गुमनाम सदस्य
"इमाम अली और हज़रत फ़ातिमा की शादी": अवतरणों में अंतर
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अमाली की रिवायत के अनुसार, पैगंबर (स.) और अली (अ.) ने [[दावत ए वलीमा]] का एहतेमाम किया। पैगंबर (स.) ने गोश्त और रोटी, अली (अ.) ने तेल और खजूर का प्रबंध किया। पैगंबर ने दावत ए वलीमा के बाद फ़ातिमा (स.) का हाथ अली (अ.) के हाथो मे देकर दोनो को विदा किया। [29] | अमाली की रिवायत के अनुसार, पैगंबर (स.) और अली (अ.) ने [[दावत ए वलीमा]] का एहतेमाम किया। पैगंबर (स.) ने गोश्त और रोटी, अली (अ.) ने तेल और खजूर का प्रबंध किया। पैगंबर ने दावत ए वलीमा के बाद फ़ातिमा (स.) का हाथ अली (अ.) के हाथो मे देकर दोनो को विदा किया। [29] | ||
दावत ए वलीमा से संबंधित एक और रिवायत है जिसमे पैगबंर (स.) ने बिलाल हब्शी को बुलाकर फ़रमायाः मेरी बेटी की शादी मेरे चचा के बेटे के साथ हो रही है, मै चाहता हूं कि मेरी उम्मत के लिए शादी के दिन खाना (भोज) देना एक सुन्नत हो। इसलिए जाओ एक भेड़, पांच मुद जौ का प्रबंध करो ताकि मुहाजेरीन और अंसार को दावत दूं। बिलाल ने सब तैयार करके रसूल अल्लाह के पास ले लाए। हज़ूर (स.) ने खाना अपने सामने रखा। लोग पैगंबर के आदेश से समूह समूह होकर मस्जिद मे दाख़िल हुए और सबने खाना खाया। जब सबने खाना खा लिया तो जो बच गया था उसे आपने मुताबर्रिक किया और बिलाल से फ़रमायाः इस खाने को महिलाओ के पास ले जाओ और कहोः यह खाना खुद भी खाएं और कोई भी अगर उनके पास आए उसे भी इस खाने से दे। [30] | दावत ए वलीमा से संबंधित एक और रिवायत है जिसमे पैगबंर (स.) ने [[बिलाल हब्शी]] को बुलाकर फ़रमायाः मेरी बेटी की शादी मेरे चचा के बेटे के साथ हो रही है, मै चाहता हूं कि मेरी उम्मत के लिए शादी के दिन खाना (भोज) देना एक सुन्नत हो। इसलिए जाओ एक भेड़, पांच मुद जौ का प्रबंध करो ताकि मुहाजेरीन और अंसार को दावत दूं। बिलाल ने सब तैयार करके रसूल अल्लाह के पास ले लाए। हज़ूर (स.) ने खाना अपने सामने रखा। लोग पैगंबर के आदेश से समूह समूह होकर मस्जिद मे दाख़िल हुए और सबने खाना खाया। जब सबने खाना खा लिया तो जो बच गया था उसे आपने मुताबर्रिक किया और बिलाल से फ़रमायाः इस खाने को महिलाओ के पास ले जाओ और कहोः यह खाना खुद भी खाएं और कोई भी अगर उनके पास आए उसे भी इस खाने से दे। [30] | ||
शादी के कुछ दिन बीतने के पश्चात पैगंबर (स.) के लिए फ़ातिमा (स.) से दूरी मुश्किल हो गई इसलिए सोचा बेटी और दामाद को अपने ही घर मे जगह दी जाए। हारिस बिन नौमान जोकि आपका सहाबी था जब वह इस खबर से अवगत हुआ तो पैगंबर (स.) के पास आकर कहने लगा, मेरे सभी घर आपके नज़दीक है। मेरे पास जो कुछ भी है सब आप ही का है। खुदा सौगंध मै चाहता हूं मेरा माल आप ले लें यह इस से अच्छा है कि मेरे पास हो। पैगंबर (स.) ने उसके जवाब मे फ़रमायाः अल्लाह तुम्हे इसका अज्र दे। इस प्रकार हज़रत अली (अ.) और फ़ातिमा (स.) पैगंबर के पड़ोसी बन गए। [31] | शादी के कुछ दिन बीतने के पश्चात पैगंबर (स.) के लिए फ़ातिमा (स.) से दूरी मुश्किल हो गई इसलिए सोचा बेटी और दामाद को अपने ही घर मे जगह दी जाए। हारिस बिन नौमान जोकि आपका सहाबी था जब वह इस खबर से अवगत हुआ तो पैगंबर (स.) के पास आकर कहने लगा, मेरे सभी घर आपके नज़दीक है। मेरे पास जो कुछ भी है सब आप ही का है। खुदा सौगंध मै चाहता हूं मेरा माल आप ले लें यह इस से अच्छा है कि मेरे पास हो। पैगंबर (स.) ने उसके जवाब मे फ़रमायाः अल्लाह तुम्हे इसका अज्र दे। इस प्रकार हज़रत अली (अ.) और फ़ातिमा (स.) पैगंबर के पड़ोसी बन गए। [31] |