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"सय्यद हसन नसरुल्लाह": अवतरणों में अंतर

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* हम अपनी आत्माओं, प्राणों, बच्चों और संपत्तियों के साथ [[इमाम हुसैन (अ.स.)]] से कहते हैं: "लब्बैक या हुसैन"। हम इस समझौते और निमंत्रण से मुंह नहीं मोड़ेंगे।
* हम अपनी आत्माओं, प्राणों, बच्चों और संपत्तियों के साथ [[इमाम हुसैन (अ.स.)]] से कहते हैं: "[[लब्बैक या हुसैन]]"। हम इस समझौते और निमंत्रण से मुंह नहीं मोड़ेंगे।
* सभी अत्याचारियों, हमलावरों, भ्रष्टाचारियों, अवसरवादियों और उन लोगों से जो हमारी इच्छा, दृढ़ संकल्प और स्थिति को तोड़ने पर आमादा हैं, हम कहते हैं कि हम उस इमाम के बच्चे हैं, उन पुरुषों और वे महिलाओं और भाईयों और उन युवाओं में से हैं जो [[आशूरा का दिन]] इमाम हुसैन के साथ खड़े थे। और इमाम हुसैन के इस वाक्य को इतिहास को संबोधित करके कह रहे थे है: हैहात मिन्नज़ ज़िल्लह, असंभव है कि हम ज़िल्लत को स्वीकार करे।[26]
* सभी अत्याचारियों, हमलावरों, भ्रष्टाचारियों, अवसरवादियों और उन लोगों से जो हमारी इच्छा, दृढ़ संकल्प और स्थिति को तोड़ने पर आमादा हैं, हम कहते हैं कि हम उस इमाम के बच्चे हैं, उन पुरुषों और वे महिलाओं और भाईयों और उन युवाओं में से हैं जो [[आशूरा का दिन]] इमाम हुसैन के साथ खड़े थे। और इमाम हुसैन के इस वाक्य को इतिहास को संबोधित करके कह रहे थे है: [[हैहात मिन्नज़ ज़िल्लह]], असंभव है कि हम ज़िल्लत को स्वीकार करे।[26]
* निस्संदेह, वह समय बीत चुका है जब वे इसराइली हमें डराते थे। डराने और धमकाने वाला समय इज़राइल ख़त्म हो चुका है। आज नहीं, बहुत समय पहले समाप्त हो चुका है ... आशूरा के दिन, और उसी स्थान से, हम देश, राष्ट्र, पवित्र चीज़ों की रक्षा करने और महान ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए अपनी इच्छा, दृढ़ संकल्प और आग्रह प्राप्त करते हैं और यहाँ तक कि एक दिन भी हमें इमाम हुसैन के साथ में रहने को लेकर कोई संदेह नहीं हुआ। हम अपना जीवन, खून, बच्चे, पैसा और वह सब कुछ जो हमें प्रिय है, उनके ऊपर क़ुर्बान कर देगें और मिट जायेगें मगर मिट नही पायेगें। क्योंकि उसके बाद हम हमेशा के लिए हुसैन (अ) की उपस्थिति में रहेंगे। [27]
* निस्संदेह, वह समय बीत चुका है जब वे इसराइली हमें डराते थे। डराने और धमकाने वाला समय इज़राइल ख़त्म हो चुका है। आज नहीं, बहुत समय पहले समाप्त हो चुका है ... आशूरा के दिन, और उसी स्थान से, हम देश, राष्ट्र, पवित्र चीज़ों की रक्षा करने और महान ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए अपनी इच्छा, दृढ़ संकल्प और आग्रह प्राप्त करते हैं और यहाँ तक कि एक दिन भी हमें इमाम हुसैन के साथ में रहने को लेकर कोई संदेह नहीं हुआ। हम अपना जीवन, खून, बच्चे, पैसा और वह सब कुछ जो हमें प्रिय है, उनके ऊपर क़ुर्बान कर देगें और मिट जायेगें मगर मिट नही पायेगें। क्योंकि उसके बाद हम हमेशा के लिए हुसैन (अ) की उपस्थिति में रहेंगे। [27]
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