"अम्बिया": अवतरणों में अंतर
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पैग़ंबर अथवा नबी बिनी किसी वास्ते के अल्लाह से ख़बर देता है<ref>तुरैही, मज्मा उल-बहरैन, भाग 1, पेज 375</ref> और वह अल्लाह और उसकी मख़लूक़ के बीच वास्ता होता है और वह अल्लाह की मख़लूक़ को अल्लाह की ओर बुलाता है।<ref>मुस्तफ़वी, अल-तहक़ीक़ फ़ी कलमातिल कुरान अल-करीम, भाग 12, पेज 55</ref> | पैग़ंबर अथवा नबी बिनी किसी वास्ते के अल्लाह से ख़बर देता है<ref>तुरैही, मज्मा उल-बहरैन, भाग 1, पेज 375</ref> और वह अल्लाह और उसकी मख़लूक़ के बीच वास्ता होता है और वह अल्लाह की मख़लूक़ को अल्लाह की ओर बुलाता है।<ref>मुस्तफ़वी, अल-तहक़ीक़ फ़ी कलमातिल कुरान अल-करीम, भाग 12, पेज 55</ref> | ||
वही (रहस्योद्घाटन) लेकर उसे लोगो तक पहुंचाना, ग़ैब का इल्म<ref>तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 2, पेज 459</ref> (अनदेखी का ज्ञान) रखना, मासूम होना<ref>मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34</ref> [[मुस्ताजाब उद दावा]]<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 72, पेज 116</ref> (उसे कहते है जिसकी दुआ क़बूल होती है) होना नबीयो की विशेषताए है। अधिकांश धर्मशास्त्रियों का मानना है कि अम्बिया जीवन के सभी चरणों में पाप से निर्दोष हैं।<ref> मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34</ref> इसीलिए कुरान मे जहा अम्बिया के इस्तिग़फ़ार और अल्लाह की ओर से उनकी बख़्शिश का उल्लेख हुआ है<ref> देखेः सूरा ए क़िसस, आयत न 16, अम्बिया, आयत 87; सूरा ए ताहा, आयत न 121</ref> जैसे मिस्री व्यक्ति का हज़रत मूसा (अ) के हाथो क़त्ल,<ref>मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 16, पेज 42-43</ref> हज़रत यूनूस (अ) का रिसालत को छोड़ना,<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 315</ref> हज़रत आदम (अ) का निषिद्ध फल का खाना<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 56; मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 13, पेज 323</ref> इत्यादि को [[तर्के औला]] से वर्णित किया गया है। इनके मुक़ाबले मे कुछ धर्मशास्त्रि अम्बिया को केवल नबूत से संबंधित मामलो मे मासूम समझते है। और जीवन के दूसरे चरणो मे वो नबीयो से भूल होने को स्वीकार करते है। | वही (रहस्योद्घाटन) लेकर उसे लोगो तक पहुंचाना, ग़ैब का इल्म<ref>तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 2, पेज 459</ref> (अनदेखी का ज्ञान) रखना, मासूम होना<ref>मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34</ref> [[मुस्ताजाब उद दावा]]<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 72, पेज 116</ref> (उसे कहते है जिसकी दुआ क़बूल होती है) होना नबीयो की विशेषताए है। अधिकांश धर्मशास्त्रियों का मानना है कि अम्बिया जीवन के सभी चरणों में पाप से निर्दोष हैं।<ref> मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34</ref> इसीलिए कुरान मे जहा अम्बिया के इस्तिग़फ़ार और अल्लाह की ओर से उनकी बख़्शिश का उल्लेख हुआ है<ref> देखेः सूरा ए क़िसस, आयत न 16, अम्बिया, आयत 87; सूरा ए ताहा, आयत न 121</ref> जैसे मिस्री व्यक्ति का हज़रत मूसा (अ) के हाथो क़त्ल,<ref>मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 16, पेज 42-43</ref> हज़रत यूनूस (अ) का रिसालत को छोड़ना,<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 315</ref> हज़रत आदम (अ) का निषिद्ध फल का खाना<ref>तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 56; मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 13, पेज 323</ref> इत्यादि को [[तर्के औला]] से वर्णित किया गया है। इनके मुक़ाबले मे कुछ धर्मशास्त्रि अम्बिया को केवल नबूत से संबंधित मामलो मे मासूम समझते है। और जीवन के दूसरे चरणो मे वो नबीयो से भूल होने को स्वीकार करते है।<ref>सुदूक़, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 1, पेज 360</ref> | ||
==नाम और संख्या== | ==नाम और संख्या== | ||
