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"अम्बिया": अवतरणों में अंतर

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'''अम्बिया''' ( अरबी: انبیاء ) का भगवान अपनी ओर मनुष्यो को आमंत्रित करने के लिए चयन करता है अल्लाह वही के माध्यम से उनके साथ संपर्क मे होता है।
'''अम्बिया''' ( अरबी: انبیاء ) का भगवान अपनी ओर मनुष्यो को आमंत्रित करने के लिए चयन करता है अल्लाह वही के माध्यम से उनके साथ संपर्क मे होता है।


मासूम होना, ग़ैब का ज्ञान रखना, चमत्कार और वही को अल्लाह से प्राप्त करना उनके गुणो मे से है। कुरान ने हज़रत इब्राहीम के लिए अग्नि के शांत होने, हज़रत मूसा के डंडे के अजगर मे परिवर्तित होने और हज़रत ईसा के हाथो मृतको के जीवित होने और पवित्र कुरान जैसे चमत्कार को अम्बिया के चमत्कारो मे उल्लेख किया है।
मासूम होना, [[ग़ैब का ज्ञान]] रखना, [[चमत्कार]] और [[वही]] को अल्लाह से प्राप्त करना उनके गुणो मे से है। कुरान ने [[हज़रत इब्राहीम (अ)]] के लिए अग्नि के शांत होने, [[हज़रत मूसा (अ)]] के डंडे से अजगर मे परिवर्तित होने और [[हज़रत ईसा (अ)]] के हाथो मृतको के जीवित होने और पवित्र कुरान जैसे चमत्कार को अम्बिया के चमत्कारो मे उल्लेख किया है।


फ़ज़ीलत के हिसाब से अम्बिया के स्थान भिन्न है। कुछ अम्बिया नबूवत के साथ-साथ रिसालत और कुछ उसके साथ-साथ इमामत के पद पर नियुक्त थे। रिवायत की रोशनी मे ऊलुल अज़्म अम्बिया (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद (स) ) दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। इस प्रकार अम्बिया मे से हज़रत शीस, हज़रत इद्रीस, हज़रत मूसा, हज़रत दाऊद, हज़रत ईसा और अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (स) साहेब ए शरीयत है।
फ़ज़ीलत के हिसाब से अम्बिया के स्थान भिन्न है। कुछ अम्बिया नबूवत के साथ-साथ [[रिसालत]] और कुछ उसके साथ-साथ [[इमामत]] के पद पर नियुक्त थे। रिवायत की रोशनी मे [[ऊलुल अज़्म अम्बिया]] (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद (स)) दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। इस प्रकार अम्बिया मे से हज़रत शीस (अ), हज़रत इद्रीस (अ), हज़रत मूसा (अ), हज़रत दाऊद (अ), हज़रत ईसा (अ) और अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (स) साहेब ए शरीयत है।


प्रसिद्ध कथन के अनुसार अम्बिया की कुल संख्या एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000) है और उनमे से 25 नबीयो का नाम क़ुरान मे आया है। हज़रत आदम (अ) पहले और हज़रत मुहम्मद (स) अंतिम नबी है। शिया विद्वानो ने अम्बिया का इतिहास अपनी पुस्तको मे उल्लेख किया है जबकि अलग से उनके संबंध मे पुस्तके भी लिखी है। अल-नूरुल मुबीन फ़ी क़ेसासिल अम्बियाए वल मुरसलीन, लेखक सय्यद नेमातुल्लाह जज़ाएरी, क़ेसस उल अम्बिया, लेखक रावंदी, तनज़ीह उल-अम्बिया, लेखक सय्यद मुरर्तज़ा और हयात उल-क़ुलूब, लेखक अल्लामा मजलिसी उन पुस्तको मे से है।
प्रसिद्ध कथन के अनुसार अम्बिया की कुल संख्या एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000) है और उनमे से 25 नबीयो का नाम क़ुरान मे आया है। हज़रत आदम (अ) पहले और हज़रत मुहम्मद (स) अंतिम नबी है। शिया विद्वानो ने अम्बिया का इतिहास अपनी पुस्तको मे उल्लेख किया है जबकि अलग से उनके संबंध मे पुस्तके भी लिखी है। अल-नूरुल मुबीन फ़ी क़ेसासिल अम्बियाए वल मुरसलीन, लेखक सय्यद नेमातुल्लाह जज़ाएरी, [[क़ेसस उल अम्बिया,]] लेखक रावंदी, [[तनज़ीह उल-अम्बिया,]] लेखक सय्यद मुरर्तज़ा और [[हयात उल-क़ुलूब,]] लेखक अल्लामा मजलिसी उन पुस्तको मे से है।




