सहीफ़ा सज्जादिया की चौबीसवीं दुआ
अन्य नाम | फी तलबे अल-हवाएजे इला अल्लाहे तआला |
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विषय | माता-पिता के लिए दुआ • माता-पिता के प्रति बच्चों के कर्तव्य |
प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की चौबीसवीं दुआ(अरबीःالدعاء الرابع والعشرون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है। इस दुआ में हज़रत ज़ैनुल आबेदीन (अ) ईश्वर से अपने माता-पिता की सेवा में सफलता के लिए दुआ करते हैं और अपने माता-पिता के प्रति बच्चों के कर्तव्यों को बताते हैं। वह ईश्वर से बच्चों की ओर से होने वाले उत्पीड़न के कारण माता-पिता के पापों को क्षमा करने का भी आग्रह करते है, और बदले में, वह माता-पिता के लिए दुआओ के आशीर्वाद के साथ बच्चों के पापों की अंदेखी करने की विन्नती करते है। चौबीसवीं दुआ में इमाम इंसानों को अपने माता-पिता के अधिकारों को पूरा करने में असमर्थ बताते हैं और ईश्वर से उनके प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने में मदद मांगते हैं।
चौबीसवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की चौबीसवीं दुआ माता-पिता के हक़ मे उनके बच्चों की दुआ है जिसमे दुआ के साथ – साथ संतान पर माता-पिता के अधिकारों के संबंध मे चर्चा की है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) संतान पर उनके माता-पिता के अधिकारों को गिनाते हुऐ उनके प्रति बच्चों के कर्तव्य को भी समझाते हैं[१] चौबीसवीं दुआ की शिक्षाएँ[२] इस प्रकार हैं:
- अल्लाह की रहमत शामिले हाल होने के लिए मुहम्मद और उनके परिवार वालो पर सलवात पढ़ना अधिक प्रभावी है।
- पैग़म्बर (स) के माध्यम से अहले-बैत (अ) की शराफ़त और बुजुर्गी
- ईश्वर के निकट माता-पिता का सम्मान करने के लिए दुआ करना
- माता-पिता की सेवा करने और उनसे न थकने में सफलता माँगना
- माता-पिता की स्थिति देखने का महान अनुरोध
- पारिवारिक मजबूती प्यारे माता-पिता के साथ नम्रता से पेश आने का परिणाम है।
- माता-पिता की इच्छाओं को अपनी इच्छाओं से अधिक प्राथमिकता देना और उनकी खुशियों को अपनी खुशियों से अधिक प्राथमिकता देना
- अपने माता-पिता के प्रति अपनी महान अच्छाइयों को कम आंकना और अपने प्रति उनकी छोटी-छोटी अच्छाइयों को महत्व देना
- माता-पिता के प्रति नम्रता एवं दयालुता
- माता-पिता से धीमी आवाज और दयालु शब्दों में बात करें
- बच्चों के अच्छे पालन-पोषण के लिए माता-पिता के लिए सवाब तलब करना
- बच्चों द्वारा उनके प्रति किए गए दुर्व्यवहार के कारण माता-पिता के पापों के लिए क्षमा माँगना
- अधिकारों की कमी के लिए माता-पिता की क्षमा
- माता-पिता से प्रतिरक्षा के लिए दुआ करना
- दैवीय क्षमा के आलोक में माता-पिता और बच्चों से एक-दूसरे से पारस्परिक मध्यस्थता की माँग करना
- बच्चों पर माता-पिता का अधिकार बच्चों के उन पर अधिकार से अधिक अनिवार्य है।
- माता-पिता के अधिकारों को पूरा करने में मनुष्य की असमर्थता की स्वीकृति
- माता-पिता के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करने में ईश्वर की सहायता
