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"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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== अनुसंधानी संसाधनों की कमी ==
== अनुसंधानी संसाधनों की कमी ==
कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार [[कर्बला की घटना]] से पहले अब्बास बिन अली (अ) के जीवन के बारे मे इतिहास मे कोई विशेष उल्लेख नही है। इसीलिए आपके जन्म और जीवन के संबंध मे अधिक मतभेद है। [1] अमेरिकी वुद्धिजीवी चेलकूसकी ने आपके जीवन को इतिहास मे मनगढ़त बताया है। [2] हज़रत अब्बास (अ) के संबंध मे लिखी जाने वाले अधिकतर किताबे 14 वीं और 15वीं चन्द्र शताब्दी की है। तीन भाग पर आधारित किताब बतलुल अलक़मी के लेखक अब्दुल वाहिद मुज़फ़्फ़र (मृत्यु 1391 हिजरी), ख़साएसुल अब्बासीया के लेखक मुहम्मद इब्राहीम कलबासी नजफी (मृत्यु 1310 हिजरी) [3], हयाते अबिल फ़ज़्लिल अब्बास के लेखक मुहम्मद अली उर्दूबादी (मृत्यु 1380 हिजरी), क़मरे बनी हाशिम अल-अब्बास के लेखक मूसवी मुक़र्रम (मृत्यु 1391 हिजरी) और चेहरा ए दरख़शाने क़मरे बनी हाशिम के लेखक रब्बानी खलखाली की मृत्यु 1389 हिजरी मे हुई।
कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार [[कर्बला की घटना]] से पहले अब्बास बिन अली (अ) के जीवन के बारे मे इतिहास मे कोई विशेष उल्लेख नही है। इसीलिए आपके जन्म और जीवन के संबंध मे अधिक मतभेद है।<ref>बग़दादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 73-75; महमूदी, माहे बी ग़ुरूब, 1379 शम्सी, पेज 38</ref> अमेरिकी वुद्धिजीवी चेलकूसकी ने आपके जीवन को इतिहास मे मनगढ़त बताया है।<ref>चास्मकी, अब्बास जवान मर्द दिलेर, पेज 373</ref> हज़रत अब्बास (अ) के संबंध मे लिखी जाने वाले अधिकतर किताबे 14 वीं और 15वीं चन्द्र शताब्दी की है। तीन भाग पर आधारित किताब बतलुल अलक़मी के लेखक अब्दुल वाहिद मुज़फ़्फ़र (मृत्यु 1391 हिजरी), ख़साएसुल अब्बासीया के लेखक मुहम्मद इब्राहीम कलबासी नजफी (मृत्यु 1310 हिजरी),<ref>महदवी, आलामे इस्फ़हान, 1386 शम्सी, भाग 1, पेज 110</ref> हयाते अबिल फ़ज़्लिल अब्बास के लेखक मुहम्मद अली उर्दूबादी (मृत्यु 1380 हिजरी), क़मरे बनी हाशिम अल-अब्बास के लेखक मूसवी मुक़र्रम (मृत्यु 1391 हिजरी) और चेहरा ए दरख़शाने क़मरे बनी हाशिम के लेखक रब्बानी खलखाली की मृत्यु 1389 हिजरी मे हुई।


== नाम और वंशावली ==
== नाम और वंशावली ==
अब्बास बिन अली का सबसे प्रसिद्ध उपाधि अबुल फ़ज़्ल है। आप इमाम अली (अ) के पाचंवे बेटे और उम्मुल बनीन (फ़ातिमा बिन्ते हेज़ाम) के साथ विवाह के परिणाम स्वरूप जन्म लेने वाले सबसे बड़े बेटे है। [5]
अब्बास बिन अली का सबसे प्रसिद्ध उपाधि अबुल फ़ज़्ल है। आप इमाम अली (अ) के पाचंवे बेटे और उम्मुल बनीन (फ़ातिमा बिन्ते हेज़ाम) के साथ विवाह के परिणाम स्वरूप जन्म लेने वाले सबसे बड़े बेटे है।<ref>अमीन, आयान उश-शिया, 1406 हिजरी, भाग 7, पेज 429; क़ुमी, नफ़्सुल महमूम, 1376 शम्सी, पेज 285</ref>


== माता ==
== माता ==
आपकी माता को इमाम अली (अ) से [[अक़ील बिन अबी तालिब|अक़ील]] – जोकि वंशावली विशेषज्ञ थे - ने परिचित कराया था। इमाम अली (अ) ने अक़ील को अपने लिए एक ऐसी जीवन साथी (पत्नी) खोजने के लिए कहा जो बहादुर बच्चों को जन्म दे। [6]
आपकी माता को इमाम अली (अ) से [[अक़ील बिन अबी तालिब|अक़ील]] – जोकि वंशावली विशेषज्ञ थे - ने परिचित कराया था। इमाम अली (अ) ने अक़ील को अपने लिए एक ऐसी जीवन साथी (पत्नी) खोजने के लिए कहा जो बहादुर बच्चों को जन्म दे।<ref>बुख़ारी, सिर रुस सिलसिलातुल अलावीया, 1382 हिजरी, पेज 88; इब्ने अंबा, उम्दातुत तालिब, 1381 हिजरी, पेज 357; मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बतलिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 1, पेज 105</ref>
कहा जाता है कि आशूर की रात जब [[ज़ुहैर बिन क़ैन]] को इस बात का पता चला कि शिम्र ने अब्बास को शरण पत्र भेजा है तो कहाः हे [[अमीरुल मोमिनीन]] के बेटे, जब तुम्हारे पिता ने विवाह करना चाहा था तो तुम्हारे चाचा अक़ील से कहा कि उनके लिए ऐसी महिला खोजे जिसकी वंशावली मे बहादुरी हो ताकि उनसे बहादुर बेटा जन्म ले, ऐसा बेटा जो [[कर्बला]] में हुसैन का सहायक बने। [7] उर्दूबादी के अनुसार जुहैर और अब्बास के बीच की वार्ता असरार उश-शहादा किताब के अलावा किसी दूसरी किताब मे नही देखा।[8]
कहा जाता है कि आशूर की रात जब [[ज़ुहैर बिन क़ैन]] को इस बात का पता चला कि शिम्र ने अब्बास को शरण पत्र भेजा है तो कहाः हे [[अमीरुल मोमिनीन]] के बेटे, जब तुम्हारे पिता ने विवाह करना चाहा था तो तुम्हारे चाचा अक़ील से कहा कि उनके लिए ऐसी महिला खोजे जिसकी वंशावली मे बहादुरी हो ताकि उनसे बहादुर बेटा जन्म ले, ऐसा बेटा जो [[कर्बला]] में हुसैन का सहायक बने।<ref>मूसवी मुक़र्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 77; उर्दूबादी, हयाते अबिल फ़ज़्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 52-53; ख़ुरासानी क़ाएनी बेरजुंदी, कितरीब उल अहमर, 1386 हिजरी, पेज 386</ref> उर्दूबादी के अनुसार जुहैर और अब्बास के बीच की वार्ता असरार उश-शहादा किताब के अलावा किसी दूसरी किताब मे नही देखा।<ref>अल-उर्दूबादी, हयाते अबिल फ़ज़्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 52-53</ref>