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पैग़ंबर अथवा नबी बिनी किसी वास्ते के अल्लाह से ख़बर देता है[1] और वह अल्लाह और उसकी मख़लूक़ के बीच वास्ता होता है और वह अल्लाह की मख़लूक़ को अल्लाह की ओर बुलाता है। [2]
पैग़ंबर अथवा नबी बिनी किसी वास्ते के अल्लाह से ख़बर देता है[1] और वह अल्लाह और उसकी मख़लूक़ के बीच वास्ता होता है और वह अल्लाह की मख़लूक़ को अल्लाह की ओर बुलाता है। [2]


वही (रहस्योद्घाटन) लेकर उसे लोगो तक पहुंचाना, ग़ैब का इल्म[3] (अनदेखी का ज्ञान) रखना, मासूम होना[4], मुस्ताजाब उद दावा[5] (उसे कहते है जिसकी दुआ क़बूल होती है) होना नबीयो की विशेषताए है। अधिकांश धर्मशास्त्रियों का मानना है कि अम्बिया जीवन के सभी चरणों में पाप से निर्दोष हैं।[6] इसीलिए कुरान मे जहा अम्बिया के इस्तिग़फ़ार और अल्लाह की ओर से उनकी बख़्शिश का उल्लेख हुआ है[7] जैसे मिस्री व्यक्ति का हज़रत मूसा के हाथो क़त्ल[8], हज़रत यूनूस का रिसालत को छोड़ना[9], हज़रत आदम का निषिद्ध फल का खाना[10] इत्यादि को तर्के औला से वर्णित किया गया है। इनके मुक़ाबले मे कुछ धर्मशास्त्रि अम्बिया को केवल नबूत से संबंधित मामलो मे मासूम समझते है। और जीवन के दूसरे चरणो मे वो नबीयो से भूल होने को स्वीकार करते है।[11]
वही (रहस्योद्घाटन) लेकर उसे लोगो तक पहुंचाना, ग़ैब का इल्म[3] (अनदेखी का ज्ञान) रखना, मासूम होना[4], [[मुस्ताजाब उद दावा]][5] (उसे कहते है जिसकी दुआ क़बूल होती है) होना नबीयो की विशेषताए है। अधिकांश धर्मशास्त्रियों का मानना है कि अम्बिया जीवन के सभी चरणों में पाप से निर्दोष हैं।[6] इसीलिए कुरान मे जहा अम्बिया के इस्तिग़फ़ार और अल्लाह की ओर से उनकी बख़्शिश का उल्लेख हुआ है[7] जैसे मिस्री व्यक्ति का हज़रत मूसा (अ) के हाथो क़त्ल[8], हज़रत यूनूस (अ) का रिसालत को छोड़ना[9], हज़रत आदम (अ) का निषिद्ध फल का खाना[10] इत्यादि को [[तर्के औला]] से वर्णित किया गया है। इनके मुक़ाबले मे कुछ धर्मशास्त्रि अम्बिया को केवल नबूत से संबंधित मामलो मे मासूम समझते है। और जीवन के दूसरे चरणो मे वो नबीयो से भूल होने को स्वीकार करते है।[11]


==नाम और संख्या==
==नाम और संख्या==
अम्बिया की संख्या से संबंधित रिवायतो मे मतभेद पाया जाता है। प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार अल्लामा तबातबाई अम्बिया की संख्या एक लाख चौबीस हज़ार मानते है।[12] इस रिवायत के अनुसार रसूलो की संख्या 313 है, बनी इस्राईल के 600 अम्बिया के अतिरिक्त दूसरे चार नबी (हूद, सालेह, शीस और मुहम्मद) अरब है।[13] जबकि दूसरी रिवायतो मे अम्बिया की संख्या 8 हज़ार[14], 3 लाख 20 हज़ार[15] और 1लाख 44 हज़ार[16] का भी उल्लेख है। अल्लामा मजलिसी ने संभावना दी है कि 8 हजार की संख्या बुज़ुर्ग अम्बिया से संबंधित है[17] पहले नबी आदम[18] और आखिरी नबी मुहम्मद है।[19]
अम्बिया की संख्या से संबंधित रिवायतो मे मतभेद पाया जाता है। प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार अल्लामा तबातबाई अम्बिया की संख्या एक लाख चौबीस हज़ार मानते है।[12] इस रिवायत के अनुसार रसूलो की संख्या 313 है, बनी इस्राईल के 600 अम्बिया के अतिरिक्त दूसरे चार नबी (हूद (अ), सालेह (अ), शीस (अ) और मुहम्मद (स)) अरब है।[13] जबकि दूसरी रिवायतो मे अम्बिया की संख्या 8 हज़ार[14], 3 लाख 20 हज़ार[15] और 1लाख 44 हज़ार[16] का भी उल्लेख है। अल्लामा मजलिसी ने संभावना दी है कि 8 हजार की संख्या बुज़ुर्ग अम्बिया से संबंधित है[17] पहले नबी आदम (अ)[18] और आखिरी नबी मुहम्मद (स) हैं।[19]


