पेश आने वाली घटनाओ पर तौक़ीअ
| तौक़ीअ अम्मा अलहवादिस अलवाक़ेआ | |
|---|---|
| अन्य नाम | तौक़ीअ इसहाक़ बिन याक़ूब |
| विषय | विलायते फ़क़ीह |
| किस से नक़्ल हुई | इमाम महदी (अ) |
| मुख्य वक्ता | इसहाक़ बिन याक़ूब |
| शिया स्रोत | कमालुद्दीन शेख़ सादुक़ • किताब अल गै़बा (शेख़ तूसी) |
| प्रसिद्ध हदीसें | |
| हदीस सिलसिला अल ज़हब • हदीस सक़लैन • हदीसे किसा • मक़बूला ए उमर बिन हंज़ला • हदीसे क़ुर्बे नवाफ़िल • हदीसे मेराज • हदीसे वेलायत • हदीसे वेसायत | |
तौक़ीअ अम्मा अलहवादिस अलवाक़ेआ (फ़ारसी: توقیع اما الحوادث الواقعه), (पेश आने वाली घटनाओं के बारे में किये प्रश्न पर इमाम महदी (अ) का उत्तर), इसहाक़ बिन याक़ूब के प्रश्न के उत्तर में इमाम महदी (अ.स.) की ओर से एक पत्र (तौक़ीअ) जारी किया गया, जिसे विधिवेत्ता की संरक्षकता को साबित करने वाले साक्ष्यों में से एक के रूप में उद्धृत किया गया है।
इस पुष्टिकरण में, इमाम महदी ने हदीस के कथावाचकों (रावियों) को अपने प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया है और शियों से अनुरोध किया है कि वे पेश आने वाक़ेयात और घटनाओं में उनकी पैरवी करें। हमारी हदीस के कथावाचक (रोवाते हदीसेना) से मुराद वह फ़ोक़हा माने जाते हैं जो धार्मिक निर्णयों का निष्कर्ष निकालने और समुदाय का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं।
इसहाक़ बिन याक़ूब की विश्वसनियता हदीस के स्रोतों में स्पष्ट रूप से नहीं की गई है, लेकिन शेख़ कुलैनी, शेख़ सदूक़ और शेख़ तूसी जैसे हदीस विद्वानों द्वारा उनकी हदीस का उल्लेख करना, इस पत्र की विषयवस्तु और इसमें इमाम महदी द्वारा इसहाक़ को विशेष अभिवादन करना जैसे प्रमाण उनकी विश्वसनीयता को दर्शाते हैं।
स्थिति और महत्व
पेश आने वाली घटनाओं के बारे में किये प्रश्न पर इमाम महदी (अ) के इस पत्र को न्यायविद की संरक्षकता को साबित करने में हदीस के साक्ष्यों में से एक माना जाता है।[१] यह तौक़ीअ इमाम महदी (अ) की ओर से इसहाक़ बिन याक़ूब के पत्र का जवाब है, जिसे चार प्रतिनिधियों में से एक मुहम्मद इब्न उस्मान अम्री द्वारा इमाम (अ) तक पहुचाया गया था।[२] कमाल अल-दीन[३] में शेख़ सदूक़ और अल-ग़ैबह[४] में शेख़ तूसी जैसे मुहद्देसीन ने शेख़ कुलैनी को उद्धृत करते हुए इसका उल्लेख किया है।
| पत्र का अरबी उच्चारण | पत्र का हिन्दी उच्चारण | अनुवाद |
|---|---|---|
| أَمَّا مَا سَأَلْتَ عَنْهُ أَرْشَدَكَ اللَّهُ وَ ثَبَّتَكَ .... وَ أَمَّا الْحَوَادِثُ الْوَاقِعَةُ فَارْجِعُوا فِيهَا إِلَى رُوَاةِ حَدِيثِنَا فَإِنَّهُمْ حُجَّتِي عَلَيْكُمْ وَ أَنَا حُجَّةُ اللَّهِ عَلَيْهِمْ .... وَ السَّلَامُ عَلَيْكَ يَا إِسْحَاقَ بْنَ يَعْقُوبَ وَ عَلى مَنِ اتَّبَعَ الْهُدى. | अम्मा मा साअलता अन्हो अरशदकल्लाहो व सब्बतका.. व अम्मल हवादेसुल वाक़ेअतो