== उपाधियाँ ==
== उपाधियाँ ==
* '''[[अबुल फ़ज़्ल]]''': हज़रत अब्बास की सबसे प्रसिद्ध उपाधि अबुल फ़ज़्ल है।[9] कुछ लोगों का कहना है कि क्योंकि बनी हाशिम परिवार में जिसका भी नाम अब्बास नाम होता था उसको अबुल फ़ज्ल कहा जाता था, इसीलिए अब्बास को बचपन मे अबुल फ़ज़्ल कहा जाता था।[10] [10] सय्यद अब्दुर रज़्ज़ाक मूसवी मुक़र्रम ने "अल-जरीदतो फ़ी उसूले अंसाबिल अलावीयीन" नामक किताब का हवाला देते हुए लिखा है कि अब्बास (अ) का फ़ज़ल नाम का एक बेटा था। इसलिए उन्हें अबुल फ़ज़्ल कहा जाता है। [11]
* '''[[अबुल फ़ज़्ल]]''': हज़रत अब्बास की सबसे प्रसिद्ध उपाधि अबुल फ़ज़्ल है।<ref>अबुल फरज इस्फ़हानी, मक़ातेलुत तालिबयीन, 1408 हिजरी, पेज 89; इब्ने नेमा ए हिल्ली, मुसीर उल-एहज़ान, 1380 शम्सी, पेज 254</ref> कुछ लोगों का कहना है कि क्योंकि बनी हाशिम परिवार में जिसका भी नाम अब्बास नाम होता था उसको अबुल फ़ज्ल कहा जाता था, इसीलिए अब्बास को बचपन मे अबुल फ़ज़्ल कहा जाता था।<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 12</ref> सय्यद अब्दुर रज़्ज़ाक मूसवी मुक़र्रम ने "अल-जरीदतो फ़ी उसूले अंसाबिल अलावीयीन" नामक किताब का हवाला देते हुए लिखा है कि अब्बास (अ) का फ़ज़ल नाम का एक बेटा था। इसलिए उन्हें अबुल फ़ज़्ल कहा जाता है।<ref>मूसवी मुक़र्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, भाग 1, पेज 138</ref>
* '''अबुल क़ासिमः''' हज़रत अब्बास के क़ासिम नाम का बेटा था इसीलिए उनको अबुल क़ासिम भी कहा जाता है। हज़रत अब्बास की इस उपाधि का उल्लेख [[अरबाईन की ज़ियारत]] मे भी हुआ है। [12]
* '''अबुल क़ासिमः''' हज़रत अब्बास के क़ासिम नाम का बेटा था इसीलिए उनको अबुल क़ासिम भी कहा जाता है। हज़रत अब्बास की इस उपाधि का उल्लेख [[अरबाईन की ज़ियारत]] मे भी हुआ है।<ref>बहिश्ती, क़हरमान अल-कमे, 1374 शम्सी, पेज 43; मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 12</ref>
* '''अबुल क़िरबाः''' कुछ लोगो का मानना है कि यह उपाधि उन्हे इसलिए दी गई है क्योकि हज़रत अब्बास (अ) ने कर्बला की घटना के दौरान कई बार तंबुओ (ख़ैमों) मे पानी पहुंचाया था। इस उपाधि का उल्लेख कई स्रोतो मे किया गया है।[13] क़िरबा अर्थात पानी की मश्क। [14]
* '''अबुल क़िरबाः''' कुछ लोगो का मानना है कि यह उपाधि उन्हे इसलिए दी गई है क्योकि हज़रत अब्बास (अ) ने कर्बला की घटना के दौरान कई बार तंबुओ (ख़ैमों) मे पानी पहुंचाया था। इस उपाधि का उल्लेख कई स्रोतो मे किया गया है।<ref>बलाज़ुरी, अंसाब उल-अशराफ़, 1394 हिजरी, भाग 2, पेज 191; तबरसी, आलाम उल वरा बेआलामुल हुदा, 1390 हिजरी, पेज 203; अबुल फरज अल-इस्फहानी, मक़ातेलुत तालिबयीन, 1357 हिजरी, पेज 55; बहिश्ती, क़हरमाने अलक़मे, 1374 हिजरी, पेज 43</ref> क़िरबा अर्थात पानी की मश्क।<ref>दहखुदा, लुग़त नामे दहख़ुदा, 1377 शम्सी, भाग 11, पेज 17497</ref>
* '''अबुल फ़रजाः''' इस उपाधि का तर्क यह है कि अब्बास हर उस व्यक्ति के काम को हल करते है जो आपसे आग्रह करता है। [15] फरजा का अर्थ होता है दुखो को दूर करना है। [16]
* '''अबुल फ़रजाः''' इस उपाधि का तर्क यह है कि अब्बास हर उस व्यक्ति के काम को हल करते है जो आपसे आग्रह करता है।<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बतलिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 12</ref> फरजा का अर्थ होता है दुखो को दूर करना है।<ref>दहखुदा, लुग़त नामे दहख़ुदा, 1377 शम्सी, भाग 11, पेज 17037</ref>