क़ुरान मे कुछ अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है।[20] आदम(अ), नूह(अ), इद्रीस(अ), हूद(अ), सालेह(अ), इब्राहीम(अ), लूत(अ), इस्माईल(अ), अलयसा(अ), ज़ुलक़िफ़्ल(अ), इल्यास(अ), युनूस(अ), इस्हाक़(अ), याक़ूब(अ), युसुफ़(अ), शुऐब(अ), मूसा(अ), हारून(अ), दाऊद(अ), सुलेमान(अ), अय्यूब(अ), ज़करया(अ), यह्या(अ), ईसा(अ) और मुहम्मद (स) उन नामो मे से है जो क़ुरान मे आए है।[21] कुछ टिप्पणीकारों (मुफ़स्सेरीन) का मानना है कि इस्माईल बिन हज़क़ील [नोट 1] का भी कुरान में उल्लेख किया गया है।[22]  
क़ुरान मे कुछ अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है।[20] आदम(अ), नूह(अ), इद्रीस(अ), हूद(अ), सालेह(अ), इब्राहीम(अ), लूत(अ), इस्माईल(अ), अलयसा(अ), ज़ुलक़िफ़्ल(अ), इल्यास(अ), युनूस(अ), इस्हाक़(अ), याक़ूब(अ), युसुफ़(अ), शुऐब(अ), मूसा(अ), हारून(अ), दाऊद(अ), सुलेमान(अ), अय्यूब(अ), ज़करया(अ), यह्या(अ), ईसा(अ) और मुहम्मद (स) उन नामो मे से है जो क़ुरान मे आए है।[21] कुछ टिप्पणीकारों (मुफ़स्सेरीन) का मानना है कि [[इस्माईल बिन हज़क़ील]] [नोट 1] का भी कुरान में उल्लेख किया गया है।[22]  


कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।[23] कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह।  
कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।[23] कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह।  
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==स्थान और मंज़िलत==
==स्थान और मंज़िलत==
आयत (وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِيِّينَ عَلَىٰ بَعْضٍ) "वलाक़द फ़ज़्ज़लना बाज़न्न नबीय्यीना अला बाज़िन" "अनुवादः हमने कुछ नबियों को दूसरों से श्रेष्ठ बनाया", [79] सभी अम्बिया की रैंक और स्थिति समान नहीं है और उनमें से कुछ दूसरों से श्रेष्ठ हैं। हदीसों में, पवित्र पैगंबर (स) की स्थिति को अन्य नबियों से श्रेष्ठ माना गया है। [80] यहूदियों के अनुसार, नबी इस्राईल के अम्बिया को अन्य नबियों से श्रेष्ठ हैं, और उनमें से मूसा (अ) दूसरो से श्रेष्ठ हैं। [81]
आयत (وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِيِّينَ عَلَىٰ بَعْضٍ) "वलाक़द फ़ज़्ज़लना बाज़न्न नबीय्यीना अला बाज़िन" "अनुवादः हमने कुछ नबियों को दूसरों से श्रेष्ठ बनाया", [79] सभी अम्बिया की रैंक और स्थिति समान नहीं है और उनमें से कुछ दूसरों से श्रेष्ठ हैं। हदीसों में, पवित्र पैगंबर (स) की स्थिति को अन्य नबियों से श्रेष्ठ माना गया है। [80] यहूदियों के अनुसार, बनी इस्राईल के अम्बिया को अन्य नबियों से श्रेष्ठ हैं, और उनमें से मूसा (अ) दूसरो से श्रेष्ठ हैं। [81]