अम्बिया की संख्या से संबंधित रिवायतो मे मतभेद पाया जाता है। प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार अल्लामा तबातबाई अम्बिया की संख्या एक लाख चौबीस हज़ार मानते है। | अम्बिया की संख्या से संबंधित रिवायतो मे मतभेद पाया जाता है। प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार अल्लामा तबातबाई अम्बिया की संख्या एक लाख चौबीस हज़ार मानते है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 144</ref> इस रिवायत के अनुसार रसूलो की संख्या 313 है, बनी इस्राईल के 600 अम्बिया के अतिरिक्त दूसरे चार नबी (हूद (अ), सालेह (अ), शीस (अ) और मुहम्मद (स)) अरब है।<ref>रिवायत देखेः सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524; सुदूक़, मआनी उल-अख़बार, पेज 333; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32 भाग 74, पेज 71</ref> जबकि दूसरी रिवायतो मे अम्बिया की संख्या 8 हज़ार,<ref>तूसी, अल-अमाली, पेज 397; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 31</ref> 3 लाख 20 हज़ार<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 60 </ref> और 1लाख 44 हज़ार<ref>मुफ़ीद, अलइख्तेसास, पेज 263; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 6, पेज 352</ref> का भी उल्लेख है। अल्लामा मजलिसी ने संभावना दी है कि 8 हजार की संख्या बुज़ुर्ग अम्बिया से संबंधित है<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 31</ref> पहले नबी आदम (अ)<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32</ref> और आखिरी नबी मुहम्मद (स) हैं।<ref>सूरा ए अहज़ाब, आयत 40</ref> | ||
क़ुरान मे कुछ अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है। | क़ुरान मे कुछ अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है।<ref>सूरा ए निसा, आयत 164</ref> आदम(अ), नूह(अ), इद्रीस(अ), हूद(अ), सालेह(अ), इब्राहीम(अ), लूत(अ), इस्माईल(अ), अलयसा(अ), ज़ुलक़िफ़्ल(अ), इल्यास(अ), युनूस(अ), इस्हाक़(अ), याक़ूब(अ), युसुफ़(अ), शुऐब(अ), मूसा(अ), हारून(अ), दाऊद(अ), सुलेमान(अ), अय्यूब(अ), ज़करया(अ), यह्या(अ), ईसा(अ) और मुहम्मद (स) उन नामो मे से है जो क़ुरान मे आए है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141</ref> कुछ टिप्पणीकारों (मुफ़स्सेरीन) का मानना है कि [[इस्माईल बिन हज़क़ील]] [नोट 1] का भी कुरान में उल्लेख किया गया है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 63</ref> | ||
कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है। | कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।<ref>ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 313</ref> कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह। | ||
रिवायतो मे शीस | रिवायतो मे शीस,<ref>सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524</ref> हज़क़ील[25], हबक़ूक़[26], दानीयाल[27], जिजीस[28], उज़ैर[29], हंज़ला[30] और अरमिया[31] अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है। हज़रत ख़िज़्र[32], ख़ालिद बिन सनान[33] और ज़िल क़र्नैन[34] के नबी होने मे मतभेद है। अल्लामा तबातबाई के अनुसार हज़रत उज़ैर का नबी होना स्पष्ट नही है।[35] क़ुरानी आयात के आधार पर एक समय मे एक से अधिक नबी भी रहे है उदाहरण स्वरूप मूसा और हारून[36], इब्राहीम और लूत[37] एक ही समय मे रहे है। | ||
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# क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 241-242 | # क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 241-242 | ||
# मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 163 | # मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 163 |
१५:१४, १८ अक्टूबर २०२२ का अवतरण
- यह लेख अम्बिया की संख्या, चमत्कार, मक़ाम और शरीयत के बारे मे है जबकि नबूवत की अवधारण और अर्थ के लिए, नबूवत का अध्ययन करें। अभी लेख पूरा नही हुआ है कार्य जारी है।