== उपनाम ==
== उपनाम ==
हजरत अब्बास (अ) के विभिन्न उपनामो का उल्लेख किया गया है उनमे से कुछ उपनाम पुराने और कुछ नए है जनता उनको सिफात और फ़ज़ाइल के माध्यम से बुलाती है। [17] कुछ उपनाम निम्मलिखित हैः  
हजरत अब्बास (अ) के विभिन्न उपनामो का उल्लेख किया गया है उनमे से कुछ उपनाम पुराने और कुछ नए है जनता उनको सिफात और फ़ज़ाइल के माध्यम से बुलाती है।<ref>देखेः मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 14-20; बहिश्ती, क़हरमान अल-कमे, 1374 शम्सी, पेज 45-50; हादी मनिश, कुन्नियेहा वा लक़ब्हा ए हज़रत अब्बास (अ), पेज 106</ref> कुछ उपनाम निम्मलिखित हैः  
* '''क़मर बनी हाशिम'''
* '''क़मर बनी हाशिम'''<ref>अबुल फ़रज अल-इस्फ़हानी, मक़ातेलुत तालिबयीन, 1408 हिजरी, पेज 90; इब्ने निमाए हिल्ली, मसीर उल-एहज़ान, 1380 शम्सी, पेज 254</ref>
* '''बाबुल हवाइजः''' बगदादी के अनुसार, यह उपनाम सभी शियाओं, विशेषकर इराकी शियाओं के बीच प्रसिद्ध है। [20] बहुत से लोगो का विश्वास है कि हज़रत अब्बास (अ) से मांगने पर अल्लाह तआला उनकी हाजत (मन्नत) को पूरा करता है।[21] 
* '''बाबुल हवाइजः'''<ref>नासेरी, मौलिद अल-अब्बास बिन अली (अ), 1372 शम्सी, पेज 30</ref> बगदादी के अनुसार, यह उपनाम सभी शियाओं, विशेषकर इराकी शियाओं के बीच प्रसिद्ध है।<ref>बग़दादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 20</ref> बहुत से लोगो का विश्वास है कि हज़रत अब्बास (अ) से मांगने पर अल्लाह तआला उनकी हाजत (मन्नत) को पूरा करता है।<ref>बहिश्ती, क़हरमान अल-कमे, 1374 शम्सी, पेज 48; शरीफ़ क़रशी, जिंदगानी हज़रत अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 36-37</ref>
* '''सक़्क़ाः''' यह उपनाम इतिहासकारों और वंशावलीज्ञों के बीच प्रसिद्ध है। [22] आप (अ) ने कर्बला में तीन बार अहले हरम और इमाम हुसैन ख़ैमो मे पानी पहुंचाया। [23] हज़रत अब्बास (अ) के रज्जों में, इस उपनाम को निर्दिष्ट किया गया है, जैसे कि इन्नी अनल अब्बासो उग़्दू बिस सुका; मैं अब्बास हूं और मैं रात को सक़्क़ा के पद के साथ बिताऊंगा। [24]
* '''सक़्क़ाः''' यह उपनाम इतिहासकारों और वंशावलीज्ञों के बीच प्रसिद्ध है।<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 14; अमीन, आयान उश-शिया, 1406 हिजरी, भाग 7, पेज 429; तबरी, तारीख उल उमम वल मुलूक, 1967 ई, भाग 5, पेज 412-413; अबुल फ़रज अल-इस्फ़हानी, मक़ातेलुत तालिबयीन, 1408 हिजरी, पेज 117-118</ref> आप (अ) ने कर्बला में तीन बार अहले हरम और इमाम हुसैन ख़ैमो मे पानी पहुंचाया।<ref>ताअमा, तारीख मरक़दिल हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी, पेज 238</ref> हज़रत अब्बास (अ) के रज्जों में, इस उपनाम को निर्दिष्ट किया गया है, जैसे कि इन्नी अनल अब्बासो उग़्दू बिस सुका; मैं अब्बास हूं और मैं रात को सक़्क़ा के पद के साथ बिताऊंगा।<ref>क़ुमी, नफ़्सुल महमूम, अल-मकतब अल-हैदरी, पेज 304
* '''अल-शहीद''' [25]
</ref>
* '''परचमदार वा अलमदार''' [26]
* '''अल-शहीद'''<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बतलिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 108-109</ref>
* '''बाब उल-हुसैनः''' कुछ लोगों ने शिया आरिफ सय्यद अली क़ाज़ी तबताबाई,के रहस्योद्घाटन (मुकाशेफ़ा) का हवाला दिया, और यह खबर प्राप्त की कि "हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ) औलिया का काबा है"। उन्होंने हजऱत अब्बास (अ) को यह उपनाम दिया है। [27]
* '''परचमदार वा अलमदार'''<ref>इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबी तालिब, मतबआ अल-इल्मीया, भाग 4, पेज 108; अल्लामा मजलिसी, बिहार उल-अनवार, 1403 हिजरी, भाग 45, पेज 40</ref>
* '''बाब उल-हुसैनः''' कुछ लोगों ने शिया आरिफ सय्यद अली क़ाज़ी तबताबाई,के रहस्योद्घाटन (मुकाशेफ़ा) का हवाला दिया, और यह खबर प्राप्त की कि "हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ) औलिया का काबा है"। उन्होंने हजऱत अब्बास (अ) को यह उपनाम दिया है।<ref>हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास अलैहिस सलाम काबा ए औलिया</ref>


== जीवनी ==
== जीवनी ==
कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार हज़रत अब्बास (स) के कर्बला की घटना से पहले के जीवन के संबंध मे इतिहास मे कोई जानकारी नही है। [28] जो जीच कर्बला से पहले उनके जीवन मे मिलती है वह है उनका सिफ़्फीन के युद्ध मे हाज़िर होना और दूसरी जगह हजरत इमाम हसन (अ) की दतफ़ीन के समय [29] इसके अलावा जो कुछ भी मिलता है वह कर्बला की घटना मे मिलता है। [30]
कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार हज़रत अब्बास (स) के कर्बला की घटना से पहले के जीवन के संबंध मे इतिहास मे कोई जानकारी नही है।<ref>बगदादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 73-75; महमूदी, माहे बी ग़ुरूब, 1379 शम्सी, पेज 38</ref> जो जीच कर्बला से पहले उनके जीवन मे मिलती है वह है उनका सिफ़्फीन के युद्ध मे हाज़िर होना और दूसरी जगह हजरत इमाम हसन (अ) की दतफ़ीन के समय<ref>मूसवी मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1435 हिजरी, पेज 247-251</ref> इसके अलावा जो कुछ भी मिलता है वह कर्बला की घटना मे मिलता है।<ref>बगदादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 74</ref>


== जन्म ==
== जन्म ==
हज़रत अब्बास (अ) के जन्म के साल मे मतभेद है। [31] यह मतभेद इमाम अली (अ) की शहादत के समय अब्बास (अ) की आयु के संबंध मे मौजूद मतभेद के आधार पर है कुछ ने उस समय हज़रत अब्बास (अ) की आयु 16-18 वर्ष लिखी है। [32] जबकि इसके विपरीत कुछ ने आपकी आयु मात्र 14 वर्ष लिखा है और कहा है कि आप उस समय नाबालिग़ थे। [33]
हज़रत अब्बास (अ) के जन्म के साल मे मतभेद है।<ref>उर्दुबादी, हयाते अबिल फ़ज़्ललिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 61; महमूदी, माहे बी ग़ुरूब, 1379 शम्सी, पेज 31</ref> यह मतभेद इमाम अली (अ) की शहादत के समय अब्बास (अ) की आयु के संबंध मे मौजूद मतभेद के आधार पर है कुछ ने उस समय हज़रत अब्बास (अ) की आयु 16-18 वर्ष लिखी है।<ref>महमूदी, माहे बी ग़ुरूब, 1379 शम्सी, पेज 31 और 50</ref> जबकि इसके विपरीत कुछ ने आपकी आयु मात्र 14 वर्ष लिखा है और कहा है कि आप उस समय नाबालिग़ थे।<ref>नासेरी, मौलिद अल-अब्बास बिन अली (अ), 1372 शम्सी, पेज 62; तमआ, तारीख मरक़दिल हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी, पेज 242</ref>