===ऊलुल अज़्म===
===ऊलुल अज़्म===
अल्लामा तबातबाई के अनुसार सूरा ए अहकाफ़ की 35वीं आयत मे अज़्म का अर्थ शरियत है और ऊलुल अज़्म का अर्थ साहेब ए शरियत नबी है। इनकी दृष्टि से पांच नबी (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद) ऊलुल अज़्म नबी है।[82] कुछ का कहना है कि ऊलुल अज़्म साहेबाने शरियत अम्बिया मे निर्भर नही है।[83] रिवायत के आधार पर ऊलुल अज़्म पैगंबर दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। [84]
अल्लामा तबातबाई के अनुसार [[सूरा ए अहकाफ़]] की 35वीं आयत मे अज़्म का अर्थ शरियत है और ऊलुल अज़्म का अर्थ साहेब ए शरियत नबी है। इनकी दृष्टि से पांच नबी (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद) ऊलुल अज़्म नबी है।[82] कुछ का कहना है कि ऊलुल अज़्म साहेबाने शरियत अम्बिया मे निर्भर नही है।[83] रिवायत के आधार पर ऊलुल अज़्म पैगंबर दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। [84]


===रिसालत===
===रिसालत===
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===इमामत===
===इमामत===
आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है। [92] कुछ रिवायतो मे इमामत के पद को नबूवत के पद पर प्राथमिकता दी गई है क्योकि यह पद हज़रत इब्राहीम को नबूवत प्रदान करने के पश्चात जीवन के अंतिम पड़ाव मे प्रदान की गई।[93] सूरा ए अम्बिया मे हज़रत इब्राहीम, इस्हाक़, याक़ूब और लूत को इमाम कहा गया है।[94] इमाम सादिक (अ) से नक़्ल एक हदीस के अनुसार सभी ऊलुल अज़्म अम्बिया इमामत के पद पर भी नियुक्त थे।[95]   
आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है। [92] कुछ रिवायतो मे इमामत के पद को नबूवत के पद पर प्राथमिकता दी गई है क्योकि यह पद हज़रत इब्राहीम को नबूवत प्रदान करने के पश्चात जीवन के अंतिम पड़ाव मे प्रदान की गई।[93] सूरा ए अम्बिया मे हज़रत इब्राहीम (अ), इस्हाक़ (अ), याक़ूब (अ) और लूत (अ) को इमाम कहा गया है।[94] [[शियो के इमाम|इमाम सादिक (अ)]] से नक़्ल एक हदीस के अनुसार सभी ऊलुल अज़्म अम्बिया इमामत के पद पर भी नियुक्त थे।[95]   


===फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता===
===फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता===
शेक मुफ़ीद, इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश मोतज़ेला फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है।[96]   कुच हदीसे पैगंबर अकरम (स) और शियो के बारह इमामो को फरिश्तो पर फ़ज़ीलत देती है। [97]  
शेक मुफ़ीद, इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश मोतज़ेला फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है।[96] कुच हदीसे पैगंबर अकरम (स) और शियो के बारह इमामो को फरिश्तो पर फ़ज़ीलत देती है। [97]  


==किताब और शरीयत==
==किताब और शरीयत==
नबीयो मे से कुछ साहेब ए किताब (किताब वाले नबी) थे। कुरान की आयात के अनुसार ज़बूर हज़रत दाऊद[98], तौरात हज़रत मूसा [नोट 3], इंजील हज़रत ईसा[99] और क़ुरान हज़रत मुहम्मद (स) [100] की किताब है। क़ुरान ने हज़रत इब्राहीम के लिए किताब का नाम नही लिया लेकिन उनके लिए "सोहोफ़" शब्द का प्रयोग किय है।[101] इसी प्रकार एक हदीस के अनुसार खुदावंद ने 50 सहीफ़े हज़रत शीस, 30 सहीफ़े हज़रत इद्रीस और 20 सहीफ़े हज़रत इब्राहीम के लिए भेजे।[102]
नबीयो मे से कुछ साहेब ए किताब (किताब वाले नबी) थे। कुरान की आयात के अनुसार [[ज़बूर]] हज़रत दाऊद[98], [[तौरात]] हज़रत मूसा [नोट 3], [[इंजील]] हज़रत ईसा[99] और [[क़ुरान]] हज़रत मुहम्मद (स) [100] की किताब है। क़ुरान ने हज़रत इब्राहीम के लिए किताब का नाम नही लिया लेकिन उनके लिए [["सोहोफ़"]] शब्द का प्रयोग किय है।[101] इसी प्रकार एक हदीस के अनुसार खुदावंद ने 50 सहीफ़े हज़रत शीस (अ), 30 सहीफ़े हज़रत इद्रीस (अ) और 20 सहीफ़े हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए भेजे।[102]


