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"इमाम मूसा काज़िम अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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'''इमाम सादिक़ (अ) की वसीयत और कुछ शियों का भटकना'''
'''इमाम सादिक़ (अ) की वसीयत और कुछ शियों का भटकना'''


सूत्रों के अनुसार, इमाम सादिक़ (अ) ने अब्बासियों की सख्ती को ध्यान में रखते हुए और इमाम काज़िम (अ) के जीवन को बचाने के लिए पांच लोगों [नोट 2] - अब्बासी ख़लीफा सहित - को अपने निष्पादक (वसी) के रूप में पेश किया।<ref>पीशवाई, सीर ए पीशवायान, पृष्ठ 414।</ref> हालाँकि इमाम सादिक़ (अ) अपने बाद होने वाले इमाम को कई बार अपने खास साथियों से मिलवा चुके थे, लेकिन इस कार्रवाई (वसी बनाने) ने [[शिया इसना अशरी|शियों]] के लिए स्थिति को कुछ अस्पष्ट बना दिया। इस दौरान इमाम सादिक (अ) के कुछ प्रमुख साथियों जैसे [[मोमिन ताक़]] और [[हिशाम बिन सालिम]] भी शक में पड़ गये। वे सबसे पहले इमामत का दावा करने वाले [[अब्दुल्लाह अफ़तह]] के पास गए और उनसे [[ज़कात]] के बारे में पूछा। लेकिन अब्दुल्लाह के जवाबों से वह संतुष्ट नहीं हुए। उसके बाद उन दोनों ने मूसा बिन जाफ़र (अ) से मुलाकात की और उनके जवाबों से संतुष्ट हुए और उनकी इमामत को स्वीकार किया।<ref>कश्शी, रिजाल, पृष्ठ 282-283।</ref>
सूत्रों के अनुसार, इमाम सादिक़ (अ) ने अब्बासियों की सख्ती को ध्यान में रखते हुए और इमाम काज़िम (अ) के जीवन को बचाने के लिए पांच लोगों{{नोट|1-मंसूर दवानक़ी अब्बासी शासक,  2-मुहम्मद बिन सलमान मदीने का शासक, 3-अब्दुल्लाह बिन अफ़तह इमाम सादिक़ के बेटे, 4-हमीदा इमाम सादिक़ की पत्नी,5-इमाम काज़िम (अ) ने इमाम सादिक़ (अ) की  वसीयत के माध्यम से, मंसूर की, इमाम सादिक़ (अ) के उत्ताराधिकारी की पहचान और उसके क़त्ल की साज़िश को विफ़ल कर दिया।}} - अब्बासी ख़लीफा सहित - को अपने निष्पादक (वसी) के रूप में पेश किया।<ref>पीशवाई, सीर ए पीशवायान, पृष्ठ 414।</ref> हालाँकि इमाम सादिक़ (अ) अपने बाद होने वाले इमाम को कई बार अपने खास साथियों से मिलवा चुके थे, लेकिन इस कार्रवाई (वसी बनाने) ने [[शिया इसना अशरी|शियों]] के लिए स्थिति को कुछ अस्पष्ट बना दिया। इस दौरान इमाम सादिक (अ) के कुछ प्रमुख साथियों जैसे [[मोमिन ताक़]] और [[हिशाम बिन सालिम]] भी शक में पड़ गये। वे सबसे पहले इमामत का दावा करने वाले [[अब्दुल्लाह अफ़तह]] के पास गए और उनसे [[ज़कात]] के बारे में पूछा। लेकिन अब्दुल्लाह के जवाबों से वह संतुष्ट नहीं हुए। उसके बाद उन दोनों ने मूसा बिन जाफ़र (अ) से मुलाकात की और उनके जवाबों से संतुष्ट हुए और उनकी इमामत को स्वीकार किया।<ref>कश्शी, रिजाल, पृष्ठ 282-283।</ref>


===शिया में विभाजन===
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