प्रसिद्ध कथनानुसार हज़रत अब्बास (अ) का जन्म 26 हिजरी मे मदीना मे हुआ। [34] उर्दूबादी के अनुसार, पुराने स्रोतों में उनके जन्म के दिन और महीने के बारे में कोई उल्लेख नही मिलता, केवल 13 वीं शताब्दी में लिखी गई किताब अनीस उश-शिया मे आपका जन्म 4 शाबान उल्लेखित है। [35] ख़साएसुल अब्बासीया के लेखक ने किसी स्रोत का उल्लेख किए बिना लिखा है कि जब हज़रत अब्बास (अ) का जन्म हुआ तो इमाम अली (अ) ने अपनी गोद मे लिया और अब्बास नाम रखा और आपके कानो मे आज़ान और अक़ामत कही, तत्पश्चात आपकी भुजाओ को चूमा और रोने लगे हज़रत उम्मुल बनीन ने रोने का कारण पूछा तो उनको जवाब मे कहा अब्बास की दोनो भुजाए हुसैन की सहायता करने मे कट जाएंगी और अल्लाह तआला इसको दोनो भुजाओ के बदले मे आख़ेरित मे दो पर प्रदान करेगा। [36] दूसरी किताबो मे भी इसी को आधार मानते हुए इमाम अली (अ) का अब्बास (अ) की भुजाओ के कटने पर रोने का उल्लेख किया है। [37]
प्रसिद्ध कथनानुसार हज़रत अब्बास (अ) का जन्म 26 हिजरी मे मदीना मे हुआ।<ref>ज़ुजाजी काशानी, सक़्काए कर्बला, 1379 शम्सी, पेज 89-90; अमीन, आयान उश-शिया, 1406 हिजरी, भाग 7, पेज 429</ref> उर्दूबादी के अनुसार, पुराने स्रोतों में उनके जन्म के दिन और महीने के बारे में कोई उल्लेख नही मिलता, केवल 13 वीं शताब्दी में लिखी गई किताब अनीस उश-शिया मे आपका जन्म 4 शाबान उल्लेखित है।<ref>उर्दुबादी, हयाते अबिल फ़ज़्ललिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 64</ref> ख़साएसुल अब्बासीया के लेखक ने किसी स्रोत का उल्लेख किए बिना लिखा है कि जब हज़रत अब्बास (अ) का जन्म हुआ तो इमाम अली (अ) ने अपनी गोद मे लिया और अब्बास नाम रखा और आपके कानो मे आज़ान और अक़ामत कही, तत्पश्चात आपकी भुजाओ को चूमा और रोने लगे हज़रत उम्मुल बनीन ने रोने का कारण पूछा तो उनको जवाब मे कहा अब्बास की दोनो भुजाए हुसैन की सहायता करने मे कट जाएंगी और अल्लाह तआला इसको दोनो भुजाओ के बदले मे आख़ेरित मे दो पर प्रदान करेगा।<ref>कलबासी, अल-खसाएसुल अब्बासीया, 1420 हिजरी, पेज 64-71</ref> दूसरी किताबो मे भी इसी को आधार मानते हुए इमाम अली (अ) का अब्बास (अ) की भुजाओ के कटने पर रोने का उल्लेख किया है।<ref>देखेः नासेरी, मौलिद अल-अब्बास बिन अली (अ), 1372 शम्सी, पेज 61-62; ख़लख़ाली, चेहरा ए दरख़शाने क़मरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, पेज 140</ref>


== जीवन साथी और संतान ==
== जीवन साथी और संतान ==
अब्बास (अ) जनाबे अब्बास बिन अब्दुल मत्तलिब की पोत्री लुबाबा के साथ 40 से 45 हिजरी के बीच विवाह के बंधन मे बधे। [39] कुछ स्रोतो मे लुबाबा के पिता का नाम उबैदुल्लाह बिन अब्बास [40] और बाकी दूसरे स्रोतो मे अब्दुल्लाह बिन अब्बास [41] बताया है।   
अब्बास (अ) जनाबे अब्बास बिन अब्दुल मत्तलिब की पोत्री लुबाबा के साथ 40 से 45 हिजरी के बीच विवाह के बंधन मे बधे।<ref>ज़ुबैरी, नसबे क़ुरैश, 1953 ई, भाग 1, पेज 79; ज़ुजाजी काशानी, सक़्काए कर्बला, 1379 शम्सी, पेज 98</ref> कुछ स्रोतो मे लुबाबा के पिता का नाम उबैदुल्लाह बिन अब्बास<ref>देखेः बग़दादी, अल-महबर, दार उल आफ़ाक़ उल-जदीदा, पेज 441; तिल्मसानी, अल-जोहरा, अनसारियान, पेज 59</ref> और बाकी दूसरे स्रोतो मे अब्दुल्लाह बिन अब्बास<ref>देखेः इब्ने सूफ़ी, अल-मज्दी, 1422 हिजरी, पेज 436</ref> बताया है।   


तीसरी शताब्दी के इतिहासकार इब्ने हबीब बग़दादी ने अब्बास (अ) की पत्नि लुबाबा को उबैदुल्लाह की बेटी और लुबाबा बिन्ते अब्दुल्लाह को अली बिन अब्दुल्लाह जाफ़र की पत्नि लिखा है। [42] लुबाबा से फ़ज़्ल और उबैदुल्लाह नाम के दो बेटो ने जन्म लिया। [43] आपकी शहादत पश्चात पहले वलीद बिन अत्बा और उसके बाद ज़ैद बिन हसन से विवाह किया। [44]
तीसरी शताब्दी के इतिहासकार इब्ने हबीब बग़दादी ने अब्बास (अ) की पत्नि लुबाबा को उबैदुल्लाह की बेटी और लुबाबा बिन्ते अब्दुल्लाह को अली बिन अब्दुल्लाह जाफ़र की पत्नि लिखा है।<ref>बगदादी, बग़दादी, अल-महबर, दार उल आफ़ाक़ उल-जदीदा, पेज 440-441</ref> लुबाबा से फ़ज़्ल और उबैदुल्लाह नाम के दो बेटो ने जन्म लिया।<ref>इब्ने सूफ़ी, अल-मज्दी, 1422 हिजरी, पेज 436</ref> आपकी शहादत पश्चात पहले वलीद बिन अत्बा और उसके बाद ज़ैद बिन हसन से विवाह किया।<ref>बग़दादी, अल-महबर, दार उल आफ़ाक़ उल-जदीदा, पेज 441</ref>


उबैदुल्लाह बिन अब्बास (अ) ने इमाम सज्जाद (अ) की बेटी के साथ विवाह किया। [45] दूसरे इतिहासकारो ने आपके बेटो के नाम हसन, क़ासिम, मुहम्मद बताते हुए एक बेटी का भी उल्लेख किया है और लिखते है कि क़ासिम और मुहम्मद आशूर के दिन अपने पिता की शहादत के बाद वीरगति को प्राप्त हो गए थे। [46]
उबैदुल्लाह बिन अब्बास (अ) ने इमाम सज्जाद (अ) की बेटी के साथ विवाह किया।<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बतलिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 429</ref> दूसरे इतिहासकारो ने आपके बेटो के नाम हसन, क़ासिम, मुहम्मद बताते हुए एक बेटी का भी उल्लेख किया है और लिखते है कि क़ासिम और मुहम्मद आशूर के दिन अपने पिता की शहादत के बाद वीरगति को प्राप्त हो गए थे।<ref>रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशाने कमरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 2, पेज 123</ref>


हजरत अब्बास की नसल उनके बेटे उबैदुल्लाह और पोते हसन से आगे बढ़ी। हजरत अब्बास (अ) के बेटे प्रसिद्ध अलावीयो मे से थे और उनमे से बहुत से विद्वान, कवि, क़ाज़ी और शासक थे। [47]  हज़रत अब्बास (अ) की पीढ़ी का प्रसार उत्तरी अफ़्रीक़ा से ईरान तक बताया जाता है। [48] हज़रत अब्बास की पीढ़ी के इस प्रसार का कारण सरकार का दमन बताया है। [49] 
हजरत अब्बास की नसल उनके बेटे उबैदुल्लाह और पोते हसन से आगे बढ़ी। हजरत अब्बास (अ) के बेटे प्रसिद्ध अलावीयो मे से थे और उनमे से बहुत से विद्वान, कवि, क़ाज़ी और शासक थे।<ref>रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशाने कमरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 2, पेज 118 महमूदी, माहे बी ग़ुरूब, 1379 शम्सी, पेज 89</ref> हज़रत अब्बास (अ) की पीढ़ी का प्रसार उत्तरी अफ़्रीक़ा से ईरान तक बताया जाता है।<ref>रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशाने कमरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 2, पेज 118</ref> हज़रत अब्बास की पीढ़ी के इस प्रसार का कारण सरकार का दमन बताया है।<ref>रब्बानी ख़लख़ाली, चेहरा ए दरखशाने कमरे बनी हाशिम, 1378 शम्सी, भाग 2, पेज 126</ref>