टीकाकारो ने सूरा ए शूरा की आयत न 13 [नोट 4] को ध्यान मे रखते हुए हज़रत नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद को साहेबाने शरियात अम्बिया कहा है।[103] कुछ रिवायतो मे अम्बिया के ऊलुल अज़्म होने का कारण साहेब ए शरियत बताया है। [104]  
टीकाकारो ने [[सूरा ए शूरा]] की आयत न 13 [नोट 4] को ध्यान मे रखते हुए हज़रत नूह (अ), इब्राहीम (अ), मूसा (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स) को [[साहेबाने शरियात अम्बिया]] कहा है।[103] कुछ रिवायतो मे अम्बिया के ऊलुल अज़्म होने का कारण साहेब ए शरियत बताया है। [104]  


अल्लामा तबातबाई का कहना है कि ऊलुल अज़्म नबीयो मे से प्रत्येक साहेब शरियत नबी था।[105]  उन्होने इस बात को भी कहा है कि हजरत दाऊद[106], शीस और इद्रीस[107]  इत्यादि का ऊलुल अज़्म नबी न होने के बावजूद साहेब ए किताब होना ऊलुल अज़्म अम्बिया के साहेब शरियत होने के साथ किसी प्रकार का कोई मतभेद नही है क्योकि जो अम्बिया ऊलुल अज़्म नही है लेकिन उनपर नाजिल होने वाले किताबे अहकाम और शरियत पर आधारित नही थी।[108]
अल्लामा तबातबाई का कहना है कि ऊलुल अज़्म नबीयो मे से प्रत्येक साहेब शरियत नबी था।[105]  उन्होने इस बात को भी कहा है कि हजरत दाऊद (अ) [106], शीस (अ) और इद्रीस (अ)[107]  इत्यादि का ऊलुल अज़्म नबी न होने के बावजूद साहेब ए किताब होना ऊलुल अज़्म अम्बिया के साहेब शरियत होने के साथ किसी प्रकार का कोई मतभेद नही है क्योकि जो अम्बिया ऊलुल अज़्म नही है लेकिन उनपर नाजिल होने वाले किताबे अहकाम और शरियत पर आधारित नही थी।[108]
   
   
==मोज्ज़ात (चमत्कार)==
==मोज्ज़ात (चमत्कार)==
चमत्कार के माध्यम से नबूवत के सच्चे दावेदारो को नबूवत के झूठे दावेदारो से अलग किया जाता है। मोज्ज़ा एक असाधारण कार्य है जो ईश्वर की ओर से एक नबी के हाथों प्रकट होता है और यह नबूवत के दावे और तहद्दी के साथ होता है।[109] क़ुरान ने अम्बिया के कुछ मोज्ज़ात का उल्लेख किया है जैसे हज़रत सालेह की ऊँटनी[110], हज़रत इब्राहीम के लिए अग्नि का ठंडा हो जाना[111], हज़रत इब्राहीम के हाथो चार पक्षीयो का जीवित होना[112], हज़रत मूसा के 9 मोज्ज़े जिनमे ठंडे का अजगर मे परिवर्तित होना[113], फ़रज़ंदाने बनी इस्राईल के लिए 12 चश्मो का जारी होना[114], बनी इस्राईल की निजात के लिए दरिया मे मार्ग बनना[115], यदे बैज़ा[116], हज़रत ईसा के चमत्कार जैसे रोगीयो को स्वस्थ करना, मृतको को जीवित करना, गीली मिट्टी का पक्षी मे परिवर्तित होना[117], और पैगंबर अकरम (स) के मोज्ज़ात जैसे कुरान करीम[118], शक़्क़ुल क़मर (चंद्रमा के दो भाग होना) [119] अम्बिया के प्रसिद्ध चमत्कारो मे से है जिनकी ओर कुरान ने इशारा किया है। सुन्नी टीकाकार इब्ने जोज़ी के अनुसार इस्लामी स्रोतो मे पैगंबर अकरम (स) के एक हज़ार मोज्ज़ात का उल्लेख है।[120]  
चमत्कार के माध्यम से नबूवत के सच्चे दावेदारो को नबूवत के झूठे दावेदारो से अलग किया जाता है। मोज्ज़ा एक असाधारण कार्य है जो ईश्वर की ओर से एक नबी के हाथों प्रकट होता है और यह नबूवत के दावे और तहद्दी के साथ होता है।[109] क़ुरान ने अम्बिया के कुछ मोज्ज़ात का उल्लेख किया है जैसे हज़रत [[सालेह (अ) की ऊँटनी]][110], हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए अग्नि का ठंडा हो जाना[111], हज़रत इब्राहीम (अ) के हाथो चार पक्षीयो का जीवित होना[112], हज़रत मूसा (अ) के 9 मोज्ज़े जिनमे डंडे का अजगर मे परिवर्तित होना[113], फ़रज़ंदाने बनी इस्राईल के लिए 12 चश्मो का जारी होना[114], बनी इस्राईल की निजात के लिए दरिया मे मार्ग बनना[115], [[यदे बैज़ा]][116], हज़रत ईसा (अ) के चमत्कार जैसे रोगीयो को स्वस्थ करना, मृतको को जीवित करना, गीली मिट्टी का पक्षी मे परिवर्तित होना[117], और पैगंबर अकरम (स) के मोज्ज़ात जैसे कुरान करीम[118], [[शक़्क़ुल क़मर]] (चंद्रमा के दो भाग होना) [119] अम्बिया के प्रसिद्ध चमत्कारो मे से है जिनकी ओर कुरान ने इशारा किया है। सुन्नी टीकाकार इब्ने जोज़ी के अनुसार इस्लामी स्रोतो मे पैगंबर अकरम (स) के एक हज़ार मोज्ज़ात का उल्लेख है।[120]  


