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"इमाम अली और हज़रत फ़ातिमा की शादी": अवतरणों में अंतर
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imported>Zahidain (''''इमाम अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फ़ातिमा सलामुल्ला अलैहा''' की शादी शिया इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओ मे से एक है जोकि हिजरत के दूसरे या तीसरे साल हुई। क्योकि शिया इ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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'''इमाम अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फ़ातिमा सलामुल्ला अलैहा''' की शादी शिया इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओ मे से एक है जोकि हिजरत के दूसरे या तीसरे साल हुई। क्योकि शिया इमामो का सिलसिला इसी शादी का नतीजा और फल है। जबकि शादी की तारीख मे इतिहासकारो के बीच मतभेद है। शोधकर्ताओ के अनुसार निकाह हिजरी साल के बारहवे महीने की पहली | '''इमाम अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फ़ातिमा सलामुल्ला अलैहा''' की शादी शिया इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओ मे से एक है जोकि हिजरत के दूसरे या तीसरे साल हुई। क्योकि शिया इमामो का सिलसिला इसी शादी का नतीजा और फल है। जबकि शादी की तारीख मे इतिहासकारो के बीच मतभेद है। शोधकर्ताओ के अनुसार निकाह हिजरी साल के बारहवे महीने की पहली तारीख़ और विदाई 6 तारीख़ को हुई। [[हज़रत अली (अ.स.)]] से पहले [[हज़रत फ़ातिमा (स.अ.)]] के साथ शादी का प्रस्ताव मुहाजेरीन और अंसार मे से कई व्यक्तियो ने दिया था लेकिन पैंगबर (स.) ने उनके प्रस्ताव को यह कहते हुए नकार दिया कि फ़ातिमा की शादी अल्लाह के हाथ मे है। | ||
हज़रत अली (अ.स.) और हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के निकाह का ख़ुत्बा पैगंबर (स.) ने स्वंय पढ़ा था। हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के मेहर के संबंध मे कई कथन है। मशूर कथन के अनुसार हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) का मेहर 500 दिरहम अर्थात 1.5 किलो चांदी थी। जोकि शिया समुदाय के यहा मेहर ए फ़ातेमी के नाम से मशहूर है। हज़रत अली (अ.स.) ने अपनी | हज़रत अली (अ.स.) और हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के निकाह का ख़ुत्बा पैगंबर (स.) ने स्वंय पढ़ा था। हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के मेहर के संबंध मे कई कथन है। मशूर कथन के अनुसार हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) का मेहर 500 दिरहम अर्थात 1.5 किलो चांदी थी। जोकि शिया समुदाय के यहा मेहर ए फ़ातेमी के नाम से मशहूर है। हज़रत अली (अ.स.) ने अपनी ज़िरह (कवच) को बेचकर हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) का मेहर अदा किया। शादी के अवसर पर मदीने की जनता को खाना खिलाया गया। | ||
विदाई के समय पैगंबर (स.अ.व.व.) ने हज़रत फातिमा का हाथ इमाम अली के हाथो में देते हुए दुआ की: खुदाया इनके दिलों को भी एक दूसरे के नज़दीक और इनके वंशजों को मुबारक क़रार दे। | विदाई के समय पैगंबर (स.अ.व.व.) ने हज़रत फातिमा का हाथ इमाम अली के हाथो में देते हुए दुआ की: खुदाया इनके दिलों को भी एक दूसरे के नज़दीक और इनके वंशजों को मुबारक क़रार दे। | ||
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==शादी का प्रस्ताव== | ==शादी का प्रस्ताव== | ||
हज़रत अली (अ.स.) से पहले हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के साथ शादी का प्रस्ताव मुहाजेरीन और अंसार मे से कई व्यक्तियो ने दिया था। पैगंबर (स.) ने उनके जवाब मे कहा मेरी बेटी की शादी का मामला अल्लाह के हाथ मे है। [1] स्रोतो के अनुसार [[अबू | हज़रत अली (अ.स.) से पहले हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के साथ शादी का प्रस्ताव मुहाजेरीन और अंसार मे से कई व्यक्तियो ने दिया था। पैगंबर (स.) ने उनके जवाब मे कहा मेरी बेटी की शादी का मामला अल्लाह के हाथ मे है। [1] स्रोतो के अनुसार [[अबू बक्र]], [[उमर]] और [[अब्दुर्रहमान बिन औफ]] जैसे असहाब ने पैगंबर से हज़रत फ़ातिमा का हाथ मांगा था, पैगंबर ने इनके जवाब मे कहा था कि मेरी बेटी की शादी का मामला अल्लाह के हाथ मे है अतः मे अल्लाह के हुक्म की प्रतीक्षा मे हूं। [2] हज़रत फ़ातिमा से इमाम अली की शादी के बाद कुछ मुहाजेरीन ने पैगंबर से शिकायत की। जवाब में पैगंबर (स.अ.व.व.) ने अली और फातिमा की शादी को अल्लाह का हुक्म बताया। [3] | ||
==निकाह का ख़ुत्बा== | ==निकाह का ख़ुत्बा== | ||
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इब्ने शहर आशोब ने मनाक़िब ए आले अबी तालिब मे लिखा है अली (अ.) और फ़ातिमा (स.) की शादी के समय पैगंबर मिंम्बर पर जाकर खुत्बा पढ़ा उसके पश्चात लोगो को संबोधित करते हुए फ़रमायाः अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मै फ़ातिमा की शादी अली के साथ कर दूं अगर अली राज़ी हो तो चार सौ मिसक़ाल चांदी हक़ मेहर के साथ मै फ़ातिमा का निकाह अली के साथ कर दूं। अली (अ.) ने इस पर फ़रमायाः मै राज़ी हूं। [4] | इब्ने शहर आशोब ने मनाक़िब ए आले अबी तालिब मे लिखा है अली (अ.) और फ़ातिमा (स.) की शादी के समय पैगंबर मिंम्बर पर जाकर खुत्बा पढ़ा उसके पश्चात लोगो को संबोधित करते हुए फ़रमायाः अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मै फ़ातिमा की शादी अली के साथ कर दूं अगर अली राज़ी हो तो चार सौ मिसक़ाल चांदी हक़ मेहर के साथ मै फ़ातिमा का निकाह अली के साथ कर दूं। अली (अ.) ने इस पर फ़रमायाः मै राज़ी हूं। [4] | ||
कुछ | कुछ रिवायतों में हज़रत फ़ातिमा के जीवित रहते हुए अल्लाह ने हज़रत अली (अ.स.) के लिए दूसरी महिलाओ के साथ शादी हराम क़रार दी थी। [5] इसीलिए आपने हज़रत फ़ातिमा के जीवन काल मे दूसरी शादी नही की। | ||
==शादी की तारीख़== | ==शादी की तारीख़== | ||
इमाम अली (अ.) और हज़रत फ़ातिमा (स.) की शादी की तारीख़ के संबंध मे मतभेद है। | इमाम अली (अ.) और हज़रत फ़ातिमा (स.) की शादी की तारीख़ के संबंध मे मतभेद है। | ||
* इब्ने शहर आशोब ने मनाक़िब ए आले अबी तालिब मे हिजरत के दूसरे साल निकाह पहली | * इब्ने शहर आशोब ने मनाक़िब ए आले अबी तालिब मे हिजरत के दूसरे साल निकाह पहली ज़िलहिज्जा और विदाई 6 ज़िलहिज्जा लिखा है। [6] जबकि मिसबाह उल कफ़अमी मे अली (अ.) और हज़रत फ़ातिमा (स.) की शादी की तारीख पहली ज़िलहिज्जा 9 हिजरी क़मरी है। [7] | ||
* दूसरी हिजरी के सफर महीने के आखिर मे शादी हुई। [8] | * दूसरी हिजरी के सफर महीने के आखिर मे शादी हुई। [8] | ||
* निकाह रजब के महीने मे और जंगे बद्र से वापसी पर हज़रत अली (अ.) ने शादी की। [9] | * निकाह रजब के महीने मे और जंगे बद्र से वापसी पर हज़रत अली (अ.) ने शादी की। [9] | ||
* इमाम सादिक़ (अ.स.) की रिवायत के अनुसार, निकाह रमज़ान के महीने मे और शादी हिजरत के दूसरे साल | * इमाम सादिक़ (अ.स.) की रिवायत के अनुसार, निकाह रमज़ान के महीने मे और शादी हिजरत के दूसरे साल ज़िल हिज्जा के महीने मे हुई। [10] | ||
* सय्यद इब्ने ताऊस के अनुसार शादी की तारीख़ हिजरत के तीसरे साल 21 मोहर्रम है। [11] | * सय्यद इब्ने ताऊस के अनुसार शादी की तारीख़ हिजरत के तीसरे साल 21 मोहर्रम है। [11] | ||
* निकाह माहे सफ़र के आख़िर मे और शादी हिजरत के दूसरे साल | * निकाह माहे सफ़र के आख़िर मे और शादी हिजरत के दूसरे साल ज़िल हिज्जा मे हुई। [12] | ||
* निकाह और शादी हिजरत के दूसरे साल रबीअ उल अव्वल मे हुई। [13] | * निकाह और शादी हिजरत के दूसरे साल रबीअ उल अव्वल मे हुई। [13] | ||
* इस्लामी इतिहासकार [[मुहम्मद हादी युसुफी ग़रवी]] के अनुसार हज़रत अली (अ.) और हज़रत फ़ातिमा (स.) के निकाह और शादी का अंतराल लगभग दस महीने था। शायद निकाह जल्दी करने का कारण शादी का प्रस्ताव लाने वाले लोगो पर स्पष्ट करना था, और शादी मे देरी का कारण फ़ातिमा का शारीरिक विकास था। [14] | * इस्लामी इतिहासकार [[मुहम्मद हादी युसुफी ग़रवी]] के अनुसार हज़रत अली (अ.) और हज़रत फ़ातिमा (स.) के निकाह और शादी का अंतराल लगभग दस महीने था। शायद निकाह जल्दी करने का कारण शादी का प्रस्ताव लाने वाले लोगो पर स्पष्ट करना था, और शादी मे देरी का कारण फ़ातिमा का शारीरिक विकास था। [14] | ||
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==हक़ मेहर और दहेज== | ==हक़ मेहर और दहेज== | ||
रिवायतों में हज़रत फ़ातिमा (स.) का हक़ मेहर साढ़े बारह औंस, [20] 500 दिरहम, 480 दिरहम और 400 मिसक़ाल चांदी [21] का उल्लेख है। शिया मोहद्दिस [[शहर इब्ने आशोब]] के अनुसार हक़ मेहर 500 दिरहम है। [22] जो मेहर शिया समुदाय मे मशहूर है उसको मेहर उस सुन्ना कहते है जोकि 500 दिरहम [23] निर्धारित हुआ था। जोकि लगभग 1.5 किलोग्राम शुद्ध चांदी के बराबर होता है। [24] | |||
[[शेख़ तूसी]] की किताब अमाली के अनुसार इमाम अली (अ.) ने अपने कवच को बेच कर हज़रत फ़ातिमा का हक़ मेहर अदा किया। [25] पैंगबर (स.) ने उसमे से कुछ दिरहम [[बिलाल हब्शी]] को देकर कहा इससे मेरी बेटी फ़ातिमा के लिए अच्छी खुशबु अर्थात इत्र खरीद कर लाओ। [26] बाक़ी बची हुई रक़म [[अम्मार यासिर]] और कुछ सहाबा को देकर फ़रमाया इससे घरेलू चीज़े अर्थात दहेज तैयार करो जिन की मेरी बेटी को आवश्यकता होगी। | |||
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.) के दहेज के संबंध मे शेख तूसी ने निम्नलिखित चीज़ो का वर्णन अपनी किताब आमाली मे किया है। | हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.) के दहेज के संबंध मे शेख तूसी ने निम्नलिखित चीज़ो का वर्णन अपनी किताब आमाली मे किया है। | ||
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• खजूर के पत्तो से बनी हुई खाट | • खजूर के पत्तो से बनी हुई खाट | ||
• दो गद्दे, एक खजूर की छाल से और दूसरा भेड़ की ऊन से भरा हुआ | • दो गद्दे, एक खजूर की छाल से और दूसरा भेड़ की ऊन से भरा हुआ | ||
• | • ताइफ़ के बने हुए चमड़े के 4 तकिया | ||
• यमन की बनी हुई चटाई | • यमन की बनी हुई चटाई | ||
• हाथ की चक्की | • हाथ की चक्की | ||
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• दूध दुहने के लिए एक बड़ा बर्तन | • दूध दुहने के लिए एक बड़ा बर्तन | ||