== सिफ़्फ़ीन का युद्द ==
== सिफ़्फ़ीन का युद्द ==
कुछ किताबों के अनुसार सिफ़्फ़ीन के युद्ध में हज़रत अब्बास (अ) की उपस्थिति का उल्लेख किया गया है। इस युद्ध में आ  प (अ ) उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने सिफ़्फ़ीन के युद्ध में मालिक अश्तर की कमान के तहत फ़ुरात पर हमला किया और इमाम अली (अ) के सैनिकों के लिए पानी का प्रबंध किया। [50] इन्ही किताबो मे हज़रत अब्बास (अ) के हाथो इब्ने शासा और उसके सात बेटो का क़त्ल  भी सिफ़्फ़ीन के युद्ध की घटनाओ मे उल्लेख किया गया है। [51] कुछ लेखकों के अनुसार, सीरिया के लोग इब्ने शासा की ताकत को एक हजार घुड़सवारों के बराबर मानते थे। [52] कुछ लोगों ने सिफ़्फ़ीन में हज़रत अब्बास (अ) की उपस्थिति पर भी संदेह किया हौ और जिन्होंने संदेङ नहीं किया उन्होने इसे ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुरूप नही पाया। [53]
कुछ किताबों के अनुसार सिफ़्फ़ीन के युद्ध में हज़रत अब्बास (अ) की उपस्थिति का उल्लेख किया गया है। इस युद्ध में आ  प (अ ) उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने सिफ़्फ़ीन के युद्ध में मालिक अश्तर की कमान के तहत फ़ुरात पर हमला किया और इमाम अली (अ) के सैनिकों के लिए पानी का प्रबंध किया।<ref>हाएरी माज़ंदरानी, मआलिउस सिब्तैन, 1412 हिजरी, भाग 2, पेज 437; मूसवी मुक़र्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज; 242 ख़ुरासानी क़ाऐनी बेरजुंदी, किबरीत उल अहमर, 1386 हिजरी, पेज 385</ref> इन्ही किताबो मे हज़रत अब्बास (अ) के हाथो इब्ने शासा और उसके सात बेटो का क़त्ल  भी सिफ़्फ़ीन के युद्ध की घटनाओ मे उल्लेख किया गया है।<ref>मूसवी मुक़र्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 242; ख़ुरासानी क़ाऐनी बेरजुंदी, किबरीत उल अहमर, 1386 हिजरी, पेज 385</ref> कुछ लेखकों के अनुसार, सीरिया के लोग इब्ने शासा की ताकत को एक हजार घुड़सवारों के बराबर मानते थे।<ref>मूसवी मुक़र्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 242; ख़ुरासानी क़ाऐनी बेरजुंदी, किबरीत उल अहमर, 1386 हिजरी, पेज 385</ref> कुछ लोगों ने सिफ़्फ़ीन में हज़रत अब्बास (अ) की उपस्थिति पर भी संदेह किया हौ और जिन्होंने संदेङ नहीं किया उन्होने इसे ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुरूप नही पाया।<ref>बररसी इद्दीआ ए हुजूर हज़रत अबुल फ़ज्लिल अब्बास दर सिफ़्फ़ीन, साइट हौज़ा</ref>


हज़रत अली (अ) की इमाम हुसैन (अ) के बारे मे हज़रत अब्बास (अ) को वसीयत के संबंध मे जोकि प्रसिद्ध है उर्दूबादी के अपनी किताब मे लिखा कि इस का कोई दस्तावेज नही है। [54]
हज़रत अली (अ) की इमाम हुसैन (अ) के बारे मे हज़रत अब्बास (अ) को वसीयत के संबंध मे जोकि प्रसिद्ध है उर्दूबादी के अपनी किताब मे लिखा कि इस का कोई दस्तावेज नही है।<ref>उर्दूबादी, हयात अबिल फज़्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 55</ref>


== कर्बला की घटना मे ==
== कर्बला की घटना मे ==
'''मुख्य लेखः कर्बला की घटना'''
'''मुख्य लेखः कर्बला की घटना'''
 
कर्बला की घटना मे हज़रत अब्बास (अ) की उपस्थिति आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है इसीलिए शियाओ के यहां आपका बड़ा महत्व है। हज़रत अब्बास (अ) को इमाम हुसैन के आंदोलन के सबसे प्रमुख व्यक्ति कहा जाता है।<ref>शरीफ़ क़रशी, जिंदगानी ए हज़रत अब्ल फज्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 124</ref> इसके बावजूद हज़रत अब्बास (अ) के बारे मे अलग से लिखी गई अधिकतर किताबो मे, इमाम हुसैन (अ) की मदीना से मक्का और मक्का से कूफ़ा तक के सफ़र और मोहर्रम 61 हिजरी से पहले तक हज़रत अब्बास (अ) के बारे मे कोई एतिहासिक रिपोर्ट या रिवायत मे कुछ नही मिलता।<ref>बगदादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 73-75; देखेः मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बतलिल अल-क़मी, 1429 हिजरी, भग 1,2 और3; मूसवी मुक़र्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 242; ख़ुरासानी क़ाऐनी बेरजुंदी, किबरीत उल अहमर, 1386 हिजरी; ताअमा, तारीखे मरक़दिल हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी; इब्ने ज़ौजी, तज़्करतुल ख़वास, 1418 हिजरी; उर्दूबादी, मौसूअसतुल अल्लामा अल-उर्दूबादी, 1436 हिजरी; शरीफ़ क़रशी, जिंदगानी ए हजरत अब्ल फ़ज्लिल अब्बास, 1386 शम्सी; अल-ख़ुवारज़्मी, मक़तालुल हुसैन, 1423 हिजरी, भाग 1; इब्ने आसम अल-कूफ़ी, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 4,5</ref>
कर्बला की घटना मे हज़रत अब्बास (अ) की उपस्थिति आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है इसीलिए शियाओ के यहां आपका बड़ा महत्व है। हज़रत अब्बास (अ) को इमाम हुसैन के आंदोलन के सबसे प्रमुख व्यक्ति कहा जाता है। [55] इसके बावजूद हज़रत अब्बास (अ) के बारे मे अलग से लिखी गई अधिकतर किताबो मे, इमाम हुसैन (अ) की मदीना से मक्का और मक्का से कूफ़ा तक के सफ़र और मोहर्रम 61 हिजरी से पहले तक हज़रत अब्बास (अ) के बारे मे कोई एतिहासिक रिपोर्ट या रिवायत मे कुछ नही मिलता। [56]