फ़रजेऊ फ़ीहा एला रोवाते हदीसेना फ़इन्नहुम हुज्जती अलैकुम व अना हुज्जतुल्लाहे अलैहिम... वस्सलामो अलैका या इसहाक़ा इब्न याक़ूबा व अला मनित तबअल होदा[५] | अल्लाह तुम्हें हक़ की राह पर साबित रखे और तुम्हें हक़ पर ईमान रखने में मज़बूत और दृढ़ रखे। यह जो तुमने सवाल किया है ... और जो घटनाएँ तुम पर गुज़रती हैं (और तुम उनका हुक्म नहीं जानते), तो हमारी हदीस के बयान करने वालों से पूछो; क्योंकि वे तुम्हारे लिये मेरी दलील (हुज्जत) हैं और मैं उनके लिये अल्लाह की दलील हूँ ... और सलाम हो तुम पर, ऐ इसहाक़ बिन याक़ूब, और हर उस शख़्स पर जो हिदायत की पैरवी करता है। |
विलायते फ़क़ीह को सिद्ध करने वाला एक दस्तावेज़
ग़ैबत काल में विलायते फ़क़ीह को सिद्ध करने के लिए इस तौक़ीअ को दलील बनाया गया है।
अलहवादिस अलवाक़ेया से तर्क
शेख़ अंसारी के अनुसार, "घटने वाली घटनाओं" का अर्थ केवल व्यक्तिगत धार्मिक मुद्दे ही नहीं, बल्कि वे सभी घटनाएँ और मामले भी हैं जिनके लिए तर्क, रीति-रिवाज और धर्म के दृष्टिकोण से समुदाय के मुखिया और नेता का संदर्भ आवश्यक है। इन सबके इसमें शामिल करने का कारण यह है कि धार्मिक नियमों को समझने के लिए फ़ोक़हा से परामर्श की आवश्यकता स्पष्ट थी और इसमें प्रश्न या उत्तर की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए, इस कथन के साथ, इमाम महदी (अ.स.) ने समाज के शासन और प्रशासन के मामलों में फ़क़ीहों को प्राधिकारी नियुक्त किया है।[६] इसी तरह से, इमाम महदी (अ.स.) के उत्तर की निरपेक्षता और उसमें किसी प्रतिबंध के अभाव को देखते हुए, इस आदेश के दायरे को रावी के प्रश्न में उठाई गई विशिष्ट घटनाओं तक सीमित करने को अस्वीकार कर दिया गया है।[७]
फ़इन्नहुम हुज्जती अलैकुम से तर्क
फ़इन्नहुम हुज्जती अलैकुम वाक्यांश न्यायविदों की प्रबंधकीय और संरक्षक भूमिका को इंगित करता है।[८] एक अचूक प्राधिकारी (मासूम इमाम) होने का अर्थ केवल धार्मिक आदेशों को व्यक्त करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी क्षेत्रों में है जहाँ मासूम इमाम (अ.स.) एक ईश्वरीय प्राधिकारी के रूप में संरक्षकता रखते हैं। न्यायविद को भी तदनुसार एक प्राधिकारी और संरक्षक माना जाना चाहिये।[९] और जिस प्रकार सामाजिक और सरकारी मामलों में इमामों (अ.स.) की पैरवी करना आवश्यक है, उसी प्रकार इन मामलों में न्यायविदों की पैरवी करना भी अनिवार्य है, और उनके आदेशों का उल्लंघन ईश्वरीय अस्वीकृति का कारण होगा।[१०]
रोवाते हदीसेना का क्या अर्थ है
इस संदर्भ में हदीस के कथावाचक से न्यायविदों का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति (मुजतहिद) से है जो वर्णनात्मक ग्रंथों से शरिया के नियमों का अनुमान लगाने में सक्षम हो, न कि ऐसे कथावाचक से जो केवल हदीसों का उल्लेख करते हों।[११]
क्या इसहाक़ इब्न याकूब विश्वसनीय हैं?
