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"नमाज़े तवाफ़": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
==इतिहास==


मक़ामें इब्राहीम के पीछे इस नमाज़ को पढ़ना और मक़ाम को [[क़िबला]] बनाने का इतिहास [[हज़रत इब्राहीम (अ.स.)]] और [[हज़रत इस्माईल (अ.स.)]] से लेकर पैग़बरे इस्लाम (स.अ.व.स.) के समय तक रहा है और [[पवित्र क़ुरआन]] भी मुसलमानों को इस जगह पर नमाज़ पढ़ने के लिए आमंत्रित करता है।
मक़ामें इब्राहीम के पीछे इस नमाज़ को पढ़ना और मक़ाम को [[क़िबला]] बनाने का इतिहास [[हज़रत इब्राहीम (अ.स.)]] और [[हज़रत इस्माईल (अ.स.)]] से लेकर पैग़बरे इस्लाम (स.अ.व.स.) के समय तक रहा है<ref>तबरसी, मजमा अल-बयान, 1379 ए एच, खंड 1, पृ.203।</ref> और [[पवित्र क़ुरआन]] भी मुसलमानों को इस जगह पर नमाज़ पढ़ने के लिए आमंत्रित करता है।<ref>सूरह बक़रह, आयत 125</ref>


==नमाज़ का तरीक़ा==
==नमाज़ का तरीक़ा==
प्रत्येक अनिवार्य तवाफ़ के बाद, तवाफ़ की दो रकअत सुबह की नमाज़ की तरह पढ़ी जानी चाहिए, और पुरुषों के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वे सूर ए अलहम्द और अन्य सूरह को ज़ोर से पढ़ें।  
प्रत्येक अनिवार्य तवाफ़ के बाद, तवाफ़ की दो रकअत सुबह की नमाज़ की तरह पढ़ी जानी चाहिए, और पुरुषों के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वे सूर ए अलहम्द और अन्य सूरह को ज़ोर से पढ़ें।  


इस नमाज़ की नीयत का संबंध [[तवाफ़]] से है। इसलिये तवाफ़े ज़ियारत (वही अस्ली तवाफ़) के बाद तवाफ़े ज़ियारत की नीयत से और तवाफ़े निसा के बाद तवाफ़े निसा की नीयत से दो रकअत नमाज़ पढ़नी चाहिये और तवाफ़ और उसकी [[नमाज़]] के बीच देर नही होनी चाहिये।
इस नमाज़ की नीयत का संबंध [[तवाफ़]] से है। इसलिये तवाफ़े ज़ियारत (वही अस्ली तवाफ़) के बाद तवाफ़े ज़ियारत की नीयत से और तवाफ़े निसा के बाद तवाफ़े निसा की नीयत से दो रकअत नमाज़ पढ़नी चाहिये और तवाफ़ और उसकी [[नमाज़]] के बीच देर नही होनी चाहिये।<ref>मनासिके हज, मसला 790।</ref>


==नमाज़ की जगह==
==नमाज़ की जगह==
अनिवार्य तवाफ़ की नमाज़ इब्राहिम (अ) के स्थान के पीछे या उसके पास पढ़ना ज़रूरी है, इस तरह से कि तवाफ़ करने वालों को परेशानी न हो।
अनिवार्य तवाफ़ की नमाज़ इब्राहिम (अ) के स्थान के पीछे या उसके पास पढ़ना ज़रूरी है, इस तरह से कि तवाफ़ करने वालों को परेशानी न हो।<ref>मनासिके हज, मसला 796।</ref>


दूसरी मंजिल पर किसी कारण से तवाफ़ करने वाले [[पवित्र मस्जिद]] (मस्जिदुल हराम) के प्रांगण में और इब्राहिम के स्थान के पीछे नमाज अदा कर सकते हैं, इस बारे में फ़तवों में मतभेद है।
दूसरी मंजिल पर किसी कारण से तवाफ़ करने वाले [[पवित्र मस्जिद]] (मस्जिदुल हराम) के प्रांगण में और इब्राहिम के स्थान के पीछे नमाज अदा कर सकते हैं, इस बारे में फ़तवों में मतभेद है।<ref>मनासिके हज, मसला 2/800
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[[मुस्तहब]] तवाफ़ की नमाज़ पवित्र मस्जिद में कहीं भी अदा की जा सकती है। [उद्धरण वांछित]
[[मुस्तहब]] तवाफ़ की नमाज़ पवित्र मस्जिद में कहीं भी अदा की जा सकती है। [उद्धरण वांछित]


== फ़ुटनोट ==
== फ़ुटनोट ==


# तबरसी, मजमा अल-बयान, 1379 ए एच, खंड 1, पृ.203।
# सूरह बक़रह, आयत 125
# मनासिके हज, मसला 790।
# मनासिके हज, मसला 796।
# मनासिके हज, मसला 2/800




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