अलग-अलग समय में लोगों की अलग-अलग जरूरतों और उनके ज्ञान के कारण चमत्कारों में भी अंतर पाया जाता है। हिकमते इलाही नबी के मुख़ातेबीन की आवश्यकता और उसके उपयुक्त मोज्ज़े को निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, हज़रत मूसा के समय में जादू-टोना किया जाता था, इसलिए परमेश्वर ने मूसा का मोज्ज़ा असा (ठंडा) क़रार दिया ताकि जादूगर उस जैसा न कर सकें और दूसरो पर खुदा की हुज्जत तमाम हो जाए। [121]
अलग-अलग समय में लोगों की अलग-अलग जरूरतों और उनके ज्ञान के कारण चमत्कारों में भी अंतर पाया जाता है। हिकमते इलाही नबी के मुख़ातेबीन की आवश्यकता और उसके उपयुक्त मोज्ज़े को निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, हज़रत मूसा (अ) के समय में जादू-टोना किया जाता था, इसलिए परमेश्वर ने मूसा का मोज्ज़ा असा (डंडा) क़रार दिया ताकि जादूगर उस जैसा न कर सकें और दूसरो पर खुदा की हुज्जत तमाम हो जाए। [121]


===इरहासात===
===इरहासात===
धर्मशास्त्रियो की दृष्टी मे अम्बिया की बेसत से पहले घटने वाली असाधारण घटनाओ को इरहासात कहा जाता है।[122] इनके प्रकट होने का कारण यह है कि अम्बिया की बेसत पश्चात लोग इनके जैसी घटनाओ के घटने की स्थिति मे स्वीकार करने की किसी प्रकार का सोच विचार न करें अर्थात इरहासात लोगो को असाधारण कार्यो को स्वीकार करने की तैयारी के उद्देश्य से होते थे। नील नदी से हजरत मूसा का निजात पाना, हजरत ईसा का पालने मे बात करना[123], ईरान मे सावा नदी का सूख जाना, महल्लाते कसरा का लरज़ना, फ़ारस के आतिश्कदे का बुझ जाना, और रसूल अल्लाह के जन्म के समय घटने वाली घटनाओ[124] को पैगंबरो के इरहासात मे गणना की जाती है।
धर्मशास्त्रियो की दृष्टी मे [[अम्बिया की बेसत]] से पहले घटने वाली असाधारण घटनाओ को इरहासात कहा जाता है।[122] इनके प्रकट होने का कारण यह है कि अम्बिया की बेसत पश्चात लोग इनके जैसी घटनाओ के घटने की स्थिति मे स्वीकार करने की किसी प्रकार का सोच विचार न करें अर्थात इरहासात लोगो को असाधारण कार्यो को स्वीकार करने की तैयारी के उद्देश्य से होते थे। [[नील नदी]] से हजरत मूसा (अ) का निजात पाना, हजरत ईसा (अ) का पालने मे बात करना[123], [[ईरान]] मे [[सावा नदी]] का सूख जाना, [[महल्लाते कसरा]] का लरज़ना, [[फ़ारस के आतिश्कदे]] का बुझ जाना, और रसूल अल्लाह के जन्म के समय घटने वाली घटनाओ[124] को पैगंबरो के इरहासात मे गणना की जाती है।