- माता-पिता के लिए सर्वोत्तम स्थान की माँग करना
- हर समय माता-पिता बनना याद रखें
- माता-पिता के लिए प्रार्थना से मनुष्य की क्षमा धन्य होती है
- माता-पिता का बालकों पर दया करके उन्हें क्षमा करना |
- माता-पिता की शफ़ाअत के लिए दुआ करना[३]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी चौबीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की चौबीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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वकाना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो लेअबवैयहे अलैहेमस सलामो | माता पिता के लिए इमाम सज्जाद (अ) की दुआ | وَ کانَ مِنْ دُعَائِهِ علیهالسلام لِأَبَوَیهِ عَلَیهِمَا السَّلَامُ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन अब्देका व रसूलेका, व अहले बैतेहित ताहेरीना, वख सुसहुम बेअफ़ज़ले सलावातेका व रहमतेका व बरकातेका व सलामेका | हे अल्लाह! अपने विशेष बंदे और रसूल मुहम्मद मुस्तफा और उनके पवित्र परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और उन्हें सर्वोत्तम दया और आशीर्वाद प्रदान करे, और उन्हें आशीर्वाद और शांति के साथ विशेष विशिष्टताएं प्रदान करें। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ عَبْدِک وَ رَسُولِک، وَ أَهْلِ بَیتِهِ الطَّاهِرِینَ، وَ اخْصُصْهُمْ بِأَفْضَلِ صَلَوَاتِک وَ رَحْمَتِک وَ بَرَکاتِک وَ سَلَامِک |
वख़सोसिल्लाहुम्मा वालेदय बिल करामते लदैयका, वस सलाते मिनका, या अर्हमर्राहेमीना | हे पालनहार! मेरे माता – पिता को भी अपने नजदीक सम्मान और करामत और अपनी रहमत दे। हे सब दया करने वालो से अधिक दया करने वाले | وَ اخْصُصِ اللَّهُمَّ وَالِدَی بِالْکرَامَةِ لَدَیک، وَ الصَّلَاةِ مِنْک، یا أَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, व अलहिम्नी इल्मा मा यजेबो लहोमा अला इल्हामन, वज्मअ ली इल्मा जालेका कुल्लेही तमामन, सुम्मस तअमिलनी बेमा तुलहेमोनी मिन्हो, व वफ़फ़िक़्नी लिननोफ़ोजे फ़ीमा तोबस्सेरोनी मिन इल्मेहि हत्ता ला यफ़ूतनिस तेअमाले शैइन अल्लमतनीहे, वला तसक़ोला अरकानी अनिल हफ़ूफ़े फ़ीमा अलहमतनीहे | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजलि कर और मुझे उनके अधिकारों का ज्ञान प्रदान कर जो प्रेरणा के माध्यम से मुझ पर अनिवार्य हैं और मुझे इन सभी दायित्वों का ज्ञान बिना किसी कमी या अधकिता के प्रदान कर। फिर प्रेरणा के माध्यम से जो कुछ तू मुझे बताता हैं उस पर अपनी आंखें बंद रखे और मुझे इस संबंध में ज्ञान द्वारा दी गई अंतर्दृष्टि का पालन करने की क्षमता दें, ताकि तूने मुझे जो भी चीजें सिखाई हैं उनमें से कोई भी मेरे हाथ से छूट न जाए जो सेवा तूने मुझे बताई है, उससे पैर थकन महसूस न करे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَلْهِمْنِی عِلْمَ مَا یجِبُ لَهُمَا عَلَی إِلْهَاماً، وَ اجْمَعْ لِی عِلْمَ ذَلِک کلِّهِ تَمَاماً، ثُمَّ اسْتَعْمِلْنِی بِمَا تُلْهِمُنِی مِنْهُ، وَ وَفِّقْنِی لِلنُّفُوذِ فِیمَا تُبَصِّرُنِی مِنْ عِلْمِهِ حَتَّی لَا یفُوتَنِی اسْتِعْمَالُ شَیءٍ عَلَّمْتَنِیهِ، وَ لَا تَثْقُلَ أَرْکانِی عَنِ الْحَفُوفِ فِیمَا أَلْهَمْتَنِیهِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि कमा शर्रफ़तना बेहि, व सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, कमा ओजबता लनल हक़्क़ो अलल खल़्के बेसबबेही | हे परमात्मा, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर क्योंकि तूने उन्हें जिम्मेदार ठहराकर हमारा सम्मान किया है। मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर क्योंकि उन्हीं के कारण तूने प्राणियों पर हमारा अधिकार स्थापित किया है। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ کمَا شَرَّفْتَنَا بِهِ، وَ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، کمَا أَوْجَبْتَ لَنَا الْحَقَّ عَلَی الْخَلْقِ بِسَبَبِهِ |
अल्लाहुम्मज्अलनी अहाबोहोमा हैबतस सुलतानिल असूफ़े, व अबर्रोहोमा बिर्रल उम्मिर रऊफ़े, वज्अल ताअती लेवालेदय व बिर्रे बेहेमा अक़र्रा लेऐनी मिन रक़दतिल वसनाने, व अस्लजा लेसद्री मिन शरबतिज जमआने हत्ता ऊसेरा अला हवाया हवाहोमा, व ओक़द्देमा अला रेज़ाई रेज़ाहोमा व असतकसेरा बिर्राहोमा बी व इन क़ल्ला, व असतक़िल्ला बिर्रे बेहेमा व इन कसोरा | ओ परमेश्वर! मुझे ऐसा बना दे कि मै इन दोनों से वैसे ही डरू जैसे कोई अत्याचारी राजा से डरता है और उन पर दया करू (जैसे एक दयालु माँ अपने बच्चों पर दयालु होती है) और उनकी आज्ञा मानू और उन पर दया करू मेरे दिल और आत्मा के लिए प्यासे के लिए पेय से अधिक आनंददायक है, ताकि मैं अपनी इच्छा पूरी कर सकूं, लेकिन मुझे उनकी इच्छाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और उनकी खुशी को अपनी खुशी से पहले रखना चाहिए और यहां तक कि वे मेरे प्रति जो थोड़ी सी दयालुता करते हैं, उसे भी अधिक महत्व देना चाहिए। मैं उनके साथ जो अच्छा करूंगा, भले ही वह अधिक हो, मैं उसके बारे में कम सोचूंगा। | اللَّهُمَّ اجْعَلْنِی أَهَابُهُمَا هَیبَةَ السُّلْطَانِ الْعَسُوفِ، وَ أَبَرُّهُمَا بِرَّ الْأُمِّ الرَّءُوفِ، وَ اجْعَلْ طَاعَتِی لِوَالِدَی وَ بِرِّی بِهِمَا أَقَرَّ لِعَینِی مِنْ رَقْدَةِ الْوَسْنَانِ، وَ أَثْلَجَ لِصَدْرِی مِنْ شَرْبَةِ الظَّمْآنِ حَتَّی أُوثِرَ عَلَی هَوَای هَوَاهُمَا، وَ أُقَدِّمَ عَلَی رِضَای رِضَاهُمَا وَ أَسْتَکثِرَ بِرَّهُمَا بیوَ إِنْ قَلَّ، وَ أَسْتَقِلَّ بِرِّی بِهِمَا وَ إِنْ کثُرَ |
अल्लाहुम्मा ख़फ़्फ़िज लहोमा सौती, व अतिब लहोमा कलामी, व अलिन लहोमा अरीकती, वअतिफ अलैहेमा क़ल्बी, व सयरनी बेहेमा रफ़ीक़न, व अलैहेमा शफ़ीकन | हे ईश्वर! उनके सामने मेरी वाणी नम्र बना, मेरी बोली उन्हें अच्छी लगे, मेरा स्वभाव कोमल और मेरा हृदय दयालु बना, और मुझे उनके प्रति नम्र और दयालु बना। | اللَّهُمَّ خَفِّضْ لَهُمَا صَوْتِی، وَ أَطِبْ لَهُمَا کلَامِی، وَ أَلِنْ لَهُمَا عَرِیکتِی، وَ اعْطِفْ عَلَیهِمَا قَلْبِی، وَ صَیرْنِی بِهِمَا رَفِیقاً، وَ عَلَیهِمَا شَفِیقاً. |