अम्बिया ( अरबी: انبیاء ) का भगवान अपनी ओर मनुष्यो को आमंत्रित करने के लिए चयन करता है अल्लाह वही के माध्यम से उनके साथ संपर्क मे होता है।
मासूम होना, ग़ैब का ज्ञान रखना, चमत्कार और वही को अल्लाह से प्राप्त करना उनके गुणो मे से है। कुरान ने हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए अग्नि के शांत होने, हज़रत मूसा (अ) के डंडे से अजगर मे परिवर्तित होने और हज़रत ईसा (अ) के हाथो मृतको के जीवित होने और पवित्र कुरान जैसे चमत्कार को अम्बिया के चमत्कारो मे उल्लेख किया है।
फ़ज़ीलत के हिसाब से अम्बिया के स्थान भिन्न है। कुछ अम्बिया नबूवत के साथ-साथ रिसालत और कुछ उसके साथ-साथ इमामत के पद पर नियुक्त थे। रिवायत की रोशनी मे ऊलुल अज़्म अम्बिया (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद (स)) दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। इस प्रकार अम्बिया मे से हज़रत शीस (अ), हज़रत इद्रीस (अ), हज़रत मूसा (अ), हज़रत दाऊद (अ), हज़रत ईसा (अ) और अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (स) साहेब ए शरीयत है।
प्रसिद्ध कथन के अनुसार अम्बिया की कुल संख्या एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000) है और उनमे से 25 नबीयो का नाम क़ुरान मे आया है। हज़रत आदम (अ) पहले और हज़रत मुहम्मद (स) अंतिम नबी है। शिया विद्वानो ने अम्बिया का इतिहास अपनी पुस्तको मे उल्लेख किया है जबकि अलग से उनके संबंध मे पुस्तके भी लिखी है। अल-नूरुल मुबीन फ़ी क़ेसासिल अम्बियाए वल मुरसलीन, लेखक सय्यद नेमातुल्लाह जज़ाएरी, क़ेसस उल अम्बिया, लेखक रावंदी, तनज़ीह उल-अम्बिया, लेखक सय्यद मुरर्तज़ा और हयात उल-क़ुलूब, लेखक अल्लामा मजलिसी उन पुस्तको मे से है।
पैग़ंबर
विस्तृत लेखः पैग़ंबर
पैग़ंबर अथवा नबी बिनी किसी वास्ते के अल्लाह से ख़बर देता है[१] और वह अल्लाह और उसकी मख़लूक़ के बीच वास्ता होता है और वह अल्लाह की मख़लूक़ को अल्लाह की ओर बुलाता है।[२]
वही (रहस्योद्घाटन) लेकर उसे लोगो तक पहुंचाना, ग़ैब का इल्म[३] (अनदेखी का ज्ञान) रखना, मासूम होना[४] मुस्ताजाब उद दावा[५] (उसे कहते है जिसकी दुआ क़बूल होती है) होना नबीयो की विशेषताए है। अधिकांश धर्मशास्त्रियों का मानना है कि अम्बिया जीवन के सभी चरणों में पाप से निर्दोष हैं।[६] इसीलिए कुरान मे जहा अम्बिया के इस्तिग़फ़ार और अल्लाह की ओर से उनकी बख़्शिश का उल्लेख हुआ है[७] जैसे मिस्री व्यक्ति का हज़रत मूसा (अ) के हाथो क़त्ल,[८] हज़रत यूनूस (अ) का रिसालत को छोड़ना,[९] हज़रत आदम (अ) का निषिद्ध फल का खाना[१०] इत्यादि को तर्के औला से वर्णित किया गया है। इनके मुक़ाबले मे कुछ धर्मशास्त्रि अम्बिया को केवल नबूत से संबंधित मामलो मे मासूम समझते है। और जीवन के दूसरे चरणो मे वो नबीयो से भूल होने को स्वीकार करते है।[११]
नाम और संख्या
अम्बिया की संख्या से संबंधित रिवायतो मे मतभेद पाया जाता है। प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार अल्लामा तबातबाई अम्बिया की संख्या एक लाख चौबीस हज़ार मानते है।[१२] इस रिवायत के अनुसार रसूलो की संख्या 313 है, बनी इस्राईल के 600 अम्बिया के अतिरिक्त दूसरे चार नबी (हूद (अ), सालेह (अ), शीस (अ) और मुहम्मद (स)) अरब है।[१३] जबकि दूसरी रिवायतो मे अम्बिया की संख्या 8 हज़ार,[१४] 3 लाख 20 हज़ार[१५] और 1लाख 44 हज़ार[१६] का भी उल्लेख है। अल्लामा मजलिसी ने संभावना दी है कि 8 हजार की संख्या बुज़ुर्ग अम्बिया से संबंधित है[१७] पहले नबी आदम (अ)[१८] और आखिरी नबी मुहम्मद (स) हैं।[१९]
क़ुरान मे कुछ अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है।[२०] आदम(अ), नूह(अ), इद्रीस(अ), हूद(अ), सालेह(अ), इब्राहीम(अ), लूत(अ), इस्माईल(अ), अलयसा(अ), ज़ुलक़िफ़्ल(अ), इल्यास(अ), युनूस(अ), इस्हाक़(अ), याक़ूब(अ), युसुफ़(अ), शुऐब(अ), मूसा(अ), हारून(अ), दाऊद(अ), सुलेमान(अ), अय्यूब(अ), ज़करया(अ), यह्या(अ), ईसा(अ) और मुहम्मद (स) उन नामो मे से है जो क़ुरान मे आए है।[२१] कुछ टिप्पणीकारों (मुफ़स्सेरीन) का मानना है कि इस्माईल बिन हज़क़ील [नोट 1] का भी कुरान में उल्लेख किया गया है।[२२]