==किताबो का परिचय==
==किताबो का परिचय==
मोहद्देसीन, मुफ़स्सेरीन और इस्लामी धर्मशास्त्रियो ने अपनी रचनाओ मे अम्बिया से संबंधित बातो का उल्लेख किया है। अल्लामा मजलिसी ने किताब बिहार उल-अनवार के चार खंड अम्बिया से संबंधित रिवायत[125] और बिहार उल-अनवार के 9 खंड को पैगंबर अकरम के इतिहास से मख़सूस किया है।[126] इसी प्रकार अम्बिया से संबंधित अलग-अलग किताबे भी लिखी गई है। अधिकांश क़ैसासे अम्बिया के शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। उनमे से अधिकांश अम्बिया की जीवनी और उनसे संबंधित अकाइद की चर्चा की गई है। उनमे से कुछ के नाम निम्नलिखित हैः
मोहद्देसीन, मुफ़स्सेरीन और इस्लामी धर्मशास्त्रियो ने अपनी रचनाओ मे अम्बिया से संबंधित बातो का उल्लेख किया है। अल्लामा मजलिसी ने किताब [[बिहार उल-अनवार]] के चार खंड अम्बिया से संबंधित रिवायत[125] और बिहार उल-अनवार के 9 खंड को पैगंबर अकरम के इतिहास से मख़सूस किया है।[126] इसी प्रकार अम्बिया से संबंधित अलग-अलग किताबे भी लिखी गई है। अधिकांश [[क़ेससे अम्बिया]] के शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। उनमे से अधिकांश अम्बिया की जीवनी और उनसे संबंधित अकाइद की चर्चा की गई है। उनमे से कुछ के नाम निम्नलिखित हैः