अल्लाहुम्मा उशकुर लहोमा तरबियती, व असिबहोमा अला तकरेतमी, वहफ़ज़ लहोमा मा हेफ़ेज़ाओ मिन्नी फ़ी सेगरी | हे परमात्मा! उन्हें मुझे बड़ा करने का अच्छा सवाब दे और मेरी अच्छी देखभाल करने का सवाब दे और कम उम्र में मेरे बारे में मेरा शुभ विचारक होने का सवाब दे | اللَّهُمَّ اشْکرْ لَهُمَا تَرْبِیتِی، وَ أَثِبْهُمَا عَلَی تَکرِمَتِی، وَ احْفَظْ لَهُمَا مَا حَفِظَاهُ مِنِّی فِی صِغَرِی |
अल्लहुम्मा वमा मस्सहोमा मिन्नी मिन अज़ा, ओ खलसा इलैहेमा अन्नी मिन मकरूहिन, ओ ज़ाआ क़ेबली लहोमा मन हक्किन फज्अलहो हित्ततन लेज़ोनूबेहेमा, व उलूव्वन फ़ी दरजातेहेमा, व ज़ियादतन फ़ी हसनातेहेमा, या मुबद्देलस सय्येआते बेअज़आफ़ेहा मिनल हसनाते | हे परमेश्वर! यदि मेरे कारण उन्हें कष्ट हुआ हो, अथवा मेरी ओर से कोई अप्रिय घटना घटी हो, अथवा उनके अधिकार नष्ट हो गये हों, तो इसे उनके पापों का प्रायश्चित तथा उनके पद में वृद्धि तथा सत्कर्मों में वृद्धि का हेतु समझ। हे तू जो कई बार बुराइयों को अच्छे कामों से बदल देता है! | اللَّهُمَّ وَ مَا مَسَّهُمَا مِنِّی مِنْ أَذًی، أَوْ خَلَصَ إِلَیهِمَا عَنِّی مِنْ مَکرُوهٍ، أَوْ ضَاعَ قِبَلِی لَهُمَا مِنْ حَقٍّ فَاجْعَلْهُ حِطَّةً لِذُنُوبِهِمَا، وَ عُلُوّاً فِی دَرَجَاتِهِمَا، وَ زِیادَةً فِی حَسَنَاتِهِمَا، یا مُبَدِّلَ السَّیئَاتِ بِأَضْعَافِهَا مِنَ الْحَسَنَاتِ |
अल्लाहुम्मा वमा तअद्दया अला फ़ीहे मिन क़ौलिन ओ असरफ़ा अला फ़ीहे मिन फेअलिन, ओ ज़यआहो ली मिन हक्किन, ओ क़स्सरन बी अन्हो मिन वाजेबिन फ़क़द वहब्तहू लहोमा, व जुदतो बेहि अलैहेमा व रग़िबतो इलैका फ़ी वज़ए तबेअतेहि अन्होमा, फ़इन्नी ला अत्तहेमोहोमा अला नफ़सी, वला अस्तबतेओहोमा फ़ी बिर्री, व ला अकरहू मा तवल्लयाहो मिन अमरि या रब्बे | हे पालन हार! यदि उन्होंने मेरे साथ बातचीत में कठोरता बरती है, या किसी भी काम में मेरे साथ दुर्व्यवहार किया है, या मेरे किसी भी अधिकार की उपेक्षा की है, या अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की है, तो मैं उन्हें माफ कर देता हूं और इसे भलाई और दयालुता का वसीला क़रार देता हूं, मैं चाहता हूं कि तू उन पर महाभियोग न चला। इस संबंध में, मेरे मन में उनके बारे में कोई बुरी राय नहीं है और मैं उन्हें प्रशिक्षण के मामले में आसान नहीं मानता, न ही मैं उनकी देखभाल से इनकार करता हूं, क्योंकि उनके अधिकार मेरे लिए अनिवार्य हैं, उनका एहसान लंबे समय से है और उनके सवाब अज़ीम हैं। उन्हें समान बदला देना मेरे बस की बात नहीं है। | اللَّهُمَّ وَ مَا تَعَدَّیا عَلَی فِیهِ مِنْ قَوْلٍ، أَوْ أَسْرَفَا عَلَی فِیهِ مِنْ فِعْلٍ، أَوْ ضَیعَاهُ لِی مِنْ حَقٍّ، أَوْ قَصَّرَا بیعَنْهُ مِنْ وَاجِبٍ فَقَدْ وَهَبْتُهُ لَهُمَا، وَ جُدْتُ بِهِ عَلَیهِمَا وَ رَغِبْتُ إِلَیک فِی وَضْعِ تَبِعَتِهِ عَنْهُمَا، فَإِنِّی لَا أَتَّهِمُهُمَا عَلَی نَفْسِی، وَ لَا أَسْتَبْطِئُهُمَا فِی بِرِّی، وَ لَا أَکرَهُ مَا تَوَلَّیاهُ مِنْ أَمْرِی یا رَبِّ. |
