"हदीस सक़लैन": अवतरणों में अंतर
→इमामत के बारे में शिया मान्यताओं को सिद्ध करने के लिए शिया विद्वानों का उद्धरण
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=== शिया इमामों की इमामत === | === शिया इमामों की इमामत === | ||
हदीस सक़लैन को [[शियो के इमाम|शिया इमामों]] की इमामत के कारणों (दलाएल) में से एक माना गया है।<ref>उदाहरण के लिए देखें, मुफ़ीद, अल-मसाएल अल-जारुदिया, 1413 हिजरी, पृष्ठ 42; इब्ने अतिया, अब्हा अल मदाद, 1423 हिजरी खंड 1, पृष्ठ 131; मुज़फ्फ़र, दलाएल अल-सिद्क़, 1422 हिजरी, खंड 6, पृ. 241-244।</ref> इमाम अली (अ) और अन्य इमामों की इमामत पर हदीस सक़लैन के उल्लेखित कारणों में यह हैं: | हदीस सक़लैन को [[शियो के इमाम|शिया इमामों]] की इमामत के कारणों (दलाएल) में से एक माना गया है।<ref>उदाहरण के लिए देखें, मुफ़ीद, अल-मसाएल अल-जारुदिया, 1413 हिजरी, पृष्ठ 42; इब्ने अतिया, अब्हा अल मदाद, 1423 हिजरी खंड 1, पृष्ठ 131; मुज़फ्फ़र, दलाएल अल-सिद्क़, 1422 हिजरी, खंड 6, पृ. 241-244।</ref> [[इमाम अली (अ)]] और अन्य [[इमामों]] की इमामत पर हदीस सक़लैन के उल्लेखित कारणों में यह हैं: | ||
* हदीस सक़लैन में | * हदीस सक़लैन में [[क़ुरआन]] और [[अहले बैत (अ)]] की अविभाज्यता का स्पष्टीकरण इंगित करता है कि अहले बैत को कुरआन का ज्ञान है और वे भाषण (गुफ़तार) या कार्य में इसकी मुख़ालिफ़त नहीं करते हैं। यह बात अहले बैत की उत्कृष्टता और सद्गुण का प्रमाण है, और श्रेष्ठ और सर्वोत्तम लोग इमामत के अधिक योग्य हैं। | ||
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* हदीस सक़लैन में अहले बैत और क़ुरआन को समान रखा गया है। इसलिए क़ुरआन की तरह इनका भी पालन करना और जुड़े रहना वाजिब है। पैग़म्बर और मासूम इमाम को छोड़कर किसी का बिना शर्त अनुसरण करना [[वाजिब]] नहीं है। | * हदीस सक़लैन में अहले बैत और क़ुरआन को समान रखा गया है। इसलिए क़ुरआन की तरह इनका भी पालन करना और जुड़े रहना वाजिब है। पैग़म्बर और मासूम इमाम को छोड़कर किसी का बिना शर्त अनुसरण करना [[वाजिब]] नहीं है। |