* '''अल-नूर उल-मुबीन फ़ी क़ेसस इल अम्बिया-ए वल मुरसलीनः''' इस किताब को नेमातुल्लाह जज़ाएरी (1050-1112हिजरी) ने लिखा। यह किताब शिया रिवायतो मे उल्लेखित होने वाली अम्बिया की जीवनी पर आधारित है। लेखक ने किताब की भूमीका मे अम्बिया की संख्या, उनमे पाई जानी वाली समानता, ऊलुल अज़्म अम्बिया, और नबी तथा इमाम के बीच पाए जाने वाले अंतर पर चर्चा की है। अस्ल किताब अरबी भाषा मे है जबकि इसका अनुवाद फ़ारसी भाषा मे भी प्रकाशित हो चुका है।
* [['''अल-नूर उल-मुबीन फ़ी क़ेसस इल अम्बिया-ए वल मुरसलीनः''']] इस किताब को [[नेमातुल्लाह जज़ाएरी]] (1050-1112हिजरी) ने लिखा। यह किताब शिया रिवायतो मे उल्लेखित होने वाली अम्बिया की जीवनी पर आधारित है। लेखक ने किताब की भूमीका मे अम्बिया की संख्या, उनमे पाई जानी वाली समानता, ऊलुल अज़्म अम्बिया, और नबी तथा इमाम के बीच पाए जाने वाले अंतर पर चर्चा की है। अस्ल किताब अरबी भाषा मे है जबकि इसका अनुवाद फ़ारसी भाषा मे भी प्रकाशित हो चुका है।
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* '''क़ेसस उल-अम्बिया रावंदीः''' यह किताब कुतुबुद्दीन रावंदी ने लिखी है। लेखक ने इस किताब मे अम्बिया की परिस्थितियों का कालानुक्रमिक रूप से उल्लेख किया है।
* [['''क़ेसस उल-अम्बिया रावंदीः''']] यह किताब [[कुतुबुद्दीन रावंदी]] ने लिखी है। लेखक ने इस किताब मे अम्बिया की परिस्थितियों का कालानुक्रमिक रूप से उल्लेख किया है।
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* '''तनज़ीह उल-अम्बिया वल-आइम्माः''' सैयद मुर्तजा (355-436 हिजरी) ने पैगंबरों की इस्मत की पुष्टि करने के लिए इसे अरबी में संकलित किया। इस पुस्तक में लेखक ने अम्बिया को सभी प्रकार की गलतियों, छोटे और बड़े पापों से निर्दोष माना है।  
* [['''तनज़ीह उल-अम्बिया वल-आइम्माः]]''' [[सैयद मुर्तजा]] (355-436 हिजरी) ने पैगंबरों की इस्मत की पुष्टि करने के लिए इसे अरबी में संकलित किया। इस पुस्तक में लेखक ने अम्बिया को सभी प्रकार की गलतियों, छोटे और बड़े पापों से निर्दोष माना है।  
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* '''वक़ाए अल-सेनीन वल-आवामः''' सैयद अब्दुल हुसैन खातूनाबादी (मृत्यु 1105 एएच) द्वारा संकलित है। किताब तीन भाग पर आधारित हैं। पहला भाग अम्बिया के इतिहास से संबंधित है। इस भाग में, लेखक ने अम्बिया के नाम, जीवन काल और कुछ अम्बिया की कहानियों का उल्लेख किया है, जबकि अन्य दो भागों में, अल्लाह के रसूल के समय में हुई घटनाओं का वर्णन किया गया है इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया गया है।  
* [['''वक़ाए अल-सेनीन वल-आवामः''']] [[सैयद अब्दुल हुसैन खातूनाबादी]] (मृत्यु 1105 एएच) द्वारा संकलित है। किताब तीन भाग पर आधारित हैं। पहला भाग अम्बिया के इतिहास से संबंधित है। इस भाग में, लेखक ने अम्बिया के नाम, जीवन काल और कुछ अम्बिया की कहानियों का उल्लेख किया है, जबकि अन्य दो भागों में, अल्लाह के रसूल के समय में हुई घटनाओं का वर्णन किया गया है इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया गया है।  
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* '''लताइफ़ ए केसस उल-अम्बिया अलैहेमुस सलामः''' सहल बिन अब्दुल्ला तुस्तरि (मृत्यु 238 हिजरी) की रचान है। इस पुस्तक में, नबियों के जीवन से संबंधित बिंदुओं को आयतो और रिवायतो के प्रकाश में वर्णित किया गया है।
* [['''लताइफ़ ए केसस उल-अम्बिया अलैहेमुस सलामः''']] [[सहल बिन अब्दुल्ला तुस्तरी]] (मृत्यु 238 हिजरी) की रचान है। इस पुस्तक में, नबियों के जीवन से संबंधित बिंदुओं को आयतो और रिवायतो के प्रकाश में वर्णित किया गया है।
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* '''हयात उल-क़ुलूबः''' अल्लामा मजलिसी (मृत्यु 1110 हिजरी) का संकलन है। इसमें नबियों और उनके उत्तराधिकारियों की जीवन स्थितियों का वर्णन है। इस पुस्तक में, मजलिसी ने सार्वजनिक नबूवत, ख़िलाफ़ते इमाम अली (अ), वजूबे वजूदे इमाम (इमाम के अस्तित्व की आवश्यकता), इमाम के नियुक्त होने और इस्मत की बहसो पर चर्चा की है।
* [['''हयात उल-क़ुलूबः''']] [[अल्लामा मजलिसी]] (मृत्यु 1110 हिजरी) का संकलन है। इसमें नबियों और उनके उत्तराधिकारियों की जीवन स्थितियों का वर्णन है। इस पुस्तक में, मजलिसी ने सार्वजनिक नबूवत, ख़िलाफ़ते इमाम अली (अ), वजूबे वजूदे इमाम (इमाम के अस्तित्व की आवश्यकता), इमाम के नियुक्त होने और इस्मत की बहसो पर चर्चा की है।


इसी तरह, सुन्नी विद्वानों मे से क़ेसस उल-अम्बिया अल-मुसम्मा अराएस इल-मजालिस लेखक अहमद बिन मुहम्मद सालबी, केसस उल-अम्बिया, इब्ने कसीर और अबू इस्हाक नेशापूरी की केसस उल-अम्बिया भी उल्लेखनीय है।
इसी तरह, सुन्नी विद्वानों मे से क़ेसस उल-अम्बिया अल-मुसम्मा अराएस इल-मजालिस लेखक अहमद बिन मुहम्मद सालबी, केसस उल-अम्बिया, इब्ने कसीर और अबू इस्हाक नेशापूरी की केसस उल-अम्बिया भी उल्लेखनीय है।
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