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"शोक समारोह": अवतरणों में अंतर

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== मृतक के लिए शोक का शरई हुक्म ==
== मृतक के लिए शोक का शरई हुक्म ==
[[इमामिया|शिया]] न्यायविदों के फ़तवों के अनुसार, मृतकों के लिए रोना और शोक करना जायज़ है।<ref>उदाहरण के लिए, तबातबाई यज़दी, अल-उर्वातुल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 131-130 देखें; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 264-265।</ref> [[साहिब जवाहिर]] (मृत्यु 1266 हिजरी) ने लिखा है कि कई हदीसें हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि मृतकों के लिए रोना और शोक करना जायज़ है; जैसे कुछ रवायत इस प्रकार हैं, [[हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम|पैग़म्बर (स)]] का अपने चाचा हम़जा और अपने बेटे [[इब्राहीम इब्ने मुहम्मद (स)|इब्राहीम]] के शोक में रोने का उल्लेख करने वाली रवायत है। इसके अलावा वह रवायत भी जिसमें पैग़म्बर (स) की मृत्यु पर [[हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा|हज़रत फ़ातिमा (स)]] के नौहे और शोक का उल्लेख किया गया है।<ref>नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 264-265।</ref>  
[[इमामिया|शिया]] न्यायविदों के फ़तवों के अनुसार, मृतकों के लिए रोना और शोक करना जायज़ है।<ref>उदाहरण के लिए, तबातबाई यज़दी, अल-उर्वातुल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 131-130 देखें; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 264-265।</ref> [[मुहम्मद हसन नजफ़ी|साहिब जवाहिर]] (मृत्यु 1266 हिजरी) ने लिखा है कि कई हदीसें हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि मृतकों के लिए रोना और शोक करना जायज़ है; जैसे कुछ रवायत इस प्रकार हैं, [[हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम|पैग़म्बर (स)]] का अपने चाचा हम़जा और अपने बेटे [[इब्राहीम इब्ने मुहम्मद (स)|इब्राहीम]] के शोक में रोने का उल्लेख करने वाली रवायत है। इसके अलावा वह रवायत भी जिसमें पैग़म्बर (स) की मृत्यु पर [[हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा|हज़रत फ़ातिमा (स)]] के नौहे और शोक का उल्लेख किया गया है।<ref>नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 264-265।</ref>  
[[चित्र:زنجیرزنی.jpg|अंगूठाकार|अपने धार्मिक बुजुर्गों के शोक में शियों की जंजीर ज़नी का एक चित्र]]
[[चित्र:زنجیرزنی.jpg|अंगूठाकार|अपने धार्मिक बुजुर्गों के शोक में शियों की जंजीर ज़नी का एक चित्र]]


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