कहा गया है कि क़ुरान मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफतो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।[२३] कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह।
रिवायतो मे शीस,[२४] हज़क़ील[25], हबक़ूक़[26], दानीयाल[27], जिजीस[28], उज़ैर[29], हंज़ला[30] और अरमिया[31] अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है। हज़रत ख़िज़्र[32], ख़ालिद बिन सनान[33] और ज़िल क़र्नैन[34] के नबी होने मे मतभेद है। अल्लामा तबातबाई के अनुसार हज़रत उज़ैर का नबी होना स्पष्ट नही है।[35] क़ुरानी आयात के आधार पर एक समय मे एक से अधिक नबी भी रहे है उदाहरण स्वरूप मूसा और हारून[36], इब्राहीम और लूत[37] एक ही समय मे रहे है।
स्थान और मंज़िलत
आयत (وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِيِّينَ عَلَىٰ بَعْضٍ) "वलाक़द फ़ज़्ज़लना बाज़न्न नबीय्यीना अला बाज़िन" "अनुवादः हमने कुछ नबियों को दूसरों से श्रेष्ठ बनाया", [79] सभी अम्बिया की रैंक और स्थिति समान नहीं है और उनमें से कुछ दूसरों से श्रेष्ठ हैं। हदीसों में, पवित्र पैगंबर (स) की स्थिति को अन्य नबियों से श्रेष्ठ माना गया है। [80] यहूदियों के अनुसार, बनी इस्राईल के अम्बिया को अन्य नबियों से श्रेष्ठ हैं, और उनमें से मूसा (अ) दूसरो से श्रेष्ठ हैं। [81]
ऊलुल अज़्म
अल्लामा तबातबाई के अनुसार सूरा ए अहकाफ़ की 35वीं आयत मे अज़्म का अर्थ शरियत है और ऊलुल अज़्म का अर्थ साहेब ए शरियत नबी है। इनकी दृष्टि से पांच नबी (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद) ऊलुल अज़्म नबी है।[82] कुछ का कहना है कि ऊलुल अज़्म साहेबाने शरियत अम्बिया मे निर्भर नही है।[83] रिवायत के आधार पर ऊलुल अज़्म पैगंबर दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। [84]
रिसालत
प्रसिद्ध कथन के अनुसार नबी का अर्थ रसूल से अधिक विस्तृत है इस आधार पर प्रत्येक रसूल नबी है कितुं कुछ अम्बिया रसूल नही है।[85] एक हदीस के आधार पर अम्बिया मे से 313 रसूल है।[86]
रसूल और नबी के बीच अंतर • रसूल सोते और जागते वही हासिल करता है लेकिन नबी केवल सोते हुए वही हासिल करता है।[87] • रसूल पर वही जिब्राईल के माध्यम से पहुचंती है जबकि नबी दूसरे फ़रिश्तो के माध्यम से अथवा दिल की प्रेरणा या एक सच्चे सपने की स्थिति मे स्वीकार करता है।[88] • रसूल नबूवत के साथ-साथ इतमामे हुज्जत का भी हामिल होता है।[89] • रसूल साहेब ए शरियत होता है और अहकाम वज़्अ करता है किंतु नबी शरियत के रक्षक के कर्तव्यों का पालन करता है। तबरसी ने इस कथन का श्रेय जाहिज़ को दिया है।[90] हालांकि, तबरसी जैसे कुछ मुफ़स्सिरीन नबी और दूत को पर्यायवाची मानते हैं।[91]
इमामत
आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है। [92] कुछ रिवायतो मे इमामत के पद को नबूवत के पद पर प्राथमिकता दी गई है क्योकि यह पद हज़रत इब्राहीम को नबूवत प्रदान करने के पश्चात जीवन के अंतिम पड़ाव मे प्रदान की गई।[93] सूरा ए अम्बिया मे हज़रत इब्राहीम (अ), इस्हाक़ (अ), याक़ूब (अ) और लूत (अ) को इमाम कहा गया है।[94] इमाम सादिक (अ) से नक़्ल एक हदीस के अनुसार सभी ऊलुल अज़्म अम्बिया इमामत के पद पर भी नियुक्त थे।[95]
फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता
शेक मुफ़ीद, इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश मोतज़ेला फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है।[96] कुच हदीसे पैगंबर अकरम (स) और शियो के बारह इमामो को फरिश्तो पर फ़ज़ीलत देती है। [97]
किताब और शरीयत
नबीयो मे से कुछ साहेब ए किताब (किताब वाले नबी) थे। कुरान की आयात के अनुसार ज़बूर हज़रत दाऊद[98], तौरात हज़रत मूसा [नोट 3], इंजील हज़रत ईसा[99] और क़ुरान हज़रत मुहम्मद (स) [100] की किताब है। क़ुरान ने हज़रत इब्राहीम के लिए किताब का नाम नही लिया लेकिन उनके लिए "सोहोफ़" शब्द का प्रयोग किय है।[101] इसी प्रकार एक हदीस के अनुसार खुदावंद ने 50 सहीफ़े हज़रत शीस (अ), 30 सहीफ़े हज़रत इद्रीस (अ) और 20 सहीफ़े हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए भेजे।[102]
टीकाकारो ने सूरा ए शूरा की आयत न 13 [नोट 4] को ध्यान मे रखते हुए हज़रत नूह (अ), इब्राहीम (अ), मूसा (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स) को साहेबाने शरियात अम्बिया कहा है।[103] कुछ रिवायतो मे अम्बिया के ऊलुल अज़्म होने का कारण साहेब ए शरियत बताया है। [104]
अल्लामा तबातबाई का कहना है कि ऊलुल अज़्म नबीयो मे से प्रत्येक साहेब शरियत नबी था।[105] उन्होने इस बात को भी कहा है कि हजरत दाऊद (अ) [106], शीस (अ) और इद्रीस (अ)[107] इत्यादि का ऊलुल अज़्म नबी न होने के बावजूद साहेब ए किताब होना ऊलुल अज़्म अम्बिया के साहेब शरियत होने के साथ किसी प्रकार का कोई मतभेद नही है क्योकि जो अम्बिया ऊलुल अज़्म नही है लेकिन उनपर नाजिल होने वाले किताबे अहकाम और शरियत पर आधारित नही थी।[108]
मोज्ज़ात (चमत्कार)
चमत्कार के माध्यम से नबूवत के सच्चे दावेदारो को नबूवत के झूठे दावेदारो से अलग किया जाता है। मोज्ज़ा एक असाधारण कार्य है जो ईश्वर की ओर से एक नबी के हाथों प्रकट होता है और यह नबूवत के दावे और तहद्दी के साथ होता है।[109] क़ुरान ने अम्बिया के कुछ मोज्ज़ात का उल्लेख किया है जैसे हज़रत सालेह (अ) की ऊँटनी[110], हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए अग्नि का ठंडा हो जाना[111], हज़रत इब्राहीम (अ) के हाथो चार पक्षीयो का जीवित होना[112], हज़रत मूसा (अ) के 9 मोज्ज़े जिनमे डंडे का अजगर मे परिवर्तित होना[113], फ़रज़ंदाने बनी इस्राईल के लिए 12 चश्मो का जारी होना[114], बनी इस्राईल की निजात के लिए दरिया मे मार्ग बनना[115], यदे बैज़ा[116], हज़रत ईसा (अ) के चमत्कार जैसे रोगीयो को स्वस्थ करना, मृतको को जीवित करना, गीली मिट्टी का पक्षी मे परिवर्तित होना[117], और पैगंबर अकरम (स) के मोज्ज़ात जैसे कुरान करीम[118], शक़्क़ुल क़मर (चंद्रमा के दो भाग होना) [119] अम्बिया के प्रसिद्ध चमत्कारो मे से है जिनकी ओर कुरान ने इशारा किया है। सुन्नी टीकाकार इब्ने जोज़ी के अनुसार इस्लामी स्रोतो मे पैगंबर अकरम (स) के एक हज़ार मोज्ज़ात का उल्लेख है।[120]
अलग-अलग समय में लोगों की अलग-अलग जरूरतों और उनके ज्ञान के कारण चमत्कारों में भी अंतर पाया जाता है। हिकमते इलाही नबी के मुख़ातेबीन की आवश्यकता और उसके उपयुक्त मोज्ज़े को निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, हज़रत मूसा (अ) के समय में जादू-टोना किया जाता था, इसलिए परमेश्वर ने मूसा का मोज्ज़ा असा (डंडा) क़रार दिया ताकि जादूगर उस जैसा न कर सकें और दूसरो पर खुदा की हुज्जत तमाम हो जाए। [121]
इरहासात
धर्मशास्त्रियो की दृष्टी मे अम्बिया की बेसत से पहले घटने वाली असाधारण घटनाओ को इरहासात कहा जाता है।[122] इनके प्रकट होने का कारण यह है कि अम्बिया की बेसत पश्चात लोग इनके जैसी घटनाओ के घटने की स्थिति मे स्वीकार करने की किसी प्रकार का सोच विचार न करें अर्थात इरहासात लोगो को असाधारण कार्यो को स्वीकार करने की तैयारी के उद्देश्य से होते थे। नील नदी से हजरत मूसा (अ) का निजात पाना, हजरत ईसा (अ) का पालने मे बात करना[123], ईरान मे सावा नदी का सूख जाना, महल्लाते कसरा का लरज़ना, फ़ारस के आतिश्कदे का बुझ जाना, और रसूल अल्लाह के जन्म के समय घटने वाली घटनाओ[124] को पैगंबरो के इरहासात मे गणना की जाती है।
किताबो का परिचय
मोहद्देसीन, मुफ़स्सेरीन और इस्लामी धर्मशास्त्रियो ने अपनी रचनाओ मे अम्बिया से संबंधित बातो का उल्लेख किया है। अल्लामा मजलिसी ने किताब बिहार उल-अनवार के चार खंड अम्बिया से संबंधित रिवायत[125] और बिहार उल-अनवार के 9 खंड को पैगंबर अकरम के इतिहास से मख़सूस किया है।[126] इसी प्रकार अम्बिया से संबंधित अलग-अलग किताबे भी लिखी गई है। अधिकांश क़ेससे अम्बिया के शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। उनमे से अधिकांश अम्बिया की जीवनी और उनसे संबंधित अकाइद की चर्चा की गई है। उनमे से कुछ के नाम निम्नलिखित हैः
- '''अल-नूर उल-मुबीन फ़ी क़ेसस इल अम्बिया-ए वल मुरसलीनः''' इस किताब को नेमातुल्लाह जज़ाएरी (1050-1112हिजरी) ने लिखा। यह किताब शिया रिवायतो मे उल्लेखित होने वाली अम्बिया की जीवनी पर आधारित है। लेखक ने किताब की भूमीका मे अम्बिया की संख्या, उनमे पाई जानी वाली समानता, ऊलुल अज़्म अम्बिया, और नबी तथा इमाम के बीच पाए जाने वाले अंतर पर चर्चा की है। अस्ल किताब अरबी भाषा मे है जबकि इसका अनुवाद फ़ारसी भाषा मे भी प्रकाशित हो चुका है।
- '''क़ेसस उल-अम्बिया रावंदीः''' यह किताब कुतुबुद्दीन रावंदी ने लिखी है। लेखक ने इस किताब मे अम्बिया की परिस्थितियों का कालानुक्रमिक रूप से उल्लेख किया है।
- '''तनज़ीह उल-अम्बिया वल-आइम्माः सैयद मुर्तजा (355-436 हिजरी) ने पैगंबरों की इस्मत की पुष्टि करने के लिए इसे अरबी में संकलित किया। इस पुस्तक में लेखक ने अम्बिया को सभी प्रकार की गलतियों, छोटे और बड़े पापों से निर्दोष माना है।
- '''वक़ाए अल-सेनीन वल-आवामः''' सैयद अब्दुल हुसैन खातूनाबादी (मृत्यु 1105 एएच) द्वारा संकलित है। किताब तीन भाग पर आधारित हैं। पहला भाग अम्बिया के इतिहास से संबंधित है। इस भाग में, लेखक ने अम्बिया के नाम, जीवन काल और कुछ अम्बिया की कहानियों का उल्लेख किया है, जबकि अन्य दो भागों में, अल्लाह के रसूल के समय में हुई घटनाओं का वर्णन किया गया है इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया गया है।
- '''लताइफ़ ए केसस उल-अम्बिया अलैहेमुस सलामः''' सहल बिन अब्दुल्ला तुस्तरी (मृत्यु 238 हिजरी) की रचान है। इस पुस्तक में, नबियों के जीवन से संबंधित बिंदुओं को आयतो और रिवायतो के प्रकाश में वर्णित किया गया है।
- '''हयात उल-क़ुलूबः''' अल्लामा मजलिसी (मृत्यु 1110 हिजरी) का संकलन है। इसमें नबियों और उनके उत्तराधिकारियों की जीवन स्थितियों का वर्णन है। इस पुस्तक में, मजलिसी ने सार्वजनिक नबूवत, ख़िलाफ़ते इमाम अली (अ), वजूबे वजूदे इमाम (इमाम के अस्तित्व की आवश्यकता), इमाम के नियुक्त होने और इस्मत की बहसो पर चर्चा की है।
इसी तरह, सुन्नी विद्वानों मे से क़ेसस उल-अम्बिया अल-मुसम्मा अराएस इल-मजालिस लेखक अहमद बिन मुहम्मद सालबी, केसस उल-अम्बिया, इब्ने कसीर और अबू इस्हाक नेशापूरी की केसस उल-अम्बिया भी उल्लेखनीय है।
फ़ुटनोट
- क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 241-242
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 163
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 13, पेज 448
- क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 238
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 13, पेज 448
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 156
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 373; क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 224
- देखेः तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 7, पेज 82
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 448-451
- फ़ख्रे राज़ी, मफ़ातीह उल-ग़ैब, भाग 21, पेज 495
- ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
- सूरा ए मरयम, आयत न 53
- सूरा ए हूद, आयत न 74
- सूरा ए मरयम, आयत न 56 وَاذْكُرْ فِی الْكِتَابِ إِدْرِیسَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّیقًا نَّبِیا
- सूरा ए मरयम, आयत न 57 وَ رَفَعْناهُ مَكاناً عَلِيًّا के अंतर्गत
- 0/40 1/40 2/40 3/40 4/40 5/40 6/40 7/40 8/40 9/40 सूरा ए अनआम आयत न 89 (أُولَـٰئِكَ الَّذِینَ آتَینَاهُمُ الْكِتَابَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ)
- सूरा ए शौअरा, आयत न 107 (إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ)
- 0/42 1/42 2/42 3/42 4/42 सूरा ए शूरा, आयत न 131 (شَرَعَ لَكُم مِّنَ الدِّینِ مَا وَصَّیٰ بِهِ نُوحًا وَالَّذِی أَوْحَینَا إِلَیكَ وَمَا وَصَّینَا بِهِ إِبْرَاهِیمَ وَمُوسَیٰ وَعِیسَیٰ.)
- सूरा ए आराफ़, आयत न 65 सूरा ए हूद, आयात न, 50, 53, 58, 60, 89; सूरा ए शौअरा, आयत न 124; अल-नज्जार, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 49
- सूरा ए शौअरा, आयत न 125 (إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ.)
