गुमनाम सदस्य
"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर
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इमाम हादी (अ.स.) ने (220 -254 हिजरी) 33 साल तक<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 297; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 355</ref> शियाओं की इमामत की और इस 33 साल की अवधि मे मोअतसिम, वासिक़, मुतावक्किल, मुंतसिर, मुस्तईन और मुअतज़ जैसे छः अब्बासी खलीफा आपके समकालीन थे।<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 355; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 502</ref> | इमाम हादी (अ.स.) ने (220 -254 हिजरी) 33 साल तक<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 297; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 355</ref> शियाओं की इमामत की और इस 33 साल की अवधि मे मोअतसिम, वासिक़, मुतावक्किल, मुंतसिर, मुस्तईन और मुअतज़ जैसे छः अब्बासी खलीफा आपके समकालीन थे।<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 355; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 502</ref> | ||
मुतावक्किल ने 233 हिजरी में इमाम हादी (अ.स.)<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 503</ref> को निगरानी में रखने के लिए उन्हें मदीना से समारा बुलाया<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538</ref>- जो उस समय खिलाफत का केंद्र था-<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 498; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 355</ref> आप (अ.स.) ने अपना बाकी जीवन वही पर व्यतीत किया।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 506</ref>मुतवक्किल की मृत्यु पश्चात ख़िलाफत की बागडोर क्रमशः मुंतसिर, मुस्तईन और मुअतज़ अपने हाथो मे घुमाते रहे। इमाम हादी (अ.स.) को मोअतज़ के दौराने खिलाफ़त मे जहर देकर शहीद कर दिया गया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 227; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 500-502</ref> | मुतावक्किल ने 233 हिजरी में इमाम हादी (अ.स.)<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 503</ref> को निगरानी में रखने के लिए उन्हें मदीना से समारा बुलाया<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538</ref>- जो उस समय खिलाफत का केंद्र था-<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 498; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 355</ref> आप (अ.स.) ने अपना बाकी जीवन वही पर व्यतीत किया।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 506</ref>मुतवक्किल की मृत्यु पश्चात ख़िलाफत की बागडोर क्रमशः मुंतसिर, मुस्तईन और मुअतज़ अपने हाथो मे घुमाते रहे। इमाम हादी (अ.स.) को [[मोअतज़]] के दौराने खिलाफ़त मे जहर देकर शहीद कर दिया गया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 227; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 500-502</ref> | ||
इमाम हादी (अ.स.) शियाओं को दुआ और ज़ियारतो के माध्यम से शिक्षित करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 522</ref>महत्वपूर्ण ज़ियारत ज़ियारत ए जामेआ ए कबीरा इमाम हादी (अ.स.) से नक़ल हुई है।<ref>सुदुक़, मन ला यहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 2, पेज 609</ref> | इमाम हादी (अ.स.) शियाओं को दुआ और ज़ियारतो के माध्यम से शिक्षित करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 522</ref>महत्वपूर्ण ज़ियारत ज़ियारत ए जामेआ ए कबीरा इमाम हादी (अ.स.) से नक़ल हुई है।<ref>सुदुक़, मन ला यहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 2, पेज 609</ref> |