== मक्का मे धर्मोपदेश देना ==
== मक्का मे धर्मोपदेश देना ==
ख़तीबे काबा किताब के लेखक ने हज़रत अब्बास (अ) से एक खुत्बा मंसूब किया है। [57] उन्होने इस ख़ुत्बे को मनाक़िबे सादातुल किराम नामक किताब के एक नोट का हवाला देते हुए लिखा है कि  इस किताब को नही देखा है। [58] इस रिपोर्ट के अनुसार हज़रत अब्बास (अ) ने इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने ज़िल हिज्जा की 8 वीं तारीख को काबा की छत से जनता को संबोधित किया जिसमे इमाम हुसैन (अ) की स्थिति का हवाला देकर यज़ीद को शराबी के रूप मे पेश करके यज़ीद के प्रति लोगो की निष्ठा की आलोचना की। और अपने भाषण मे उन्होने कहा कि जब तक वो जीवित है, वो इमाम हुसैन (अ) को शहीद नही होने देंगे और इमाम हुसैन (अ) को शहीद करने का एकमात्र तरीका अब्बास को मारना है। [59] धर्मोपदेश के पाठ की साहित्यिक आलोचना, लेखक और मूल किताब की गुमनामी पर आधारित एक लेख मे जोया जहांबख्श ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि यह घटना दूसरे किसी स्रोत मे नही मिलती। [60]
ख़तीबे काबा किताब के लेखक ने हज़रत अब्बास (अ) से एक खुत्बा मंसूब किया है।<ref>यूनिसयान, खतीबे काबा, 1386 शम्सी, पेज 46</ref> उन्होने इस ख़ुत्बे को मनाक़िबे सादातुल किराम नामक किताब के एक नोट का हवाला देते हुए लिखा है कि  इस किताब को नही देखा है।<ref>यूनिसयान, खतीबे काबा, 1386 शम्सी, पेज 46</ref> इस रिपोर्ट के अनुसार हज़रत अब्बास (अ) ने इस्लामी कैलेंडर के अंतिम महीने ज़िल हिज्जा की 8 वीं तारीख को काबा की छत से जनता को संबोधित किया जिसमे इमाम हुसैन (अ) की स्थिति का हवाला देकर यज़ीद को शराबी के रूप मे पेश करके यज़ीद के प्रति लोगो की निष्ठा की आलोचना की। और अपने भाषण मे उन्होने कहा कि जब तक वो जीवित है, वो इमाम हुसैन (अ) को शहीद नही होने देंगे और इमाम हुसैन (अ) को शहीद करने का एकमात्र तरीका अब्बास को मारना है।<ref>यूनिसयान, खतीबे काबा, 1386 शम्सी, पेज 46-48</ref> धर्मोपदेश के पाठ की साहित्यिक आलोचना, लेखक और मूल किताब की गुमनामी पर आधारित एक लेख मे जोया जहांबख्श ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि यह घटना दूसरे किसी स्रोत मे नही मिलती।<ref>जहान बख्श, गंजी नौयाफ्ते या वहमी बर बाफते, पेज 28-56</ref>


== आशूरा के दिन परचमदारी ==
== आशूरा के दिन परचमदारी ==
आशूरा के दिन हज़रत अब्बास (अ) इमाम हुसैन (अ) की सेना के ध्वजधारक थे। इमाम हुसैन (अ) ने आशूरा की सुबह उन्हे यह पद सौपा। [61] कुछ रिपोर्टो के अनुसार जब हज़रत अब्बास (अ) ने कुरूक्षेत्र मे जाने के लिए कहा तो इमाम हुसैन (अ) ने उन्हे ध्वजधारक होना याद दिलाया। [62]
आशूरा के दिन हज़रत अब्बास (अ) इमाम हुसैन (अ) की सेना के ध्वजधारक थे। इमाम हुसैन (अ) ने आशूरा की सुबह उन्हे यह पद सौपा।<ref>बलाज़ुरी, अंसाबुल अशराफ, पेज 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 187; अबुल फ़रज अल-इस्फहानी, मकातिल अलतालिबयीन, 1408 हिजरी, पेज 90; मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 95; बुखारी, सिर्रुस सिलसिलातुल अलावीया, 1382 हिजरी, पेज 88-89</ref> कुछ रिपोर्टो के अनुसार जब हज़रत अब्बास (अ) ने कुरूक्षेत्र मे जाने के लिए कहा तो इमाम हुसैन (अ) ने उन्हे ध्वजधारक होना याद दिलाया।<ref>कुमी, नफ्सुल महमूम, अल-मकतबा अल-हैदरिया, पेज 306</ref>


== पानी लाना ==
== पानी लाना ==
ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, जब दुश्मन ने इमाम हुसैन (अ) के कारवां पर पानी बंद कर दिया और जब अहले हरम और असहाब की प्यास बढ़ी, तो इमाम (अ) ने हज़रत अब्बास (अ) को तीस घुड़सवारों और बीस पैदल सैनिकों के साथ पानी लाने के लिए भेजा। वे रात में शरिया के करीब पहुंचे, लेकिन अम्र बिन हज्जाज और उसके साथी उन्हें शरीया तक पहुंचने से रोकना चाहते थे, हज़रत अब्बास (अ) और उनके साथियों ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया और खुद को शरीया तक पहुंचा दिया और मशको में पानी भरा। शरिया से पलटते समय अम्र बिन हज्जाज और उसके साथियों ने उन पर हमला किया। हज़रत अब्बास (अ) और अन्य घुड़सवारों ने दुश्मन के रास्ते को तब तक रोके रखा जब तक कि पैदल सेना खयाम में पानी नहीं ले आई। [63]
ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, जब दुश्मन ने इमाम हुसैन (अ) के कारवां पर पानी बंद कर दिया और जब अहले हरम और असहाब की प्यास बढ़ी, तो इमाम (अ) ने हज़रत अब्बास (अ) को तीस घुड़सवारों और बीस पैदल सैनिकों के साथ पानी लाने के लिए भेजा। वे रात में शरिया के करीब पहुंचे, लेकिन अम्र बिन हज्जाज और उसके साथी उन्हें शरीया तक पहुंचने से रोकना चाहते थे, हज़रत अब्बास (अ) और उनके साथियों ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया और खुद को शरीया तक पहुंचा दिया और मशको में पानी भरा। शरिया से पलटते समय अम्र बिन हज्जाज और उसके साथियों ने उन पर हमला किया। हज़रत अब्बास (अ) और अन्य घुड़सवारों ने दुश्मन के रास्ते को तब तक रोके रखा जब तक कि पैदल सेना खयाम में पानी नहीं ले आई।<ref>अबू मखनफ, मकतलुल हुसैन, 1364 शम्सी, पेज 98-99; तिबरी, तारीखे तिबरी, मोअस्सेसा ए अल-आलमी, भग 4, पेज 312; अबुल फरज, मकातिल अलतालिबयीन, 1970 ई, पेज 117;  ख़ुवारिज़्मी, मक़्तलुल हुसैन, 1418 हिजरी, भाग 1, पेज 346-347; दैनूरी, अल-अख्बार अलतुआल, 1960 ई, पेज 255; इब्ने आसम, अल-फुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 92</ref>