- सूरा ए आराफ़, आयत न 65 (وَإِلَیٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًا)
- सूरा ए शौअरा, आयत न 143 (إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ)
- क़ुरान, 7:73
- सूरा ए मरयम, आयत न 41(وَاذْكُرْ فِی الْكِتَابِ إِبْرَاهِیمَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّیقًا نَّبِیا)
- सूरा ए तौबा, आयत न 70(أَتَتْهُمْ رُسُلُهُم بِالْبَینَاتِ)
- सूरा ए बक़रा, आयत न 124 (وَإِذِ ابْتَلَیٰ إِبْرَاهِیمَ رَبُّهُ بِكَلِمَاتٍ فَأَتَمَّهُنَّ ۖ قَالَ إِنِّی جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ إِمَامًا ۖ قَالَ وَمِن ذُرِّیتِی ۖ قَالَ لاینَالُ عَهْدِی الظَّالِمِینَ)
- सूरा ए आला, आयत न 19 (صُحُفِ إِبْرَاهِیمَ وَمُوسَیٰ)
- सूरा ए शौअरा, आयत न 162(إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ)
- सूरा ए अनआम, आयत न 89(أُولَـٰئِكَ الَّذِینَ آتَینَاهُمُ الْكِتَابَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ)
- सूरा ए तोबा, आयत न 30 (وَ قالَتِ الْيَهُودُ عُزَيْرٌ ابْنُ اللَّهِ وَ قالَتِ النَّصارى الْمَسيحُ ابْنُ اللَّه)
- 0/55 1/55 सूरा ए मरयम, आयत न 49 (فَلَمَّا اعْتزََلهَُمْ وَ مَا یعْبُدُونَ مِن دُونِ اللَّهِ وَهَبْنَا لَهُ إِسْحَاقَ وَ یعْقُوبَ وَ كلاًُّ جَعَلْنَا نَبِیا)
- 0/56 1/56 सूरा ए अम्बिया, आयत न 73 (وَ جَعَلْنَاهُمْ أَئمَّةً یهْدُونَ بِأَمْرِنَا)
- सूरा ए शौअरा, आयत न 178
- सूरा ए आराफ़, आयत न 85 (وَ إِلی مَدْینَ أَخَاهُمْ شُعَیبًا)
- 0/59 1/59 सूरा ए मरयम, आयत न 51(وَ اذْكُرْ فی الْكِتَابِ مُوسی إِنَّهُ كاَنَ مخُْلَصًا وَ كاَنَ رَسُولًا نَّبِیا)
- सूरा ए मायदा, आयत न 44((إِنَّا أَنْزَلْنَا التَّوْراةَ فیها هُدی وَ نُورٌ)
- सूरा ए युनूस, आयत न 75(ثُمَّ بَعَثْنَا مِن بَعْدِهِم مُّوسَیٰ وَهَارُونَ إِلَیٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ بِآیاتِنَا فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا مُّجْرِمِینَ)
- सूरा ए इब्राहीम, आयत न 5((وَ لَقَدْ أَرْسَلْنا مُوسی بِآیاتِنا أَنْ أَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُماتِ إِلَی النُّورِ وَ ذَكِّرْهُمْ بِأَیامِ اللَّه)
- सूरा ए मरयम, आयत न 53((وَ وَهَبْنا لَهُ مِنْ رَحْمَتِنا أَخاهُ هارُونَ نَبِيًّا)
- सूरा ए मोमेनून, आयत न 45(ثُمَّ أَرْسَلْنا مُوسی وَ أَخاهُ هارُونَ بِآیاتِنا وَ سُلْطانٍ مُبین)
- सूरा ए युनुस, आयत न 75(ثُمَّ بَعَثْنَا مِن بَعْدِهِم مُّوسَیٰ وَهَارُونَ إِلَیٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ بِآیاتِنَا فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا مُّجْرِمِینَ)
- सूरा ए ताहा, आयत न 90(وَ لَقَدْ قالَ لَهُمْ هارُونُ مِنْ قَبْلُ یا قَوْمِ إِنَّما فُتِنْتُمْ بِهِ وَ إِنَّ رَبَّكُمُ الرَّحْمنُ فَاتَّبِعُونی وَ أَطیعُوا أَمْری)
- सूरा ए इस्रा, आयत न 55(وَ ءَاتَینَا دَاوُدَ زَبُورًا)
- सूरा ए साफ़्फ़ात, आयत न 123((وَ إِنَّ إِلْیاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِین)
- सूरा ए साफ़्फ़ात, आयन न 139(وَ إِنَّ یونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِین)
- सूरा ए आले इमरान, आयत न 39(فَنَادَتْهُ الْمَلَئكَةُ وَ هُوَ قَائمٌ یصَلی فی الْمِحْرَابِ أَنَّ اللَّهَ یبَشِّرُكَ بِیحْیی مُصَدِّقَا بِكلَِمَةٍ مِّنَ اللَّهِ وَ سَیدًا وَ حَصُورًا وَ نَبِیا مِّنَ الصَّلِحِین)
- सूरा ए मरयम, आयत न 30(قَالَ إِنی عَبْدُ اللَّهِ ءَاتَئنی الْكِتَابَ وَ جَعَلَنی نَبِیا)
- सूरा ए निसा, आयत न 171(إِنَّمَا الْمَسِیحُ عِیسی ابْنُ مَرْیمَ رَسُولُ اللَّهِ وَ كَلِمَتُهُ أَلْقَئهَا إِلی مَرْیم)
- सूरा ए हदीद, आयत न 27(وَ قَفَّینَا بِعِیسی ابْنِ مَرْیمَ وَ ءَاتَینَهُ الْانجِیلَ)
- सूरा ए सफ़, आयत न 6(وَإِذْ قَالَ عِیسَی ابْنُ مَرْیمَ یا بَنِی إِسْرَائِیلَ إِنِّی رَسُولُ اللَّـهِ إِلَیكُم مُّصَدِّقًا لِّمَا بَینَ یدَی مِنَ التَّوْرَاةِ وَمُبَشِّرًا بِرَسُولٍ یأْتِی مِن بَعْدِی اسْمُهُ أَحْمَدُ)
- सूरा ए अहज़ाब, आयत न 44(ما كاَنَ محُمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِّن رِّجَالِكُمْ وَ لَكِن رَّسُولَ اللَّهِ وَ خَاتَمَ النَّبِینَ)
- सूरा ए अहज़ाब, आयत न 40(ما كاَنَ محَمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِّن رِّجَالِكُمْ وَ لَكِن رَّسُولَ اللَّهِ وَ خَاتَمَ النَّبِینَ)
- सूरा ए शूरा, आयत न 7(وَ كَذَالِكَ أَوْحَینَا إِلَیكَ قُرْءَانًا عَرَبِیا لِّتُنذِرَ أُمَّ الْقُرَی وَ مَنْ حَوْلهَا)
- सूरा ए सबा, आयत न 28(وَ ما أَرْسَلْناكَ إِلاَّ كَافَّةً لِلنَّاسِ بَشیراً وَ نَذیراً)
