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"अम्बिया": अवतरणों में अंतर

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रसूल और नबी के बीच अंतर
रसूल और नबी के बीच अंतर
रसूल सोते और जागते वही हासिल करता है लेकिन नबी केवल सोते हुए वही हासिल करता है।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177</ref>
 
रसूल पर वही जिब्राईल के माध्यम से पहुचंती है जबकि नबी दूसरे फ़रिश्तो के माध्यम से अथवा दिल की प्रेरणा या एक सच्चे सपने की स्थिति मे स्वीकार करता है।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177</ref>
* रसूल सोते और जागते वही हासिल करता है लेकिन नबी केवल सोते हुए वही हासिल करता है।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177</ref>
रसूल नबूवत के साथ-साथ इतमामे हुज्जत का भी हामिल होता है।<ref>मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 55</ref>
* रसूल पर वही जिब्राईल के माध्यम से पहुचंती है जबकि नबी दूसरे फ़रिश्तो के माध्यम से अथवा दिल की प्रेरणा या एक सच्चे सपने की स्थिति मे स्वीकार करता है।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177</ref>
रसूल साहेब ए शरियत होता है और अहकाम वज़्अ करता है किंतु नबी शरियत के रक्षक के कर्तव्यों का पालन करता है। तबरसी ने इस कथन का श्रेय जाहिज़ को दिया है।<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144</ref> हालांकि, तबरसी जैसे कुछ मुफ़स्सिरीन नबी और दूत को पर्यायवाची मानते हैं।<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144-145</ref>  
* रसूल नबूवत के साथ-साथ इतमामे हुज्जत का भी हामिल होता है।<ref>मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 55</ref>
* रसूल साहेब ए शरियत होता है और अहकाम वज़्अ करता है किंतु नबी शरियत के रक्षक के कर्तव्यों का पालन करता है। तबरसी ने इस कथन का श्रेय जाहिज़ को दिया है।<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144</ref> हालांकि, तबरसी जैसे कुछ मुफ़स्सिरीन नबी और दूत को पर्यायवाची मानते हैं।<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144-145</ref>


=== इमामत ===
=== इमामत ===
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