रेजाल के स्रोतों में इसहाक़ इब्न याक़ूब की स्पष्ट रूप से पुष्टि नहीं की गई है।[१२] कुछ लोगों ने इस कारण का हवाला देते हुए इस तौक़ीअ की वैधता पर संदेह किया है।[१३] अपनी पुस्तक विलाया अल-अम्र फ़ी अस्र अल-ग़ैबा में, सय्यद काज़िम हायरी, ग़ैबते सुग़रा काल के व्यवहार का हवाला देते हुए, शेख़ कुलैनी के उनसे उल्लेख करने को इसहाक़ की विश्वसनीयता का प्रमाण मानते हैं। उनका तर्क है कि उस संवेदनशील समय में तौक़ीअ प्राप्त करने का दावा केवल एक बहुत ही विश्वसनीय व्यक्ति या बहुत ही भ्रष्ट व्यक्ति द्वारा ही किया जा सकता था, और यह देखते हुए कि शेख़ कुलैनी जैसे हदीस विद्वान, जो एक सटीक हदीस विद्वान और उनके समकालीन थे, ने इस कथन का वर्णन किया था, इसके भ्रष्टाचार और मनगढ़ंत होने की संभावना उनकी नज़र से नहीं बच सकती थी।[१४]
इसके अलावा, तौक़ीअ के आंतरिक प्रमाण,[१५] जैसे इसकी विषयवस्तु का निहितार्थ[१६] और इमाम महदी (अ) द्वारा इसहाक़ को दी गई दुआएँ, जैसे (अरशदकल्लाहो व सब्बतका) "अल्लाह आपको मार्गदर्शन दे और आपको दृढ़ बनाए" और "और (वस्सलामो अलैका) आप पर सलाम हो ...", इमाम महदी द्वारा उनकी स्वीकृति के प्रमाण माने जाते हैं।[१७] इसहाक़ द्वारा पूछे गए प्रश्नों की विषयवस्तु और शेख़ तूसी द्वारा उनका उद्धरण भी उनकी विद्वत्तापूर्ण स्थिति का संकेत देते हैं।[१८]
शेख अंसारी, मोहक़्क़िक़ इस्फ़हानी और मिर्ज़ा नायनी जैसे न्यायशास्त्र और सिद्धांतों के कुछ विद्वानों की उनकी विश्वसनीयता के बारे में चुप्पी, और आयतुल्लाह ख़ूई द्वारा उन्हें "महान विद्वानों" में से एक बताना,[१९] रावी की विश्वसनीयता का प्रमाण और पुष्टि माना जाता है।[उद्धरण आवश्यक]
अल-काफ़ी में तौक़ीअ का उद्धरण क्यों नहीं दिया गया है?
शेख़ कुलैनी ने अल-काफ़ी में इस तौक़ीअ का ज़िक्र नहीं किया है, जिससे इसके उनके नाम से जुड़े होने पर संदेह पैदा होता है।[२०] सय्यद काज़िम हायरी का मानना है कि अल-काफ़ी को आम जनता के लिए लिखा गया था, और घुटन और तक़य्या के माहौल को देखते हुए, इसमें कथावाचक और इमाम के विशेष प्रतिनिधि का स्पष्ट रूप से उल्लेख इमाम के वकीलों और संचार नेटवर्क के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता था। यह भी संभव है कि यह तौक़ीअ कुलैनी द्वारा अल-काफ़ी लिखे जाने के बाद उनके हाथ में आई हो।[२१]
इसी तरह से यह भी कहा गया है कि चूँकि इस तौक़ीअ में न्यायशास्त्र संबंधी सामग्री नहीं थी, इसलिए कुलैनी ने अल-काफ़ी में इसका उल्लेख नहीं किया। बेशक, कुलैनी ने अल-रसायल नाम से एक पुस्तक लिखी थी, जो विशेष रूप से इमामों (अ.स.) के पत्रों और तौक़ीअ का संग्रह थी, और इस पुस्तक में तौक़ी'अ का वर्णन अल-काफ़ी की तुलना में अधिक उपयुक्त है, इसलिए यह संभावना है कि उन्होंने उस पुस्तक में इस तौक़ी'अ का उल्लेख किया हो।[२२]
फ़ुटनोट
- ↑ शेख़ अंसारी, किताब अल-मकासिब, 1415 हिजरी, खंड 3, पृ. 555; इमाम खुमैनी, किताब अल-बैअ, 1421 हिजरी, खंड 2, पृ. 635.
- ↑ सदूक़, कमाल अल-दीन, 1395 एएच, खंड 2, पृ. 483-485; तूसी, अल-ग़ैबा, 1411 एएच, पीपी 290-291।
- ↑ सदूक़, कमाल अल-दीन, 1395 एएच, खंड 2, पृ. 483-485.
- ↑ तूसी, अल-ग़ैबा, 1411 एएच, पीपी 290-291।
- ↑ सदूक़, कमाल अल-दीन, 1395 एएच, खंड 2, पृ. 483-485.
- ↑ शेख़ अंसारी, किताब अल-मकासिब, 1415 एएच, खंड 3, पृ. 555-556.
- ↑ मुंतज़ेरी, दिरासात फ़ी विलायह अल-फ़कीह, 1409 एएच, खंड 1, पृ. 481.
- ↑ शेख़ अंसारी, किताब अल-मकासिब, 1415 एएच, खंड। 3, पृ. 555-556.
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, किताब अल-बैअ', 1421 एएच, खंड। 2, पृ. 636; मोमिन क़ुम्मी, अल-विलायत अल-इलाहिया, 1425 एएच, खंड 3, पृ. 402.
- ↑ इमाम खुमैनी, विलायत अल-फ़कीह, 1381 एएच, पृष्ठ 80-82।
- ↑ मुंतज़ेरी, दिरासात फ़ी विलायह अल-फ़कीह, 1409 एएच, खंड 1, पृ. 479.
- ↑ तबातबाई क़ुम्मी, दिरासात मिनल फ़िक़्ह अल-जाफ़री, 1400 एएच, खंड। 3, पृ. 111; खूई, मौसूआ अल-इमाम अल-ख़ूई, खंड 22, पृ. 82.
- ↑ शक़ीर, "पजोहिशी दरबारए तौक़ीए शरीफ़ इमाम अल-ज़मान (अ.स.) बे इसहाक़ इब्न याक़ूब", अहल अल-बैत (अ.स.) फ़िक़्ह जर्नल।
- ↑ हायरी, विलायत अल-अम्र फ़ि 'अस्र अल-ग़ैबा, 1413 एएच, पीपी 100-101।
- ↑ हुसैनी शहरूदी, किताब अल-हज्ज, 1381 एएच, खंड 3, पृ. 394.
- ↑ मामक़ानी, तन्किह अल-मक़ाल, 1431 एएच, खंड 9, पृ. 228.
- ↑ मोमिन क़ुम्मी, अल-विलायत अल-इलाहिया, 1425 एएच, खंड 3, पृ. 400.
- ↑ मुद्रसी यज़्दी, आफाक़ अल-विलायत, 1403 एएच, खंड 2, 163.
- ↑ ख़ूई, मिस्बाह अल-फ़िक़ह, 1368 एएच, खंड 5, पृ. 48.
- ↑ मुंतज़ेरी, दिरासात फ़ी विलायह अल-फ़कीह, 1409 एएच, खंड 1, पृ. 479.
- ↑ हायरी, विलायत अल-अम्र फ़ी अस्र अल-ग़ैबा, 1413 हिजरी, पृष्ठ 103.
