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"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर

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अपने पिता की शहादत के बाद, इमाम हसन मुज्तबा (अ) ने अल्लाह के फरमान और अपने पिता की वसीयत के अनुसार इमामत का पद ग्रहण किया और कुछ समय के लिए स्पष्ट खिलाफत का पद धारण किया। उन्होंने लगभग 6 महीने तक मुसलमानों के मामलों का प्रबंधन किया और इस अवधि के दौरान अमीर उल-मोमीन (अ) और [[मुआविया बिन अबी सुफियान]] – जो आपके परिवार के एक जिद्दी दुश्मन और वर्षों से खिलाफत का लालची ( शुरू में उस्मान के रक्त के बहाने और अंत में खिलाफत का स्पष्ट रूप से दावा करेत हुए) लड़ा था। - ने इराक पर – जो आपकी सरकार का केंद्र था-  हमला करके युद्ध शुरू किया, और दूसरी ओर इमाम के सेना कमांडरों को रिश्वत के रूप में बड़ी रकम देने और पद एंवम स्थिति के वादे देकर उन्हे भटका दिया और अपनी ही की सेना को आपके खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया।
अपने पिता की शहादत के बाद, इमाम हसन मुज्तबा (अ) ने अल्लाह के फरमान और अपने पिता की वसीयत के अनुसार इमामत का पद ग्रहण किया और कुछ समय के लिए स्पष्ट खिलाफत का पद धारण किया। उन्होंने लगभग 6 महीने तक मुसलमानों के मामलों का प्रबंधन किया और इस अवधि के दौरान अमीर उल-मोमीन (अ) और [[मुआविया बिन अबी सुफियान]] – जो आपके परिवार के एक जिद्दी दुश्मन और वर्षों से खिलाफत का लालची ( शुरू में उस्मान के रक्त के बहाने और अंत में खिलाफत का स्पष्ट रूप से दावा करेत हुए) लड़ा था। - ने इराक पर – जो आपकी सरकार का केंद्र था-  हमला करके युद्ध शुरू किया, और दूसरी ओर इमाम के सेना कमांडरों को रिश्वत के रूप में बड़ी रकम देने और पद एंवम स्थिति के वादे देकर उन्हे भटका दिया और अपनी ही की सेना को आपके खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया।


====सुल्हे इमाम हसन (अ.स.)====
====सुल्हे इमाम हसन (अ)====
'''विस्तृत लेखः सुल्हे इमाम हसन (अ.स.)'''
'''विस्तृत लेखः सुल्हे इमाम हसन (अ)'''
[[चित्र:بقیع.JPG|270px|अंगूठाकार|इमाम हसन मुज्तबा का मरक़द [[जन्नत उल-बक़ीअ]]]]
[[चित्र:بقیع.JPG|270px|अंगूठाकार|इमाम हसन मुज्तबा का मरक़द [[जन्नत उल-बक़ीअ]]]]
अंतः हज़रत इमाम हसन मुज्तबा (अ) [[सुल्ह]] पर विवश हुए और कुछ शर्तो पर जाहिरी हकूमत मुआविया को दी गई (उनमें से एक यह कि, मुआविया की मृत्यु के बाद खिलाफत इमाम के पास आजाएगी, मुआविया क्राउन प्रिंस की घोषणा नहीं करेगा, और अहले-बैत कि शियो का जीवन और संपत्ति सुरक्षित होगी )<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 202-203</ref>   
अंतः हज़रत इमाम हसन मुज्तबा (अ) [[सुल्ह]] पर विवश हुए और कुछ शर्तो पर जाहिरी हकूमत मुआविया को दी गई (उनमें से एक यह कि, मुआविया की मृत्यु के बाद खिलाफत इमाम के पास आजाएगी, मुआविया क्राउन प्रिंस की घोषणा नहीं करेगा, और अहले-बैत कि शियो का जीवन और संपत्ति सुरक्षित होगी )<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 202-203</ref>   
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