== शरण पत्रो का ठुकराना ==
== शरण पत्रो का ठुकराना ==
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=== अब्दुल्लाह बिन अबी महल का शरण पत्र ===
=== अब्दुल्लाह बिन अबी महल का शरण पत्र ===
जब शिम्र ज़िल जोशन ने इमाम हुसैन (अ) के साथ युद्ध करने या इब्ने ज़ियाद के लिए आत्मसमर्पण का पत्र मिला, तो उम्मुल बनीन के भतीजे अब्दुल्लाह बिन अबी महल का महल छोड़ते समय शिम्र से अपने फ़ूपीज़ाद भाईयो के लिए शरण पत्र प्राप्त किया और उसे इमाम हुसैन के शिविर में अपने  मालिक के माध्यम से उम्मुल बनीनी के बच्चों के लिए भेद दिया। जब उसका दूत हजरत अब्बास (अ) और उसके भाइयों के पास पहुंचा, तो उस ने उन से कहा, तुम्हारे मामा ने तुम्हें यह शरण पत्र भेजा है। जवाब में, उन्होंने कहा: हमारे मामा को सलाम कहना और उन्हें बताना कि हमें शरण पत्र की आवश्यकता नहीं है, सुमैय्या के बेटे के शरण पत्र की तुलना में अल्लाह का शरण पत्र हमारे लिए उत्तम है। [64]
जब शिम्र ज़िल जोशन ने इमाम हुसैन (अ) के साथ युद्ध करने या इब्ने ज़ियाद के लिए आत्मसमर्पण का पत्र मिला, तो उम्मुल बनीन के भतीजे अब्दुल्लाह बिन अबी महल का महल छोड़ते समय शिम्र से अपने फ़ूपीज़ाद भाईयो के लिए शरण पत्र प्राप्त किया और उसे इमाम हुसैन के शिविर में अपने  मालिक के माध्यम से उम्मुल बनीनी के बच्चों के लिए भेद दिया। जब उसका दूत हजरत अब्बास (अ) और उसके भाइयों के पास पहुंचा, तो उस ने उन से कहा, तुम्हारे मामा ने तुम्हें यह शरण पत्र भेजा है। जवाब में, उन्होंने कहा: हमारे मामा को सलाम कहना और उन्हें बताना कि हमें शरण पत्र की आवश्यकता नहीं है, सुमैय्या के बेटे के शरण पत्र की तुलना में अल्लाह का शरण पत्र हमारे लिए उत्तम है।<ref>अबू मखनफ, मकतलुल हुसैन, पेज 103-104; तिबरी, तारीखे तिबरी, मोअस्सेसा अल-आलमी, भाग 4, पेज 314; इब्ने आसम, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 94; इब्ने असीर, आलकामिल फी तारीख, 1399 हिजरी, भाग 4, पेज 56; इब्ने कसीर, अल-बिदाया वन-निहाया, 1408 हिजरी, भाग 8, पेज 190</ref>


=== शिम्र ज़िल-जोशन का शरण पत्र ===
=== शिम्र ज़िल-जोशन का शरण पत्र ===
मुहर्रम की नौवीं रात को शिम्र ने इमाम हुसैन (अ) के असहाब के सामने खड़े होकर कहा: मेरे भांजे कहाँ हैं?! अब्बास, जाफ़र और उस्मान तंबू से बाहर आए और कहा: क्या चाहते हो? शिम्र ने कहा: आप सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा: यदि तुम हमारे मामा हो, तो तुम्हारे और तुम्हारे शरण पत्र पर अल्लाह लानत करे। केवल हमारे लिए शरण पत्र लाए और पैगंबर के बेटे को छोड़ दिया! [65]
मुहर्रम की नौवीं रात को शिम्र ने इमाम हुसैन (अ) के असहाब के सामने खड़े होकर कहा: मेरे भांजे कहाँ हैं?! अब्बास, जाफ़र और उस्मान तंबू से बाहर आए और कहा: क्या चाहते हो? शिम्र ने कहा: आप सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा: यदि तुम हमारे मामा हो, तो तुम्हारे और तुम्हारे शरण पत्र पर अल्लाह लानत करे। केवल हमारे लिए शरण पत्र लाए और पैगंबर के बेटे को छोड़ दिया।<ref>अबू मख़नफ़, मक़तलुल हुसैन, पेज 104; तबरी, तारीखे तबरी, मोअस्सेसा अल-आलमी, भगा 4, पेज 315; शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 89; तबरसी, ऐलाम उल-वरा, दार उल कुतुब उल-इस्लामीया, भाग 1, पेज 454; दमिश्की, जवाहेरूल मतालिब, 1416 हिजरी, भाग 2, पेज 281</ref>


इब्ने आसिम (मृत्यु 314 हिजरी) इस प्रकार लिखता है कि जब शिम्र ने उम्मुल बनीन के बेटो को आवाज़ दी हुसैन (अ) ने अपने भाईयो से कहाः उसका जवाब दीजिए, चाहे फासिक़ ही क्यो ना हो, क्योकि वो तुम्हारा मामा है। हज़रत अब्बास (अ) और उनके भाईयो ने शिम्र से कहाः क्या कहा?  शिम्र ने कहाः हे मेरे भांजो! तुम लोग सुरक्षित हो। हुसैन के साथ खुद को मत मारो और अमीरुल मोमिनीन यज़ीद की बात मानो। उस समय, अब्बास बिन अली ने कहा: डूब मर शिम्र! हे खुदा के दुश्मन तुझ पर और तेरे शरण पत्र पर खुदा लानत करे! हमसे दुश्मन की आज्ञा मानने और अपने भाई की मदद करना बंद करने के लिए कह रहा हैं?![66]
इब्ने आसिम (मृत्यु 314 हिजरी) इस प्रकार लिखता है कि जब शिम्र ने उम्मुल बनीन के बेटो को आवाज़ दी हुसैन (अ) ने अपने भाईयो से कहाः उसका जवाब दीजिए, चाहे फासिक़ ही क्यो ना हो, क्योकि वो तुम्हारा मामा है। हज़रत अब्बास (अ) और उनके भाईयो ने शिम्र से कहाः क्या कहा?  शिम्र ने कहाः हे मेरे भांजो! तुम लोग सुरक्षित हो। हुसैन के साथ खुद को मत मारो और अमीरुल मोमिनीन यज़ीद की बात मानो। उस समय, अब्बास बिन अली ने कहा: डूब मर शिम्र! हे खुदा के दुश्मन तुझ पर और तेरे शरण पत्र पर खुदा लानत करे! हमसे दुश्मन की आज्ञा मानने और अपने भाई की मदद करना बंद करने के लिए कह रहा हैं?।<ref>इब्ने आसिम, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 94</ref>


इब्ने कसीर (मृत्यु 774 हिजरी) ने को प्राचीन स्रोतो के विपरीत इस प्रकार बयान किया है: हुसैन के भाइयों ने शिम्र से कहा: यदि हमें और हमारे भाई हुसैन को शरण देते हो, तो हम भी आपके शरण को स्वीकार करेंगे, अन्यथा हमें इसकी आवश्यकता नहीं है। [67] लेकिन स्पष्ट रूप से, इब्न कसीर और इब्ने आसम की रिपोर्ट, समय की देरी और उनकी सामग्री के कारण, विचार करने योग्य हैं और प्राचीन पुस्तकों की रिपोर्टों के विपरीत हैं। [68]
इब्ने कसीर (मृत्यु 774 हिजरी) ने को प्राचीन स्रोतो के विपरीत इस प्रकार बयान किया है: हुसैन के भाइयों ने शिम्र से कहा: यदि हमें और हमारे भाई हुसैन को शरण देते हो, तो हम भी आपके शरण को स्वीकार करेंगे, अन्यथा हमें इसकी आवश्यकता नहीं है।<ref>इब्ने कसीर, अल-बिदाया वन-निहाया, 1408 हिजरी, भाग 8, पेज 190</ref> लेकिन स्पष्ट रूप से, इब्न कसीर और इब्ने आसम की रिपोर्ट, समय की देरी और उनकी सामग्री के कारण, विचार करने योग्य हैं और प्राचीन पुस्तकों की रिपोर्टों के विपरीत हैं।<ref>सालेही हाजीयाबादी, शोहदा ए नैनवा, 1386 शम्सी, पेज 40</ref>


== हज़रत अब्बास के भाईयो की शहादत ==
== हज़रत अब्बास के भाईयो की शहादत ==
ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, उम्मुल-बनीन के साथ इमाम अली (अ) की शादी का नतीजा अब्बास, जाफर, अब्दुल्लाह और उसमान नाम के चार बेटे थे। [69] और हज़रत अब्बास ने अपने भाइयों को आशूरा के दौरान लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। यह रिपोर्ट दो स्रोतों में दो प्रकार से बयान की गई है।
ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, उम्मुल-बनीन के साथ इमाम अली (अ) की शादी का नतीजा अब्बास, जाफर, अब्दुल्लाह और उसमान नाम के चार बेटे थे।<ref>अबू मखनफ, मकतलुल हुसैन, 1364 शम्सी, पेज 175; अबू मख़नफ, वक़्अतुत तफ़, 1367 शम्सी, पेज 245; तबरी, तारीखे तबरी, मोअस्सेसा अल-आलमी, भाग 2, पेज 342; इब्ने असीर, अल-कामिल फ़ी तारीख़, 1399 हिजरी, भाग 4, पेज 76</ref> और हज़रत अब्बास ने अपने भाइयों को आशूरा के दौरान लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। यह रिपोर्ट दो स्रोतों में दो प्रकार से बयान की गई है।


=== तुमसे विरासत पाऊं ===
=== तुमसे विरासत पाऊं ===
अबू मख़नफ़ (157 हिजरी), तबरी (310 हिजरी) और इब्ने असीर (630 हिजरी) की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत अब्बास (अ) ने अपने भाइयों अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान से कहा: हे मेरी भाईयो, मैदान में जाओ ताकि कि मैं तुम से विरासत पाऊं, क्योंकि आपके कोई सन्तान नहीं है, उन्होंने वैसा ही किया और शहीद हुए। [70]
अबू मख़नफ़ (157 हिजरी), तबरी (310 हिजरी) और इब्ने असीर (630 हिजरी) की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत अब्बास (अ) ने अपने भाइयों अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान से कहा: हे मेरी भाईयो, मैदान में जाओ ताकि कि मैं तुम से विरासत पाऊं, क्योंकि आपके कोई सन्तान नहीं है, उन्होंने वैसा ही किया और शहीद हुए।<ref>अबू मख़नफ, मकतलुल हुसैन, पेज 174-175; तबरी, तारीखे तबरी, मोअस्सेसा अल-आलमी, भाग 4, पेज 342; इब्ने असीर, अल-कामिल फ़ी तारीख, 1399 हिजरी, भाग 4, पेज 76</ref>


लेकिन कुछ लोगों के दृष्टिकोण से यह रिपोर्ट गलत है, क्योंकि उस स्थिति में अब्बास को पता था कि मारा जाऊंगा और विरासत मांगने का कोई मतलब नहीं है। [71] साथ ही, यह रिपोर्ट विरासत के कानून के साथ असंगत है, क्योंकि उम्मुल-बनीन की उपस्थिति और इस तथ्य के बावजूद कि हज़रत अब्बास के भाइयों की पत्निया और बच्चे नही थे। अतः विरासत हज़रत अब्बास को नहीं बल्कि उम्मुल बनीन को अपने बेटो से विरासत मिलती। [72]
लेकिन कुछ लोगों के दृष्टिकोण से यह रिपोर्ट गलत है, क्योंकि उस स्थिति में अब्बास को पता था कि मारा जाऊंगा और विरासत मांगने का कोई मतलब नहीं है।<ref>मूसवी मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 184-186; शरीफ़ क़रशी, जिंदगानी हज़रत अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 221-222</ref> साथ ही, यह रिपोर्ट विरासत के कानून के साथ असंगत है, क्योंकि उम्मुल-बनीन की उपस्थिति और इस तथ्य के बावजूद कि हज़रत अब्बास के भाइयों की पत्निया और बच्चे नही थे। अतः विरासत हज़रत अब्बास को नहीं बल्कि उम्मुल बनीन को अपने बेटो से विरासत मिलती।<ref>देखः सालेही हाजीयाबादी, शोहदा ए नैनवा, 1396 शम्सी, पेज 41-45</ref>


=== मैं तुम्हारी जंग का गवाह बनूं ===
=== मैं तुम्हारी जंग का गवाह बनूं ===
शेख मुफ़ीद (413 हिजरी), तबरसी (548 हिजरी), इब्ने नेमा (645 हिजरी) और इब्ने हातिम (664 हिजरी) ने नक़ल किया: जब अब्बास बिन अली (अ) ने देखा कि उनके बहुत से लोग शहीद हो गए है तो अपने भाईयो अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान से कहा: हे मेरे भाईयो! मैदान में जाओ ताकि मैं तुम्हें देख सकूं कि [तुम अल्लाह के रास्ते मे कैसे शहीद होंगे]; मैंने तुम्हें ख़ुदा और उसके रसूल के लिए नसीहत की, क्योंकि तुम्हारे संतान नहीं है।[73] शायद यही वजह है कि हज़रत अब्बास (अ) ने अपने भाइयों को पहले मैदान में इसलिए भेजा कि वह उन्हें जिहाद के लिए तैयार करने का इनाम और उन लोगों का भी अज्र पाए जो अपने भाई की शहादत के लिए धैर्यवान थे। [74]
शेख मुफ़ीद (413 हिजरी), तबरसी (548 हिजरी), इब्ने नेमा (645 हिजरी) और इब्ने हातिम (664 हिजरी) ने नक़ल किया: जब अब्बास बिन अली (अ) ने देखा कि उनके बहुत से लोग शहीद हो गए है तो अपने भाईयो अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान से कहा: हे मेरे भाईयो! मैदान में जाओ ताकि मैं तुम्हें देख सकूं कि [तुम अल्लाह के रास्ते मे कैसे शहीद होंगे]; मैंने तुम्हें ख़ुदा और उसके रसूल के लिए नसीहत की, क्योंकि तुम्हारे संतान नहीं है।<ref>शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 109; तबरसी, ऐलाम उल वरा, उल कुतुबुल इस्लामीया, पेज 248; इब्ने नेमा, मसीर उल अहज़ान, 1369 हिजरी, पेज 5; इब्ने हातिम, अल-दुर्रुन नज़ीम, अल-नश्रुल इस्लामी, पेज 556</ref> शायद यही वजह है कि हज़रत अब्बास (अ) ने अपने भाइयों को पहले मैदान में इसलिए भेजा कि वह उन्हें जिहाद के लिए तैयार करने का इनाम और उन लोगों का भी अज्र पाए जो अपने भाई की शहादत के लिए धैर्यवान थे।<ref>उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दूबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 106</ref> 
 
   




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ख़ुर्रमयान, अब्ल फ़ज्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 25  
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# ख़ुर्रमयान, अब्ल फ़ज्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 25
# ख़रमियान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386, पेज 45
# ख़रमियान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386, पेज 45
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