- सूरा ए इस्रा, आयत न 55
- सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254
- ताहेरी आकरदी, यहूदीयत, पेज 173
- तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
- मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 404
- तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 145
- मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 45
- सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32 भाग 74, पेज 71
- कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177
- कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177
- मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 55
- तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144
- तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144-145
- सूरा ए बक़रा, आयत न 124
- बहरानी, अल-बुरहान, भाग 1, पेज 323
- सूरा ए अम्बिया, आयात न 69 से 73 तक
- कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 175
- मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 49-50
- सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254
- सूरा ए इस्रा, आयत न 55
- सूरा ए हदीद, आयत न 27
- सूरा ए शूरा, आयत न 7
- सूरा ए आला, आयत न 19
- तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 524
- सुदूक़, ओयून अल अखबार अल-रज़ा, भाग 2, पेज 80
- तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
- सूरा ए निसा, आयत न 163
- सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524
- तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
- मुफ़ीद, अल-नुकातिल एतेक़ादिया, पेज 35
- सूरा ए आराफ़, आयत न 73
- सूरा ए अम्बिया, आयत न 69
- सूरा ए बक़रा, आयत न 260
- सूरा ए शौअरा, आयत न 32
- सूरा ए बक़रा, आयत न 60
- सूरा ए शौअरा, आयत न 63
- सूरा ए आराफ़, आयत न 108; सूरा ए ताहा, आयत न 22; सूरा ए शौअरा, आयत न 33; सूरा ए नमल, आयत न 12; सूरा ए क़िसस, आयत न 32
- सूरा ए इमरान, आयत न 49; सूरा ए मायदा, आयत न 110
- सूरा ए तूर, आयत न 34
- सूरा ए क़मर, आयत न 1
- इब्ने जौज़ी, अल-मुनतज़म, भाग 15, पेज 129
- तय्यब, अतयब उल-बयान, भाग 1, पेज 42
- थानवी, मोअस्सेसा ए कश्शाफ़ इस्तेलाहात, मकतबा लबनान, भाग 1, पेज 141
- जाफ़री, तफ़सीरे कौसर, भाग 3, पेज 300
- इब्ने कसीर, अल-बिदाया वल-निहाया, भाग 2, पेज 268; याक़ूबी, तारीख़े अल-याक़ूबीत, दार ए सादिर, भाग 2, पेज 8
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 15
- मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 15, पेज 24
- सय्यद मुर्तज़ा, तनजीह उल-अम्बिया, पेज 34
- ↑ तुरैही, मज्मा उल-बहरैन, भाग 1, पेज 375
- ↑ मुस्तफ़वी, अल-तहक़ीक़ फ़ी कलमातिल कुरान अल-करीम, भाग 12, पेज 55
- ↑ तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 2, पेज 459
- ↑ मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34
- ↑ मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 72, पेज 116
- ↑ मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34
- ↑ देखेः सूरा ए क़िसस, आयत न 16, अम्बिया, आयत 87; सूरा ए ताहा, आयत न 121
- ↑ मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 16, पेज 42-43
- ↑ ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 315
- ↑ तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 56; मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 13, पेज 323
- ↑ सुदूक़, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 1, पेज 360
- ↑ ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 144
- ↑ रिवायत देखेः सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524; सुदूक़, मआनी उल-अख़बार, पेज 333; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32 भाग 74, पेज 71
- ↑ तूसी, अल-अमाली, पेज 397; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 31
- ↑ मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 60
- ↑ मुफ़ीद, अलइख्तेसास, पेज 263; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 6, पेज 352
- ↑ मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 31
- ↑ मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32
- ↑ सूरा ए अहज़ाब, आयत 40
- ↑ सूरा ए निसा, आयत 164
- ↑ ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
- ↑ ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 63
- ↑ ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 313
- ↑ सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524