गुमनाम सदस्य
"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर
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जाफ़र बिन मुहम्मद, इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) और शियो के छठे इमाम है। इमाम बाक़िर (अ.स.) और [[कासिम बिन मुहम्मद बिन अबी बक्र]] की बेटी उम्मे फ़रवा के बेटे है। आपका जन्म इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी उल-अव्वल की 17 तारीख 83 हिजरि को मदीना में हुआ। <ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 179-180 तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 271</ref> 148 <ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 180; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 271</ref> हिजरी मे अब्बासी ख़लीफ़ा [[मंसूर]] द्वारा आपको जहर देकर शहीद कर दिया गया <ref>इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबि तालिब, भग 4, पेज 280; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 326</ref> और आपको मदीना के प्रसिद्द कब्रिस्तान बक़ीअ मे दफनाया गया।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 180; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 272</ref> | जाफ़र बिन मुहम्मद, इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) और शियो के छठे इमाम है। इमाम बाक़िर (अ.स.) और [[कासिम बिन मुहम्मद बिन अबी बक्र]] की बेटी उम्मे फ़रवा के बेटे है। आपका जन्म इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी उल-अव्वल की 17 तारीख 83 हिजरि को मदीना में हुआ। <ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 179-180 तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 271</ref> 148 <ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 180; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 271</ref> हिजरी मे अब्बासी ख़लीफ़ा [[मंसूर]] द्वारा आपको जहर देकर शहीद कर दिया गया <ref>इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबि तालिब, भग 4, पेज 280; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 326</ref> और आपको मदीना के प्रसिद्द कब्रिस्तान बक़ीअ मे दफनाया गया।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 180; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 272</ref> | ||
इमाम सादिक ने अपने 34 साल की इमामत <ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 218-219</ref> के दौरान ख़िलाफ़त ए उमय्या की कमजोरी का लाभ उठाते हुए इस्लामी शिक्षाओं के प्रकाशन के लिए एक उपयुक्त मंच प्राप्त किया, उन्होंने धार्मिक शिक्षाओं को प्रकाशित करते हुए विभिन्न विषयो मे विशेषज्ञ छात्रो को प्रशिक्षित किए।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 179-180; मनाक़िब ए आले अबि तालिब, भग 4, पेज 247</ref> उनके छात्रों और कथाकारों (मोहद्देसीन) की संख्या 4000 होने का अनुमान है।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 219</ref> [[ज़ुरारा,]] [[मुहम्मद बिन मुस्लिम,]] [[मोमिन ए ताक़]], [[हेशाम बिन हकम]], [[अबान बिन तग़लिब]], हिशाम बिन सालिम, जाबिर बिन हय्यान<ref>मनाक़िब ए आले अबि तालिब, भग 4, पेज 247-248; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 327-329</ref> और सुन्नियों मे सुफ़्यान ए सूरी, अबू हनीफ़ा (हनफ़ी संप्रदाय के प्रमुख), मालेकी संप्रदाय के प्रमुख मालिक बिन अनस, छठे इमाम के छात्रो में से थे।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 179</ref> | इमाम सादिक ने अपने 34 साल की इमामत <ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 218-219</ref> के दौरान ख़िलाफ़त ए उमय्या की कमजोरी का लाभ उठाते हुए इस्लामी शिक्षाओं के प्रकाशन के लिए एक उपयुक्त मंच प्राप्त किया, उन्होंने धार्मिक शिक्षाओं को प्रकाशित करते हुए विभिन्न विषयो मे विशेषज्ञ छात्रो को प्रशिक्षित किए।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 179-180; मनाक़िब ए आले अबि तालिब, भग 4, पेज 247</ref> उनके छात्रों और कथाकारों (मोहद्देसीन) की संख्या 4000 होने का अनुमान है।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 219</ref> [[ज़ुरारा,]] [[मुहम्मद बिन मुस्लिम,]] [[मोमिन ए ताक़]], [[हेशाम बिन हकम]], [[अबान बिन तग़लिब]], [[हिशाम बिन सालिम,]] जाबिर बिन हय्यान<ref>मनाक़िब ए आले अबि तालिब, भग 4, पेज 247-248; जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 327-329</ref> और सुन्नियों मे सुफ़्यान ए सूरी, अबू हनीफ़ा (हनफ़ी संप्रदाय के प्रमुख), मालेकी संप्रदाय के प्रमुख मालिक बिन अनस, छठे इमाम के छात्रो में से थे।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 179</ref> | ||
शेख मुफ़ीद के अनुसार अधिकांश हदीसे इमाम सादिक़ (अ.स.) से आई है।<ref>शहीदी, ज़िंदगानी इमाम सादिक़, पेज 61</ref> इसीकारण वंश शिया संप्रदाय को जाफ़री मज़हब कहा जाता है।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 215 | शेख मुफ़ीद के अनुसार अधिकांश हदीसे इमाम सादिक़ (अ.स.) से आई है।<ref>शहीदी, ज़िंदगानी इमाम सादिक़, पेज 61</ref> इसीकारण वंश शिया संप्रदाय को जाफ़री मज़हब कहा जाता है।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 215 |