फ़होमा ओजबो हक़्क़न अला, व अक़दमो एहसानन इला, व आज़मो मिन्नतन लदय मिन अन ओक़ास्सहोमा बेअदलिन, ओ ओजाज़ीहोमा अला मिस्लिन, ऐना ऐज़न – या इलाही – तूलो शुग़लेहेमा बेतरबीयती! व ऐना शिद्दतो तआबेहेमा फ़ी हेरासती! व ऐना इक़्तारोहोमा अला अंफ़ोसेहेमा लिततोसेअते अला! | हे ईश्वर! यदि मैं ऐसा कर सकता होता तो वे हर समय मेरे प्रशिक्षण में लगे रहने, मेरी खबर पाने में कष्ट उठाने और थकने, और कठिनाई में रहने और मुझे आराम प्रदान करना कहा जाएगा। | فَهُمَا أَوْجَبُ حَقّاً عَلَی، وَ أَقْدَمُ إِحْسَاناً إِلَی، وَ أَعْظَمُ مِنَّةً لَدَی مِنْ أَنْ أُقَاصَّهُمَا بِعَدْلٍ، أَوْ أُجَازِیهُمَا عَلَی مِثْلٍ، أَینَ إِذاً- یا إِلَهِی- طُولُ شُغْلِهِمَا بِتَرْبِیتِی! وَ أَینَ شِدَّةُ تَعَبِهِمَا فِی حِرَاسَتِی! وَ أَینَ إِقْتَارُهُمَا عَلَی أَنْفُسِهِمَا لِلتَّوْسِعَةِ عَلَی |
हयहात मा यसतोफ़ीयाने मिन्नी हक़्क़होमा, व ला उदरिक मा यजेबो अला लहोमा, व ला अना बेक़ाज़िन वज़ीफ़तन ख़िदमतेहेमा, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व आइन्नी या ख़ैयरा मनिस तोईना बेहि, व वफ़्फ़िक़्नी या अहदा मन रोग़ेबा इलैहे, व ला तज्अलनी फ़ी अहलिल उक़ूक़े लिलआबाए वल उम्मेहाते यौमा तुज्ज़ा कुल्लो नफ़सिन बेमा कसबत व हुम ला युज़लमून | ऐसा कैसे हो सकता है कि वे मुझसे अपने अधिकारों का प्रतिफल पा सकें और न तो मैं उनके अधिकारों से त्यागपत्र दे सकूँ और न ही उनकी सेवा का कर्तव्य पूरा कर सकूँ। मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और मेरी मदद कर, हे उन लोगों से बेहतर जो मदद मांगते हैं, और मुझे तौफीक प्रदान कर, हे उन सभी से अधिक मार्गदर्शक जिनकी ओर देखा जाता है, और मुझे यह वह दिन प्रदान कर हर किसी को उसके कर्मों का फल मिलेगा और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। उन लोगों में से मत बनो जो अपने माता-पिता के प्रति अवज्ञाकारी हैं। | هَیهَاتَ مَا یسْتَوْفِیانِ مِنِّی حَقَّهُمَا، وَ لَا أُدْرِک مَا یجِبُ عَلَی لَهُمَا، وَ لَا أَنَا بِقَاضٍ وَظِیفَةَ خِدْمَتِهِمَا، فَصَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَعِنِّی یا خَیرَ مَنِ اسْتُعِینَ بِهِ، وَ وَفِّقْنِی یا أَهْدَی مَنْ رُغِبَ إِلَیهِ، وَ لَا تَجْعَلْنِی فِی أَهْلِ الْعُقُوقِ لِلْآبَاءِ وَ الْأُمَّهَاتِ یوْمَ تُجْزی کلُّ نَفْسٍ بِما کسَبَتْ وَ هُمْ لا یظْلَمُونَ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि व ज़ुर्रियतेहि, वखसुस अबवय बेअफ़ज़ले मा खससता बेहि आबाआ एबादेकल मोमेनीना व उम्माहातेहिम, या अर्हमर राहेमीना | हे परमात्मा, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरे माता-पिता को ईमान वालों के माता-पिता से अधिक विशिष्टता प्रदान करो। हे परम दयालु! | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ وَ ذُرِّیتِهِ، وَ اخْصُصْ أَبَوَی بِأَفْضَلِ مَا خَصَصْتَ بِهِ آبَاءَ عِبَادِک الْمُؤْمِنِینَ وَ أُمَّهَاتِهِمْ، یا أَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ |
अल्लाहुम्मा ला तुनसेनी ज़िक्रहोमा फ़ी अदबारे सलवाती, व फ़ी इन्नी मिन आनाए लैली, व फ़ी कुल्ले साअतिन मिन साआते नहारी | ऐ परमात्मा, नमाज़ के बाद, रात के घंटों में और दिन के सभी क्षणों में उनकी याद को मत भूला। | اللَّهُمَّ لَا تُنْسِنِی ذِکرَهُمَا فِی أَدْبَارِ صَلَوَاتِی، وَ فِی إِنًی مِنْ آنَاءِ لَیلِی، وَ فِی کلِّ سَاعَةٍ مِنْ سَاعَاتِ نَهَارِی |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वगफ़िर ली बेदोआई लहोमा, वग़फ़िर लहोमा बेबिर्रेहेमा बी मग़फ़ेरतन हतमन, वरज़ा अनहोमा बेशफ़ाअति लहोमा रेज़न अज़मन, व बल्लिगहोमा बिल करामते मवातेनस सलामते | हे पालनहार! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और उनके लिए मेरी दुआ के कारण और मेरे लिए अच्छा करने के कारण उन पर प्रसन्न रह और उन्हें सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ सुरक्षा के निवास तक पहुँचा | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اغْفِرْ لِی بِدُعَائِی لَهُمَا، وَ اغْفِرْ لَهُمَا بِبِرِّهِمَا بیمَغْفِرَةً حَتْماً، وَ ارْضَ عَنْهُمَا بِشَفَاعَتِی لَهُمَا رِضًی عَزْماً، وَ بَلِّغْهُمَا بِالْکرَامَةِ مَوَاطِنَ السَّلَامَةِ |
अल्लाहुम्मा व इन सबक़त मग़फ़ेरतोका लहोमा फ़शफ़्फ़ेअहोमा फ़ी, व इन सबक़त मग़फ़ेरतोका ली फ़शफ़्फ़ेअनी फीहेमा हत्ता नजतमेआ बेराफ़तेका फ़ी दारे करामतेका व महल्ले मग़फ़ेरतेका व रहमतेका, इन्नका ज़ुल फ़ज़्लिल अज़ीमे, वल मन्निल कदीमे, व अन्ता अरहमर राहेमीना | हे परमेश्वर! यदि तू उन्हें मेरे सामने क्षमा कर दे, तो उन्हें मेरा मध्यस्थ बना ले, और यदि तू पहले मुझे क्षमा कर दे, तो मुझे उनका मध्यस्थ बना दे, कि हम सब तेरी कृपा के कारण तेरे ऐश्वर्य के भवन और क्षमा और दया के निवास में एक साथ रहें। और वास्तव मे दया एकत्र हो सकती है, वह अत्यंत दयालु, और सभी दयालुओं से भी अधिक दयालु है।" | اللَّهُمَّ وَ إِنْ سَبَقَتْ مَغْفِرَتُک لَهُمَا فَشَفِّعْهُمَا فِی، وَ إِنْ سَبَقَتْ مَغْفِرَتُک لِی فَشَفِّعْنِی فِیهِمَا حَتَّی نَجْتَمِعَ بِرَأْفَتِک فِیدار کرَامَتِک وَ مَحَلِّ مَغْفِرَتِک وَ رَحْمَتِک، إِنَّک ذُو الْفَضْلِ الْعَظِیمِ، وَ الْمَنِّ الْقَدِیمِ، وَ أَنْتَ أَرْحَمُ الرَّاحِمِینَ. |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 390
- ↑ तरजुमा व शरह दुआ ए बीस्तो चहार्रुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 479-502; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 390-410
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 479-502
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 390- 410
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 397-411
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 37-91
- ↑ मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 317-326
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 311-322
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 618-638
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 56-59
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 1362-140
स्रोत
- अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
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- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी