारी जानवरों और अन्य जानवरों से, और हर विद्रोही शैतान, हर क्रूर शासक, हर घृणित अहंकारी, हर कमजोर और शक्तिशाली, हर उच्च और नीच, छोटे, बड़े की रक्षा कर। करीबी और दूर के, और जिन्न और इंसानों में से जो तेरे पैग़म्बर (स) और उसके घराने के खिलाफ लड़ते हैं, और हर जानवर की बुराई से जिस पर तेरा प्रभुत्व है सुरक्षित रख। इसलिए वह न्याय के रास्ते पर है। | وَ أَعِذْنِی وَ ذُرِّیتِی مِنَ الشَّیطَانِ الرَّجِیمِ، وَ مِنْ شَرِّ السَّامَّةِ وَ الْهَامَّةِ و الْعَامَّةِ وَ اللَّامَّةِ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ شَیطَانٍ مَرِیدٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ سُلْطَانٍ عَنِیدٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ مُتْرَفٍ حَفِیدٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ ضَعِیفٍ وَ شَدِیدٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ شَرِیفٍ وَ وَضِیعٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ صَغِیرٍ وَ کبِیرٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ قَرِیبٍ وَ بَعِیدٍ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ مَنْ نَصَبَ لِرَسُولِک وَ لِأَهْلِ بَیتِهِ حَرْباً مِنَ الْجِنِّ وَ الْإِنْسِ، وَ مِنْ شَرِّ کلِّ دَابَّةٍ أَنْتَ آخِذٌ بِناصِیتِها، إِنَّک عَلی صِراطٍ مُسْتَقِیمٍ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेही, व मन अरादनी बेसूइन फ़सरिफ़्हो अन्नी, वदहर अन्नी मकरहू, व दरआ अन्नी शर्राहू, व रुद्दा कैयदहू फ़ी नहरेहि | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और जो कोई भी मेरे साथ बुरा करना चाहता है उसे मुझसे दूर कर दे। उसका द्वेष मुझ से दूर कर दे, और उसका प्रभाव मुझ से दूर कर दे, और उसके द्वेष और धोखे के (बाणों को) उसकी छाती की ओर लौटा दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ مَنْ أَرَادَنِی بِسُوءٍ فَاصْرِفْهُ عَنِّی، وَ ادْحَرْ عَنِّی مَکرَهُ، وَ ادْرَأْ عَنِّی شَرَّهُ، وَ رُدَّ کیدَهُ فِی نَحْرِهِ |
वज्अल बैना यदयहे सुद्दन हत्ता तोअमी अन्नी बसरहू, व तोसिम्मा अन ज़िक्री समअहू, व तुक़फ़ेला दूना इखतारी क़ल्बहू, व तुखरेसा अन्नी लेसानहू, व तक़मआ रासहू, व तोज़िल्ला इज़्ज़हू, व तकसोर जबरूतहू, व तोज़िल्ला रक़बतहू, व तफ़सख़ा कबरहू, व तूमेननी मिन जमीए ज़र्रेहि व शर्रेहि व ग़मज़ेहि व हमज़ेहि व लमज़ेहि व हसदेही व अदावतेहि व हबाएलेहि व मसाऐदेहि व रजेलेहि व ख़ैयलेहि इन्नका अज़ीज़ुन क़दीर | और उसके सामने एक दीवार खड़ी कर दे, यहां तक कि वह मुझे देखने से अपनी आंखें मूंद ले और मेरा जिक्र सुनने से अपने कान बहरा कर ले और उसके दिल पर ताला लगा दे, ताकि वह मेरे बारे में और मेरे बारे में न सोचे, उसकी जीभ को गूंगा कर दे, उसका सिर कुचल दे। उसका सम्मान कुचल दे, उसका घमंड तोड़ दे, उसकी गर्दन मे अपमान का तौक डाल दे, उसका अहंकार ख़त्म कर दे। और उसकी हानि, द्वेष, शाप, चुगली, ईर्ष्या, शत्रुता और उसके जाल, फंदे, प्यादों और सवारों से मेरी रक्षा कर। निस्संदेह, तू प्रभुत्व और शक्ति का स्वामी है।" | وَ اجْعَلْ بَینَ یدَیهِ سُدّاً حَتَّی تُعْمِی عَنِّی بَصَرَهُ، وَ تُصِمَّ عَنْ ذِکرِی سَمْعَهُ، وَ تُقْفِلَ دُونَ إِخْطَارِی قَلْبَهُ، وَ تُخْرِسَ عَنِّی لِسَانَهُ، وَ تَقْمَعَ رَأْسَهُ، وَ تُذِلَّ عِزَّهُ، وَ تَکسُرَ جَبَرُوتَهُ، وَ تُذِلَّ رَقَبَتَهُ، وَ تَفْسَخَ کبْرَهُ، وَ تُؤْمِنَنِی مِنْ جَمِیعِ ضَرِّهِ وَ شَرِّهِ وَ غَمْزِهِ وَ هَمْزِهِ وَ لَمْزِهِ وَ حَسَدِهِ وَ عَدَاوَتِهِ وَ حَبَائِلِهِ وَ مَصَایدِهِ وَ رَجِلِهِ وَ خَیلِهِ، إِنَّک عَزِیزٌ قَدِیرٌ |
फ़ुटनोट
- ↑ मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 232
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 372
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 455-472; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 372-386
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 455-472
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 372-86
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 383-390
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 5-36
- ↑ मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 295-308
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 301-310
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 599-615
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 53-56
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 132-135
स्रोत
- अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
- फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
- फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी