"इमाम महदी (अ.त.) का आंदोलन": अवतरणों में अंतर
→स्थिति और महत्व
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इमाम | [[इमाम ज़माना (अ)]] का आंदोलन दुनिया में न्याय स्थापित करने के लिए, [[शियो के इमाम|शियों के बारहवें इमाम]] द्वारा उनके [[ज़हूर]] (पुनः प्रकट होने) के बाद किए गए उपायों को संदर्भित करता है।<ref>सलीमीयान, दरसनामा महदावीयत, भाग 3, पेज 170-171</ref> हालाकि एक हिसाब से इमाम ज़माना (अ) के ज़हूर को ही आंदोलन बताते है।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 195</ref> लेकिन जैसा कि शिया शोधकर्ता खुदा मुराद सलीमीयान ने कहा कि दोनों मुद्दे अलग हैं और इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन आपके ज़हूर पश्चात होगा।<ref>सलीमीयान, दरसनामा महदावीयत, भाग 3, पेज 172</ref> | ||
हदीस मे आंदोलन के लिए ख़ुरूज शब्द का भी प्रयोग हुआ है।<ref>शेख़ सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 2, पेज 377-378 </ref>शेख़ सुदूक़ ने किताबे ख़िसाल मे एक हदीस मे लिखते हुए इमाम ज़माना (अ) के आंदोलन को रज्अत और पुनरूत्थान के दिन के साथ अल्लाह के दिनो मे से बताया गया है।<ref>शेख़ सुदूक़, ख़िसाल, भाग 1, पेज 108</ref> कुछ हदीसो के अनुसार इमाम ज़माना (अ) का आंदोलन आठ महीने तक चलेगा<ref>नौमानी, अल-ग़ैय्बा, पेज 164, हदीस 5</ref> जिसके परिणाम स्वरूप इमाम ज़माना (अ) की वैश्विक सरकार स्थापित होगी।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 449</ref> | हदीस मे आंदोलन के लिए ख़ुरूज शब्द का भी प्रयोग हुआ है।<ref>शेख़ सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 2, पेज 377-378 </ref>शेख़ सुदूक़ ने किताबे ख़िसाल मे एक हदीस मे लिखते हुए इमाम ज़माना (अ) के आंदोलन को रज्अत और पुनरूत्थान के दिन के साथ अल्लाह के दिनो मे से बताया गया है।<ref>शेख़ सुदूक़, ख़िसाल, भाग 1, पेज 108</ref> कुछ हदीसो के अनुसार इमाम ज़माना (अ) का आंदोलन आठ महीने तक चलेगा<ref>नौमानी, अल-ग़ैय्बा, पेज 164, हदीस 5</ref> जिसके परिणाम स्वरूप इमाम ज़माना (अ) की वैश्विक सरकार स्थापित होगी।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 449</ref> |