• पानी पीने के लिए बर्तन | • पानी पीने के लिए बर्तन | ||
• लोटा या सुराही जिसे | • लोटा या सुराही जिसे वुज़ू के लिए प्रयोग किया जाता है गोंद चढ़ाया गया था | ||
• एक ऊन का पर्दा | • एक ऊन का पर्दा | ||
• हरे रंग का एक बड़ा बर्तन जिसमे तेल, आटा या दूसरी चीज़े रखी जाती है | • हरे रंग का एक बड़ा बर्तन जिसमे तेल, आटा या दूसरी चीज़े रखी जाती है | ||
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==वलीमा (भोज) और निवास स्थान== | ==वलीमा (भोज) और निवास स्थान== | ||
अमाली की रिवायत के अनुसार, पैगंबर (स.) और अली (अ.) ने दावत ए वलीमा का एहतेमाम किया। पैगंबर (स.) ने गोश्त और रोटी, अली (अ.) ने तेल और खजूर का प्रबंध किया। पैगंबर ने दावत ए वलीमा के बाद फ़ातिमा (स.) का हाथ अली (अ.) के हाथो मे देकर दोनो को विदा किया। [29] | |||
दावत ए वलीमा से संबंधित एक और रिवायत है जिसमे पैगबंर (स.) ने बिलाल हब्शी को बुलाकर फ़रमायाः मेरी बेटी की शादी मेरे चचा के बेटे के साथ हो रही है, मै चाहता हूं कि मेरी उम्मत के लिए शादी के दिन खाना (भोज) देना एक सुन्नत हो। इसलिए जाओ एक भेड़, पांच मुद जौ का प्रबंध करो ताकि मुहाजेरीन और अंसार को दावत दूं। बिलाल ने सब तैयार करके रसूल अल्लाह के पास ले लाए। हज़ूर (स.) ने खाना अपने सामने रखा। लोग पैगंबर के आदेश से समूह समूह होकर मस्जिद मे दाख़िल हुए और सबने खाना खाया। जब सबने खाना खा लिया तो जो बच गया था उसे आपने मुताबर्रिक किया और बिलाल से फ़रमायाः इस खाने को महिलाओ के पास ले जाओ और कहोः यह खाना खुद भी खाएं और कोई भी अगर उनके पास आए उसे भी इस खाने से दे। [30] | दावत ए वलीमा से संबंधित एक और रिवायत है जिसमे पैगबंर (स.) ने बिलाल हब्शी को बुलाकर फ़रमायाः मेरी बेटी की शादी मेरे चचा के बेटे के साथ हो रही है, मै चाहता हूं कि मेरी उम्मत के लिए शादी के दिन खाना (भोज) देना एक सुन्नत हो। इसलिए जाओ एक भेड़, पांच मुद जौ का प्रबंध करो ताकि मुहाजेरीन और अंसार को दावत दूं। बिलाल ने सब तैयार करके रसूल अल्लाह के पास ले लाए। हज़ूर (स.) ने खाना अपने सामने रखा। लोग पैगंबर के आदेश से समूह समूह होकर मस्जिद मे दाख़िल हुए और सबने खाना खाया। जब सबने खाना खा लिया तो जो बच गया था उसे आपने मुताबर्रिक किया और बिलाल से फ़रमायाः इस खाने को महिलाओ के पास ले जाओ और कहोः यह खाना खुद भी खाएं और कोई भी अगर उनके पास आए उसे भी इस खाने से दे। [30] | ||
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==फ़ुटनोट== | ==फ़ुटनोट== | ||
# इब्ने | # इब्ने सअद, अल तबक़ात उल कुब्रा, 1410 हिजरी, भाग 8, पेज 16; शेख तूसी, अल अमाली, 1414 हिजरी, पेज 40; तबरसी, आलाम उल वरा, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 160-161 | ||
# इब्ने | # इब्ने सअद, तबक़ात, भाग 8, पेज 11; क़ज़्वीनी, फ़ातेमात उज़ ज़हरा अज़ विलादत ता शहादत, पेज 191 | ||
# याक़ूबी, तारीख़ उल याक़ूबी, दार ए सादिर, भाग 2, पेज 41 | # याक़ूबी, तारीख़ उल याक़ूबी, दार ए सादिर, भाग 2, पेज 41 | ||
# इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 350 | # इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 350 | ||
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# इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 357 | # इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 357 | ||
# कफ़अमी, अल मिस्बाह, 1405 हिजरी, पेज 514 | # कफ़अमी, अल मिस्बाह, 1405 हिजरी, पेज 514 | ||
# | # तबरी, तारीख़ उल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 3, पेज 410 | ||
# इब्ने | # इब्ने सअद, अल तबक़ात उल कुब्रा, 1410 हिजरी, भाग 8, पेज 18; तबरि, तारीख़ उल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 11, पेज 598 | ||
# अरबेली, कश्फ़ उल ग़ुम्मा, 1381 हिजरी, भाग 1, पेज 364 | # अरबेली, कश्फ़ उल ग़ुम्मा, 1381 हिजरी, भाग 1, पेज 364 | ||
# इब्ने ताऊस, इक़बाल उल आमाल, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 584 | # इब्ने ताऊस, इक़बाल उल आमाल, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 584 | ||
# मजलिसी, | # मजलिसी, बेहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 19, पेज 192-193 | ||
# मजलिसी, | # मजलिसी, बेहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 19, पेज 193 | ||
# युसूफ़ी ग़रवी, तारीख़ ए तहक़ीक़ी इस्लाम, भाग 2, पेज 250 | # युसूफ़ी ग़रवी, तारीख़ ए तहक़ीक़ी इस्लाम, भाग 2, पेज 250 | ||
# अमीन, आयान उश शिया, 1403 हिजरी, भाग 1, पेज 313 | # अमीन, आयान उश शिया, 1403 हिजरी, भाग 1, पेज 313 | ||
# अंसारी, इस्माईल, अल मोसूआ तुल कुबरा अन फ़ातिमात उज़ ज़हरा, 1428 हिजरी, भाग 4, पेज 21 (दलील ए मा क़ुम) | # अंसारी, इस्माईल, अल मोसूआ तुल कुबरा अन फ़ातिमात उज़ ज़हरा, 1428 हिजरी, भाग 4, पेज 21 (दलील ए मा क़ुम) | ||
# तबरि, तारीख़ उल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 11, पेज 598 | # तबरि, तारीख़ उल उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 11, पेज 598 | ||
# इब्ने अब्दुल | # इब्ने अब्दुल बर, अल इस्तीआब फ़िल मारेफात इल असहाब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1893 | ||
# इब्ने अब्दुल | # इब्ने अब्दुल बर, अल इस्तीआब फ़िल मारेफात इल असहाब, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 1893 | ||
# तबरसी, आलाम उल वरा, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 160-161 | # तबरसी, आलाम उल वरा, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 160-161 | ||
# इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 351 | # इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, भाग 3, पेज 351 | ||
पंक्ति १०२: | पंक्ति १०२: | ||
# मजलिसी, बिहार उल अनवार, भाग 93, पेज 170 | # मजलिसी, बिहार उल अनवार, भाग 93, पेज 170 | ||
# मसऊदी, “(पुज़ुहिशी दर बारा ए मेहर उस सुन्ना (मेहर ए मुहम्मदी)”, पेज 114 | # मसऊदी, “(पुज़ुहिशी दर बारा ए मेहर उस सुन्ना (मेहर ए मुहम्मदी)”, पेज 114 | ||
# | # शेख़ तूसी, अल अमाली, 1414 हिजरी, पेज 40 | ||
# | # शेख़ तूसी, अल अमाली, 1414 हिजरी, पेज 41 | ||
# | # शेख़ तूसी, अल अमाली, 1414 हिजरी, पेज 41 | ||
# शुस्तरि, शरह ए अहक़ाक़ उल हक़, 1409 हिजरी, भाग 10, पेज 401 | # शुस्तरि, शरह ए अहक़ाक़ उल हक़, 1409 हिजरी, भाग 10, पेज 401 | ||
# | # शेख़ तूसी, अल अमाली, 1414 हिजरी, पेज 42-43 | ||
# युसूफ़ी ग़रवी, मोसूआ तुत तारीख उल इस्लाम, भाग 2, पेज 214 | # युसूफ़ी ग़रवी, मोसूआ तुत तारीख उल इस्लाम, भाग 2, पेज 214 | ||
# शहीदी, जिंदागानी ए फ़ातिमा ज़हरा, पेज 72-73; इब्ने साअद, तबक़ात, भाग 8, पेज 22-23 | # शहीदी, जिंदागानी ए फ़ातिमा ज़हरा, पेज 72-73; इब्ने साअद, तबक़ात, भाग 8, पेज 22-23 | ||
# ज़िंदगानी हज़रत ज़हरा (स.), (तरजुमा और तहक़ीक़ अज़ जिल्द 43 बिहार उल अनवार), रूहानी अली आबादी, पेज 417 | # ज़िंदगानी हज़रत ज़हरा (स.), (तरजुमा और तहक़ीक़ अज़ जिल्द 43 बिहार उल अनवार), रूहानी अली आबादी, पेज 417 | ||
# | # शेख़ मुफ़ीद, अल इरशाद, पेज 342 | ||
==स्रोत== | ==स्रोत== | ||
* इब्ने | * इब्ने सअद, मुहम्मद, अल तबक़ात उल कुबरा, तहक़ीक अब्दुल क़ादिर अता, बैरूत, दार उल कुतुब अल इल्मिया, 1410 हिजरी / 1990 | ||
* इब्ने शहर आशोब, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िबे आले अबि तालिब, क़ुम, इंतेशारात ए अल्लामा, 1379 हिजरी | * इब्ने शहर आशोब, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िबे आले अबि तालिब, क़ुम, इंतेशारात ए अल्लामा, 1379 हिजरी | ||
* इब्ने ताऊस, अली बिन मूसा, इक़्बाल उल आमाल, तेहरान, दार उल कुतुब उल इस्लामिया, 1409 हिजरी | * इब्ने ताऊस, अली बिन मूसा, इक़्बाल उल आमाल, तेहरान, दार उल कुतुब उल इस्लामिया, 1409 हिजरी | ||
पंक्ति १२१: | पंक्ति १२१: | ||
* अमीन, सय्यद मोहसिन, आयान उश शिया, तहक़ीक़ सय्यद हसन अमीन, बैरूत, दार उत तआफ लिल मतबूआत, 1403 हिजरी | * अमीन, सय्यद मोहसिन, आयान उश शिया, तहक़ीक़ सय्यद हसन अमीन, बैरूत, दार उत तआफ लिल मतबूआत, 1403 हिजरी | ||
* हसनी, हाशिम मारूफ़, सीरत उल आइम्मत उल इस्ना अशर, नजफ़, अल मकताबत उल हैदरिया, 1382 हिजरी | * हसनी, हाशिम मारूफ़, सीरत उल आइम्मत उल इस्ना अशर, नजफ़, अल मकताबत उल हैदरिया, 1382 हिजरी | ||
* | * शुस्तरी, नूरुल्लाह बिन शरीफ़ुद्दीन, अहक़ाक़ उल हक़ व इज़हाक़ उल बातिल, क़ुम, किताब खाना ए उमीमी आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी, 1409 हिजरी | ||
* | * शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल अमाली, तस्हीह मोअस्सेसा तुल बेअसत, क़ुम, दार उस सक़ाफ़ा, 1414 हिजरी | ||
* | * शेख़ मुफ़ीद, अल इरशाद, तरजुमा मुहम्मद बाक़िर साएदी खुरासानी, इंतेशारात ए इस्लामिया, तेहरान, 1380 शम्सी | ||
* सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल मुक़्नाअ, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम महदी (अ.त.), 1415 हिजरी | * सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल मुक़्नाअ, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम महदी (अ.त.), 1415 हिजरी | ||
* तबरसि, फ़ज़्ल बिन हसन, आलाम उल वरा बा अलाएम उल हुदा, क़ुम, आले अलबैत (अ.स.), 1417 हिजरी | * तबरसि, फ़ज़्ल बिन हसन, आलाम उल वरा बा अलाएम उल हुदा, क़ुम, आले अलबैत (अ.स.), 1417 हिजरी | ||
* | * तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, तारीख उल उमम वल मुलूक, तहक़ीक़ मुहम्मद अबुल फ़ज़्ल इब्राहीम, बैरूत, दार उत तुरास, दूसरा प्रकाशन, 1387 हिजरी /1967 | ||
* कफ़अमी, इब्राहीम बिन अली, अल मिस्बाह, क़ुम, दार उल रज़ी, दूसरा प्रकाशन, 1405 हिजरी | * कफ़अमी, इब्राहीम बिन अली, अल मिस्बाह, क़ुम, दार उल रज़ी, दूसरा प्रकाशन, 1405 हिजरी | ||
* मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार, बैरूत, दार ए एहया ए तुरास उल अरबी, दूसरा प्रकाशन, 1403 हिजरी | * मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार, बैरूत, दार ए एहया ए तुरास उल अरबी, दूसरा प्रकाशन, 1403 हिजरी |