- ↑ शक़ीर, "पजोहिशी दरबारए तौक़ीए शरीफ़ इमाम अल-ज़मान (अ.स.) बे इसहाक़ इब्न याक़ूब", अहल अल-बैत (अ.स.) फ़िक़्ह पत्रिका।"
स्रोत
- इमाम खुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, किताब अल-बैअ, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम व नश्रे आसारे इमाम खुमैनी, 1421 हिजरी।
- इमाम खुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, वेलायत अल-फ़कीह - हुकूमते इस्लामी, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम व नश्रे आसारे इमाम खुमैनी, 1381 शम्सी।
- हायरी, सय्यद काज़िम, वेलायत अल-अम्र फ़ी अस्र अल-ग़ैबा, क़ुम, मजमा अल-फ़िक्र अल-इस्लामी, 1413 एएच।
- हुसैनी शाहरूदी, सय्यद महमूद, किताब अल-हज, इब्राहिम जन्नाती द्वारा संपादित, क़ुम, अंसारियान, 1381 एएच।
- ख़ूई, सय्यद अबुल-क़ासिम, मिस्बाह अल-फ़काहा, मुहम्मद अली तौहीदी द्वारा संपादित, बी ना, 1368 शम्सी।
- ख़ूई, सय्यद अबुल-क़ीसिम, मौसूअ अल-इमाम अल-ख़ूई, अल-ख़ूई इस्लामिक फाउंडेशन, बी ता।
- शक़ीर, मुहम्मद, "पजोहिशी दरबारए तौक़ीए शरीफ़ इमाम ज़मान (अ) बे इसहाक़ इब्न याकूब", अहल अल-बैत (अ) फ़िक़्ह जर्नल , नंबर 46, वर्ष 12, पीपी। 193-207।
- शेख़ अंसारी, मुर्तज़ा, किताब अल-मकासिब, क़ुम, अल-मोतमर अल आलमी बेमुनासिबत अलज़िकरा अल मओविया लेमीलाद अलशेख़ अल-आज़म अल-अंसारी, 1415 एएच।
- सदूक़, मुहम्मद इब्न अली, कमाल अल-दीन व तमाम अल-नेमह, तेहरान, इस्लामिया, 1395 एएच।
- तबातबाई क़ोमी, सैय्यद तक़ी, देरासातुना मिन अल-जाफ़री फ़िक़्ह, अली मरोजी द्वारा संपादित, क़ुम, अल-खय्याम प्रेस, 1400 एएच।
- तूसी, मुहम्मद इब्न हसन, अल-ग़ैबा, क़ुम, दार अल-म'आरिफ़ अल-इस्लामिया, 1411 एएच।
- मीमक़ानी, अब्दुल्लाह, तन्किह अल-मक़ाल, क़ुम, आल अल-बैत फाउंडेशन लेएहया अलतुरास, 1431 एएच।
- मोहम्मदी रयशहरी, मोहम्मद, दानिशनामा इमाम महदी (अ.स.) , क़ुम, दार अल-हदीस, 1393 शम्सी।
- मोदर्रेसी यज़दी, सय्यद मोहम्मद रज़ा, आफ़ाक अल-विलायत, क़ुम, दार अल-कुतिब अल-मुआसेरिया, 1403।
- मरवी, जवाद, "इसबाते ऐतेबारे सनदी तौक़ीए शरीफ़", शेख़ जवाद मरवी सूचना केंद्र, देखने की तारीख: 12 शहरिवर 1404 शम्सी।
- मुंतज़ेरी, हुसैन अली, देरासात फ़ी विलायत अल फ़कीह व फ़िक़्ह अलदौलह अल इस्लामिया, क़ुम, अलमरकज़ अलआलमी लिददेरासात अल इस्लामिया, 1409 एएच।
- मोमिन क़ुमी, मोहम्मद, अल-विलाया अल-इलाहिया अल-इस्लामिया (अल-हुकुमह अल-इस्लामिया), क़ुम, दफ़तरे इंतेशाराते इस्लामी, वाबस्ता बे जामेअ अल मुदर्रसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम, 1425 एएच।
- नायनी, मोहम्मद हुसैन, मुनिया अल-तालिब फ़ी हाशिया अल-मकासिब, तेहरान, अल-मक्तब अल-मोहम्मदिया, 1373 एएच।